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'45 KM पैदल चले, रास्ते में लाशें देखीं', अमेरिका से निकाले गए अप्रवासी भारतीयों ने सुनाई दर्दभरी दास्तां

Edited By rajesh kumar,Updated: 06 Feb, 2025 01:52 PM

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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आदेश के बाद 104 भारतीयों को मिलिट्री प्लेन से अमृतसर भेजा गया है, जिससे उनके अमेरिका में घुसने का सपना टूट गया। ये सभी लोग अवैध तरीके से अमेरिका में घुसे थे, जिसे 'डंकी रूट' कहा जाता है। अब इन लोगों ने अपने...

नई दिल्ली: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आदेश के बाद 104 भारतीयों को मिलिट्री प्लेन से अमृतसर भेजा गया है, जिससे उनके अमेरिका में घुसने का सपना टूट गया। ये सभी लोग अवैध तरीके से अमेरिका में घुसे थे, जिसे 'डंकी रूट' कहा जाता है। अब इन लोगों ने अपने अनुभव साझा किए हैं, बताया कि कैसे वो 45 KM पैदल चले और रास्ते में लाशें देखीं। इससे यह साफ होता है कि डंकी रूट कितना खतरनाक और कठिन होता है। 

हरविंदर सिंह की कहानी
पंजाब के होशियारपुर के तहली गांव के हरविंदर सिंह ने बताया कि एक एजेंट ने उन्हें वर्क वीजा दिलवाने का वादा किया था, जिसके बदले में उन्होंने 42 लाख रुपए दिए थे। लेकिन अंत में उन्हें पता चला कि वीजा नहीं मिला। इसके बाद उन्हें दिल्ली से कतर, फिर कतर से ब्राजील भेजा गया। ब्राजील में उन्हें पेरू के लिए विमान बताया गया, लेकिन वहां ऐसी कोई फ्लाइट नहीं थी। फिर उन्हें कोलंबिया से पनामा भेजा गया, जहां उन्हें डंकी रूट से भेजा गया। दो दिन के इस सफर में कई मुश्किलें आईं और एक नाव की यात्रा के दौरान नाव पलट गई, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई। इसके बाद पनामा के जंगलों में एक और व्यक्ति की मौत हो गई। इस दौरान खाने के लिए कुछ नहीं था और वे सिर्फ चावल पर जिंदा रहे।

सुखपाल सिंह की कहानी
जलांधर के दारापुर गांव के सुखपाल सिंह ने भी बताया कि उन्हें 15 घंटे तक समुद्री यात्रा करने के बाद मुश्किल पहाड़ी रास्तों से गुजरते हुए अमेरिका पहुंचने के लिए 40-45 किलोमीटर पैदल चलना पड़ा। रास्ते में कई लोग गंभीर चोटों के कारण मर गए, लेकिन उनका साथ छोड़ दिया गया। हालांकि, उनका सफर व्यर्थ साबित हुआ क्योंकि उन्हें मैक्सिको में गिरफ्तार कर लिया गया और 14 दिन तक अंधेरे कमरे में रखा गया।

जसपाल सिंह की कहानी
पंजाब के जसपाल सिंह ने बताया कि ट्रैवल एजेंट ने उन्हें कानूनी तरीके से अमेरिका भेजने का आश्वासन दिया था और इसके लिए 30 लाख रुपए मांगे थे। लेकिन जसपाल को ब्राजील भेजा गया और वहां 6 महीने तक रहना पड़ा। 24 जनवरी को अमेरिकी सेना ने उन्हें गिरफ्तार किया और उनके हाथ-पैर बांध दिए। उन्हें अमृतसर एयरपोर्ट पर लाकर ही उनकी बेड़ियां खोली गईं।

गुरप्रीत सिंह की कहानी
कपूरथला के गुरप्रीत सिंह के परिवार ने उन्हें विदेश भेजने के लिए 50 लाख रुपए का कर्ज लिया था। इसके लिए उनके परिवार ने अपना घर गिरवी रख दिया था, लेकिन अब गुरप्रीत वापस आ गए हैं। इस समय उनका परिवार कर्ज चुकाने की चिंता में है।

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