Edited By Utsav Singh,Updated: 09 Nov, 2024 01:46 PM
आज सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के 16,000 से ज्यादा मदरसों को बड़ी राहत दी है। तीन जजों की पीठ ने यूपी मदरसा बोर्ड एक्ट 2004 को संवैधानिक रूप से मान्य करार दिया है। इस फैसले से राज्य के करीब 17 लाख से अधिक मदरसा छात्रों को राहत मिली है। सुप्रीम...
नेशनल डेस्क : सुप्रीम कोर्ट से उत्तर प्रदेश के मदरसों के लिए राहत की खबर आई। तीन जजों की पीठ ने यूपी मदरसा बोर्ड एक्ट 2004 को संवैधानिक रूप से मान्य करार दिया। इससे राज्य के करीब 17 लाख मदरसा छात्रों को बड़ी राहत मिली है। इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले को पलटते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि यह एक्ट धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों का उल्लंघन नहीं करता है। इसके बाद यह स्पष्ट हो गया कि यूपी में लगभग 16 हजार मदरसे पहले की तरह चलते रहेंगे।
UP मदरसा एक्ट 2004 को SC ने मंजूरी दी
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला यूपी के मदरसों में पढ़ाई करने वाले लाखों छात्रों के लिए अहम है। 2004 में यूपी मदरसा एक्ट बनाया गया था, जिसके तहत सभी मदरसे सरकारी नियमों के तहत चलने लगे। इसके बाद, सरकार ने मदरसों के संचालन को और बेहतर बनाने के लिए कई कदम उठाए थे। मुस्लिम धर्मगुरुओं और मौलानाओं ने इस फैसले का स्वागत किया, क्योंकि उनके मुताबिक, अगर मदरसे खत्म हो जाते हैं तो बच्चों को मजहब से जुड़ी शिक्षा मिलना मुश्किल हो जाएगा।
योगी सरकार के आने के बाद मदरसों पर कड़ी नजर
2017 में योगी सरकार के सत्ता में आने के बाद मदरसों को लेकर कई महत्वपूर्ण बदलाव किए गए थे। सरकार ने एक "मदरसा पोर्टल" शुरू किया ताकि फर्जी मदरसों की पहचान की जा सके और उन्हें बंद किया जा सके। इस पोर्टल के बाद यूपी में करीब 22,000 मान्यता प्राप्त मदरसे थे, जिनकी संख्या घटकर 16,500 रह गई। इसके बाद, राज्य सरकार ने मदरसों में नकल को रोकने के लिए वेब कैमरे लगाए और गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों का सर्वे भी कराया।
दो प्रकार के होते हैं मदरसे
देश में दो प्रकार के मदरसे होते हैं:
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चंदे पर चलने वाले मदरसे – इन मदरसों को लोगों से चंदा मिलता है और इन्हें सरकार की तरफ से आर्थिक सहायता नहीं मिलती।
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सरकारी सहायता प्राप्त मदरसे – इन मदरसों को सरकार से आर्थिक मदद मिलती है और इनकी सैलरी और अन्य सुविधाएं सरकार प्रदान करती है।
UP में 3 प्रकार के मदरसे
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मदरसा पोर्टल में रजिस्ट्रेशन वाले मदरसे – कुल 16,513 मदरसे इस पोर्टल पर रजिस्टर्ड हैं। इनमें लगभग 18 लाख बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं। ये सभी मान्यता प्राप्त मदरसे हैं।
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सरकारी एडेड मदरसे – इन मदरसों को सरकार की ओर से टीचर की सैलरी, छात्रों को NCERT की किताबें और मिड-डे मील जैसी सुविधाएं मिलती हैं। यूपी में 558 सरकारी एडेड मदरसे हैं।
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गैर मान्यता प्राप्त मदरसे – ये वे मदरसे हैं जो मदरसा पोर्टल में रजिस्टर्ड नहीं हैं। सरकार ने इनका सर्वे कराया और चंदे पर सवाल उठाए। इसके लिए SIT जांच के आदेश भी दिए गए हैं।
UP के मदरसों का वित्तीय सहायता
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सरकारी सहायता से चलने वाले मदरसे (560 मदरसे) – इन मदरसों को सरकारी पैसों से चलाया जाता है।
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स्वयं फंडेड मदरसे (15,953 मदरसे) – ये मदरसे चंदे से संचालित होते हैं।
मदरसों की पढ़ाई और पाठ्यक्रम
मदरसों में पढ़ाई का तरीका और पाठ्यक्रम अन्य स्कूलों से अलग होता है। यहां धार्मिक शिक्षा पर जोर दिया जाता है, जैसे कि कुरान, हदीस, फिकह, इस्लामिक इतिहास और अरबी भाषा की पढ़ाई। इसके अलावा, बच्चों को अच्छे नागरिक बनने के लिए नैतिक शिक्षा भी दी जाती है।
मदरसों में शिक्षा के स्तर को लेकर कुछ विशेष नाम होते हैं:
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तहतानिया – प्राइमरी स्कूल स्तर
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फौकानिया – जूनियर हाई स्कूल स्तर
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आलिया – इंटरमीडिएट और ग्रेजुएट स्तर
मदरसों में बच्चों को हिंदी, गृह विज्ञान, विज्ञान जैसे विषयों के अलावा "मुंशी-मौलवी", "आलिम", "कामिल" जैसे धार्मिक विषय भी पढ़ाए जाते हैं।
मदरसों का उद्देश्य
आपको बता दें कि मदरसों का मुख्य उद्देश्य बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ धार्मिक शिक्षा देना और उन्हें समाज में अच्छे नागरिक के रूप में तैयार करना है। इसके साथ ही, मदरसा शिक्षा का तरीका इस्लामिक दृष्टिकोण से जीवन जीने के लिए जरूरी मूल्य और सिद्धांतों को सिखाता है।
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला उत्तर प्रदेश में मदरसों की स्थिति को स्थिर रखने के लिए अहम साबित हो सकता है। इससे राज्य के लाखों छात्रों को राहत मिलेगी और मदरसा शिक्षा का भविष्य सुरक्षित रहेगा। इसके साथ ही, राज्य सरकार ने मदरसों के प्रबंधन में सुधार करने के लिए कई कदम उठाए हैं, जो मदरसा शिक्षा को और बेहतर बना सकते हैं।