Edited By Anu Malhotra,Updated: 17 Apr, 2025 03:41 PM
वृंदावन के प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज के दरबार में दूर-दूर से लोग अपनी मन की बातें लेकर आते हैं। कोई आध्यात्मिक समाधान की खोज में आता है, तो कोई जीवन की उलझनों को सुलझाने की उम्मीद लेकर। हाल ही में ऐसा ही एक मामला सामने आया, जिसने महाराज...
नेशनल डेस्क: वृंदावन के प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज के दरबार में दूर-दूर से लोग अपनी मन की बातें लेकर आते हैं। कोई आध्यात्मिक समाधान की खोज में आता है, तो कोई जीवन की उलझनों को सुलझाने की उम्मीद लेकर। हाल ही में ऐसा ही एक मामला सामने आया, जिसने महाराज के सामने एक ऐसी आपबीती रखी, जिसने वहां मौजूद सभी लोगों को कुछ देर के लिए चौंका दिया।
एक युवक महाराज से मिलने उनके दरबार पहुंचा और खुलकर अपनी आपबीती सुनाई। उसने बताया कि वह समलैंगिक है और अब तक 150 से अधिक पुरुषों के साथ शारीरिक संबंध बना चुका है। उसकी आवाज़ में पछतावे और मानसिक उलझन की झलक साफ दिख रही थी। उसने कहा कि वह अब इस जीवन से बेहद परेशान और दुखी हो चुका है और इससे बाहर निकलना चाहता है।
प्रेमानंद महाराज ने उसकी बात ध्यान से सुनी और फिर उसे जवाब दिया। उन्होंने कहा कि यह कोई ऐसी चीज़ नहीं है जो उसने खुद पैदा की हो, बल्कि यह एक संस्कार है जो मन में गहराई तक बैठा हुआ है। उन्होंने इसे एक मानसिक प्रभाव बताते हुए कहा कि व्यक्ति को चाहिए कि वह इस संस्कार से बाहर निकलने की कोशिश करे, न कि उसमें पूरी तरह डूब जाए।
महाराज ने युवक को समझाया कि जीवन हमें आंतरिक संघर्षों से लड़ने और उन्हें जीतने के लिए मिला है, न कि किसी एक प्रवृत्ति या आदत में समर्पित होकर खो जाने के लिए। उन्होंने आगे कहा कि यदि कोई अपने भीतर की लड़ाई से हार जाता है, तो समाज में उसकी छवि भी कमजोर हो सकती है।
यह घटना सोशल मीडिया पर भी तेजी से वायरल हो रही है, जहां लोग इस मुद्दे पर तरह-तरह की राय रख रहे हैं। कुछ लोग इसे आत्मस्वीकृति का साहसिक कदम मानते हैं, तो कुछ इसे मानसिक और सामाजिक संघर्ष का उदाहरण बता रहे हैं।
वृंदावन जैसे धार्मिक और पारंपरिक स्थान पर एक व्यक्ति द्वारा अपनी समलैंगिकता को स्वीकारना और समाधान की तलाश में संत के पास आना, आज के समाज में बदलती सोच, संघर्ष और आत्म-खोज की जटिलताओं को भी उजागर करता है।