Edited By Utsav Singh,Updated: 24 Nov, 2024 06:25 PM
असम के नागांव जिले के कामाख्या रिजर्व फॉरेस्ट से एक बाघिन गांव में घुस आई, जहां ग्रामीणों ने उस पर हमला कर दिया। इस हमले में बाघिन गंभीर रूप से घायल हो गई और अब डॉक्टरों को डर है कि वह पूरी तरह से अंधी हो गई है...
नेशनल डेस्क : असम के नागांव जिले के कामाख्या रिजर्व फॉरेस्ट से एक बाघिन गांव में घुस आई, जहां ग्रामीणों ने उस पर हमला कर दिया। इस हमले में बाघिन गंभीर रूप से घायल हो गई और अब डॉक्टरों को डर है कि वह पूरी तरह से अंधी हो गई है, जिससे उसका जीवन अब जंगल में नहीं, बल्कि कैद में ही गुजारना पड़ सकता है।
क्या हुआ था?
घटना 22 नवंबर की रात की है, जब एक तीन साल की रॉयल बंगाल बाघिन गांव में आ गई। ग्रामीणों ने उस पर लाठियों और पत्थरों से हमला कर दिया, जिससे बाघिन को गहरे घाव हुए। बाघिन अपनी जान बचाने के लिए नदी में कूद गई, लेकिन ग्रामीणों ने तब भी उसका पीछा नहीं छोड़ा।
रेस्क्यू और इलाज की प्रक्रिया
बाघिन को 17 घंटे बाद वनकर्मियों ने रेस्क्यू कर लिया और उसे काजीरंगा के वन्यजीव पुनर्वास और संरक्षण केंद्र (सीडब्ल्यूआरसी) भेजा। वहां के प्रभारी डॉ. भास्कर चौधरी ने बताया कि बाघिन की दोनों आंखें बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई हैं, और ऐसा लगता है कि बाईं आंख पूरी तरह से खो चुकी है। इसके साथ ही, उसके सिर और शरीर के अंदरूनी हिस्सों में भी गंभीर चोटें आई हैं।
क्या होगा बाघिन का भविष्य?
डॉ. चौधरी ने कहा कि अगर बाघिन की आंखों की स्थिति में सुधार नहीं होता, तो इसे जंगल में वापस छोड़ना असंभव हो जाएगा। इसका मतलब है कि बाघिन का बाकी का जीवन अब कैद में ही बिताना पड़ेगा।पुलिस ने बाघिन पर हमला करने वाले 9 ग्रामीणों को गिरफ्तार कर लिया है और अब मामले की जांच कर रही है। आरोपियों पर मामले दर्ज किए गए हैं, और जल्द ही उनकी पहचान की जाएगी।
बाढ़ के बाद बढ़ा जंगली जानवरों का गांवों में आना
रेंजर बिभूति मजूमदार ने कहा कि जुलाई में आई बाढ़ के बाद से जंगली जानवरों का गांवों में आना बढ़ गया है। इस बाघिन का गांव में आना लोगों के लिए डर का कारण बना, हालांकि बाघिन ने किसी को नुकसान नहीं पहुंचाया।
यह घटना असम में जंगली जानवरों के गांवों में आने के बढ़ते मामले को उजागर करती है। बाघिन पर हुए हमले ने इस बात को और स्पष्ट कर दिया है कि बाढ़ के बाद वन्यजीवों की ओर से मनुष्यों के साथ टकराव की स्थिति बन सकती है। अब बाघिन के इलाज और उसके भविष्य को लेकर वन विभाग और डॉक्टरों द्वारा निगरानी रखी जा रही है।