Edited By Parminder Kaur,Updated: 18 Mar, 2025 04:48 PM

भारत में कई मंदिरों के पास इतना धन और संपत्ति है कि वे आर्थिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण बन चुके हैं। इन मंदिरों के पास ना केवल ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व है, बल्कि इनकी अर्थव्यवस्था में भी महत्वपूर्ण भूमिका है। ये मंदिर हर साल लाखों-करोड़ों भक्तों को...
नेशनल डेस्क. भारत में कई मंदिरों के पास इतना धन और संपत्ति है कि वे आर्थिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण बन चुके हैं। इन मंदिरों के पास ना केवल ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व है, बल्कि इनकी अर्थव्यवस्था में भी महत्वपूर्ण भूमिका है। ये मंदिर हर साल लाखों-करोड़ों भक्तों को आकर्षित करते हैं, जिससे न केवल स्थानीय बाजारों को बढ़ावा मिलता है, बल्कि सरकारी खजाने में भी योगदान होता है। चलिए जानते हैं भारत के कुछ सबसे अमीर मंदिरों के बारे में और यह कैसे टैक्स के रूप में सरकार को योगदान देते हैं।
1. श्री राम जन्मभूमि मंदिर (अयोध्या)
अयोध्या स्थित श्री राम जन्मभूमि मंदिर भारत के प्रमुख धार्मिक केंद्रों में से एक है। यहां हर साल लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। इस मंदिर के निर्माण और प्रबंधन के लिए बने श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने पिछले पांच सालों में सरकार को करीब 400 करोड़ रुपये का टैक्स दिया है। इनमें से 270 करोड़ रुपये केवल वस्तु एवं सेवा कर (GST) के रूप में हैं। ट्रस्ट के सचिव चंपत राय के अनुसार, इस राशि का भुगतान 5 फरवरी 2020 से 5 फरवरी 2025 के बीच किया गया। वहीं 16 लाख से ज्यादा पर्यटकों ने राम लला के दर्शन किए हैं। 2021 में महाकुंभ के दौरान अयोध्या में 1.26 करोड़ श्रद्धालु पहुंचे थे। चंपत राय ने यह भी बताया कि राम मंदिर निर्माण के लिए अब तक 2,150 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं।
2. तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (TTS)

आंध्र प्रदेश का तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (TTS) देश का सबसे अमीर मंदिर ट्रस्ट है। इस मंदिर से हर साल बड़ी आय होती है, जिसमें भगवान पर चढ़ाए गए चढ़ावे, प्रसाद और दर्शन टिकट शामिल हैं। तिरुपति मंदिर ने वित्त वर्ष 2025 में 4,774 करोड़ रुपये की वार्षिक आय का अनुमान जताया है। रिपोर्ट्स के अनुसार, मंदिर के पास लगभग 11,329 किलो सोना है। इसके अलावा तिरुपति मंदिर ने वित्त वर्ष 2023 में 32.15 करोड़ रुपये का GST भुगतान किया था। इसी तरह, 2017 में 14.7 करोड़ रुपये और 2022 में 15.58 करोड़ रुपये का GST भुगतान किया गया था।
3. वैष्णो देवी मंदिर

जम्मू के कटरा में स्थित वैष्णो देवी मंदिर भी भारत के अमीर मंदिरों में शुमार है। वित्त वर्ष 2024 में मंदिर ने 683 करोड़ रुपये की आय की, जिसमें से 255 करोड़ रुपये चढ़ावे से आए थे। वहीं अन्य 133.3 करोड़ रुपये मंदिर की ब्याज से आयी। वैष्णो देवी ट्रस्ट की आय 2017 में 380 करोड़ रुपये थी। मंदिर के दर्शन के लिए हर साल बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं और सुविधाओं के सुधार के चलते यहां भक्तों की संख्या लगातार बढ़ रही है।
4. श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर

तिरुवनंतपुरम स्थित श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर भी देश के सबसे अमीर मंदिरों में शामिल है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मंदिर के पास अत्यधिक दौलत है। यहां हर साल चढ़ावे से बड़ी कमाई होती है। 2024 में मंदिर को बकाया टैक्स के रूप में नोटिस भेजा गया था और पिछले 7 सालों में जीएसटी की मांग केवल 1.57 करोड़ रुपये रही है, जो मंदिर की आय के हिसाब से बहुत कम है।
5. इन मंदिरों की संपत्ति में वृद्धि
भारत के दो प्रमुख मंदिर ट्रस्टों ने पिछले सात वर्षों में अपनी संपत्ति दोगुनी कर दी है। तिरुपति ट्रस्ट का बजट 2017 में 2,678 करोड़ रुपये से बढ़कर 2025 में 5,145 करोड़ रुपये हो जाएगा। वैष्णो देवी ट्रस्ट की आय भी 2017 में 380 करोड़ रुपये से बढ़कर 2024 में 683 करोड़ रुपये हो गई है।
6. बढ़ता GST योगदान
जैसे-जैसे इन मंदिरों की आय बढ़ी है, वैसे-वैसे इनका GST योगदान भी बढ़ा है। उदाहरण के लिए तिरुपति मंदिर के जीएसटी भुगतान में पिछले कुछ वर्षों में वृद्धि हुई है। वित्त वर्ष 2017 में मंदिर ने 14.7 करोड़ रुपये का GST भुगतान किया था, जो 2022 में बढ़कर 15.58 करोड़ रुपये, 2023 में 32.15 करोड़ रुपये और 2024 में 32.95 करोड़ रुपये हो गया। इन मंदिरों की बढ़ती संपत्ति और GST योगदान दर्शाता है कि धार्मिक संस्थाएं अब केवल आस्था का केंद्र नहीं रह गईं, बल्कि ये आर्थिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण बन चुकी हैं। इनका राजस्व देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है और टैक्स भुगतान के जरिए सरकारी खजाने में भी योगदान हो रहा है।