Edited By Parminder Kaur,Updated: 17 Nov, 2024 03:24 PM
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शनिवार को कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था और वित्तीय क्षेत्र किसी भी प्रकार के वैश्विक घटनाओं से होने वाले प्रभावों को संभालने के लिए अच्छी स्थिति में हैं। देश का बाहरी क्षेत्र भी मजबूत है और हमारा चालू...
नेशनल डेस्क. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शनिवार को कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था और वित्तीय क्षेत्र किसी भी प्रकार के वैश्विक घटनाओं से होने वाले प्रभावों को संभालने के लिए अच्छी स्थिति में हैं। देश का बाहरी क्षेत्र भी मजबूत है और हमारा चालू खाता घाटा (Current Account Deficit) नियंत्रित सीमा के भीतर बना हुआ है, जो कि 1.1 प्रतिशत पर है।
शक्तिकांत दास ने एक कार्यक्रम में यह बात कही, जो कोच्चि इंटरनेशनल फाउंडेशन के लॉन्च के अवसर पर आयोजित हुआ था। भारतीय अर्थव्यवस्था का विकास आज स्थिरता और ताकत की तस्वीर प्रस्तुत करता है। 2010 और 2011 में यह विकास दर 6 से 7 प्रतिशत के बीच थी।
विदेशी मुद्रा भंडार पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि भारत के पास लगभग 675 अरब अमेरिकी डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार है, जो दुनिया में सबसे बड़े भंडारों में से एक है। मुद्रास्फीति उम्मीद के मुताबिक मापदंडों में रहेगी, हालांकि इसमें कुछ उतार-चढ़ाव हो सकते हैं। अक्टूबर में भारत की मुद्रास्फीति 6.2 प्रतिशत पर पहुंच गई थी, जो सितंबर में 5.5 प्रतिशत थी और इसका कारण मुख्य रूप से खाद्य मुद्रास्फीति था।
दास ने मुद्रास्फीति की तुलना एक "हाथी" से की और कहा- अब वह हाथी कमरे से बाहर घूमने गया है, फिर वह वापस जंगल में चला जाएगा, जब यूक्रेन युद्ध शुरू हुआ था, तो मुद्रास्फीति बढ़ी, लेकिन हम तुरंत नकारात्मक ब्याज दरों से बच गए, जो हमने भारत में नहीं किया, वह भी महत्वपूर्ण है। हमने नोट नहीं छापे, क्योंकि अगर हम नोट छापने लगते तो जिस समस्या को हम हल करने की कोशिश कर रहे थे। वह और बढ़ जाती और इसे संभालना मुश्किल हो जाता। कई देशों में मुद्रास्फीति गहरे तौर पर फैली थी, लेकिन हमारी मुद्रास्फीति नियंत्रित हो रही है। भारत में हमने ब्याज दर 4 प्रतिशत पर बनाए रखी, जिससे हमारे पुनर्प्राप्ति (recovery) की प्रक्रिया आसान हो गई।
संरचनात्मक सुधारों की जरूरत पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि देश को सेवा क्षेत्र और अन्य क्षेत्रों में सुधारों की आवश्यकता है। उन्होंने उदाहरण के तौर पर Unified Payments Interface (UPI) और Unified Lending Interface (ULI) का उल्लेख किया और बताया कि RBI छोटे उद्यमियों और किसानों के लिए क्रेडिट डिलीवरी में परिवर्तन लाने के लिए काम कर रहा है, जिससे यह एक बड़े बदलाव का हिस्सा बनेगा।