Edited By Yaspal,Updated: 26 Aug, 2024 10:43 PM
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष और उप्र की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की होने वाली बैठक से एक दिन पूर्व सोमवार को कहा कि सक्रिय राजनीति से उनका संन्यास लेने का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता
लखनऊः बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष और उप्र की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की होने वाली बैठक से एक दिन पूर्व सोमवार को कहा कि सक्रिय राजनीति से उनका संन्यास लेने का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता। बसपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की 27 अगस्त को लखनऊ स्थित पार्टी कार्यालय में होने वाली बैठक को लेकर मीडिया में यह अटकलें लगायी जा रहीं थी कि मायावती अपने भतीजे आकाश आनन्द का कद बढ़ा सकती हैं। इसके अलावा उनके संन्यास लेने की भी अटकलें थीं।
सक्रिय राजनीति से मेरा संन्यास लेने का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता
बसपा प्रमुख ने सोमवार को ''एक्स'' पर अपने आधिकारिक खाते पर कहा '' बहुजनों के अम्बेडकरवादी कारवां को कमजोर करने की विरोधियों की साजिशों को विफल करने और बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर एवं कांशीराम जी की तरह ही मेरी जिन्दगी की आखिरी सांस तक बसपा के आत्म-सम्मान व स्वाभिमान आंदोलन को समर्पित रहने का फैसला अटल है।'' उन्होंने अगली पोस्ट में कहा ''अर्थात सक्रिय राजनीति से मेरा संन्यास लेने का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता है। जबसे पार्टी ने आकाश आनन्द को मेरे ना रहने पर या अस्वस्थता की स्थिति में बसपा के उत्तराधिकारी के रूप में आगे किया है तबसे जातिवादी मीडिया ऐसी फर्जी खबर प्रचारित कर रहा है जिससे लोग सावधान रहें।''
मायावती ने यह भी कहा ''पहले भी मुझे राष्ट्रपति बनाए जाने की अफवाह उड़ाई गई, जबकि कांशीराम जी ने ऐसी ही पेशकश को यह कहकर ठुकरा दिया था कि राष्ट्रपति बनने का मतलब है सक्रिय राजनीति से सन्यास लेना जो पार्टी हित में उन्हें गवारा नहीं था। तो फिर उनकी शिष्या को यह स्वीकारना कैसे संभव है?''
सपा-कांग्रेस को याद दिलाया गेस्ट हाउस कांड
मायावती ने सोमवार को वर्ष 1995 में राज्य अतिथि गृह में हुई एक घटना का हवाला देते हुए एक साथ समाजवादी पार्टी (सपा) और कांग्रेस पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि जब उन पर सपा ने जानलेवा हमला कराया तब केंद्र की तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने अपना दायित्व नहीं निभाया था। बसपा प्रमुख ने सोमवार को कहा ''सपा ने दो जून 1995 को बसपा द्वारा समर्थन वापसी पर मुझ पर जानलेवा हमला कराया था जिस पर कांग्रेस कभी क्यों नहीं बोलती? केंद्र की तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने भी अपना दायित्व नहीं निभाया था।''