Edited By Harman Kaur,Updated: 07 Feb, 2025 12:01 PM
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पंजाब के होशियारपुर के गांव दारापुर के रहने वाले सुखपाल सिंह ने अमेरिका में अपनी गिरफ्तारी और वहां के शिविर में की गई बुरी हालतों के बारे में बताया। उनका कहना है कि उन्हें अमेरिका में गिरफ्तार करने के बाद जिस शिविर में रखा गया, वहां उन्हें खाने के...
नेशनल डेस्क: पंजाब के होशियारपुर के गांव दारापुर के रहने वाले सुखपाल सिंह ने अमेरिका में अपनी गिरफ्तारी और वहां के शिविर में की गई बुरी हालतों के बारे में बताया। उनका कहना है कि उन्हें अमेरिका में गिरफ्तार करने के बाद जिस शिविर में रखा गया, वहां उन्हें खाने के लिए गोमांस और स्नैक्स दिए जाते थे। 12 दिन तक उन्हें सिर्फ स्नैक्स पर ही गुजारा करना पड़ा।
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'शिविर में बहुत बुरा व्यवहार झेलना पड़ा...'
सुखपाल सिंह ने बताया कि शिविर में उन्हें बहुत बुरा व्यवहार झेलना पड़ा। न तो उन्हें कानूनी सलाहकार से मिलने दिया गया और न ही आव्रजन अधिकारियों से मिलने की अनुमति थी। जब उन्हें भारत वापस भेजने के लिए विमान पर चढ़ाया गया, तो उन्हें हथकड़ी पहनाई गई और उनके कमर व पैरों में बेड़ियां डाल दी गईं। उन्हें अपनी सीट से हिलने की अनुमति नहीं थी, यहां तक कि शौचालय तक जाने के लिए भी बहुत कम समय मिलता था। इस दौरान, वह उड़ान के दौरान शौचालय का उपयोग करने से बचने के लिए कुछ ही खा और पी पाए।
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एक साल तक इटली में किया काम
जब वह अमृतसर में उतरे, तब जाकर उनके हाथ-पैर से बेड़ियां हटाई गईं और उन्हें भोजन मिला। सुखपाल ने बताया कि उन्होंने एक साल तक इटली में शेफ के रूप में काम किया था और फिर अमेरिका जाने का फैसला किया। इसके लिए उसने और उसके दो दोस्तों ने एक ट्रैवल एजेंट से संपर्क किया था, जिसने उन्हें 30 लाख रुपए में अमेरिका सुरक्षित पहुंचाने का वादा किया था। इस एजेंट ने पैसे लेने के बाद उन्हें अमेरिका की फ्लाइट का भरोसा दिलाया, लेकिन उन्हें अमेरिका भेजने के बजाय निकारागुआ भेज दिया गया। वहां उनके पासपोर्ट जब्त कर लिए गए और फिर एक कठिन यात्रा की शुरुआत हुई।
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छोटी नाव में की 12 घंटे यात्रा
यह यात्रा होंडुरस, ग्वाटेमाला और मैक्सिको से होते हुए अमेरिका की सीमा तक समुद्र के पार एक छोटी नाव में 12 घंटे की यात्रा शामिल थी। इस दौरान, उनके एक साथी यात्री की डूबकर मौत हो गई। अंत में, जब वे अमेरिका की सीमा में दाखिल हुए, तो अमेरिकी सेना ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया और उन्हें एक शिविर में भेज दिया।