Edited By Mahima,Updated: 09 Jan, 2025 02:13 PM
शिक्षा किसी भी समाज की रीढ़ होती है, लेकिन अक्सर यह राजनीति में प्राथमिकता नहीं बन पाती। एक दशक पहले, दिल्ली में एक सरकार आई जिसने शिक्षा को अपना केंद्र बिंदु बनाया। आज इसका असर न केवल आंकड़ों में बल्कि हर दिल्लीवासी की ज़िंदगी में देखा जा सकता है।
नेशनल डेस्क: शिक्षा किसी भी समाज की रीढ़ होती है, लेकिन अक्सर यह राजनीति में प्राथमिकता नहीं बन पाती। एक दशक पहले, दिल्ली में एक सरकार आई जिसने शिक्षा को अपना केंद्र बिंदु बनाया। आज इसका असर न केवल आंकड़ों में बल्कि हर दिल्लीवासी की ज़िंदगी में देखा जा सकता है। दिल्ली के सरकारी स्कूल, जो कभी कमज़ोर बुनियादी ढांचे और खराब गुणवत्ता के लिए जाने जाते थे, अब दुनिया भर में उदाहरण बन चुके हैं। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था ने ऐसे बदलाव देखे हैं, जो अब ‘शिक्षा क्रांति’ के नाम से मशहूर हैं।
बजट का बड़ा हिस्सा शिक्षा के लिए
दिल्ली सरकार ने शिक्षा को पहली प्राथमिकता देते हुए अपने बजट का 25% हिस्सा इस क्षेत्र के लिए आवंटित किया। यह सुनिश्चित किया गया कि न केवल स्कूलों का बुनियादी ढांचा सुधरे, बल्कि छात्रों और शिक्षकों को भी बेहतर संसाधन मिलें।
स्कूलों का कायापलट
• 22,711 नए क्लासरूम बनाए गए, और 1,541 अभी निर्माणाधीन हैं।
• 54 स्कूलों को मॉडल स्कूल में तब्दील किया गया, जिनमें स्मार्ट क्लासरूम, अत्याधुनिक लैब्स, और अग्निशामक यंत्र जैसी सुविधाएं शामिल हैं।
• दिव्यांग छात्रों के लिए लिफ्ट और अन्य सुविधाएं जोड़ी गईं।
खेल और सर्वांगीण विकास
सरकारी स्कूलों में खेल सुविधाओं को बढ़ावा दिया गया है। नए सभागार और खेल मैदान बनाए गए ताकि छात्रों का शारीरिक और मानसिक विकास संतुलित हो।
Schools of Specialized Excellence (SOSE)
दिल्ली में 38 स्कूल ऑफ स्पेशलाइज्ड एक्सीलेंस स्थापित किए गए हैं, जो छात्रों को उनकी प्रतिभा के अनुसार विशेष शिक्षा प्रदान करते हैं।
शिक्षकों की भूमिका और नियुक्तियां
2014 तक दिल्ली में 34,182 नियमित शिक्षक थे। आज यह संख्या 47,914 हो चुकी है, और 8,000 नई नियुक्तियां प्रक्रिया में हैं। शिक्षकों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ट्रेनिंग दी जाती है, ताकि वे छात्रों को बेहतर मार्गदर्शन दे सकें।
उच्च शिक्षा में नए आयाम
• तीन नई यूनिवर्सिटीज:
दिल्ली टीचर्स यूनिवर्सिटी, दिल्ली स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी, और दिल्ली स्किल एंड एंटरप्रेन्योरशिप यूनिवर्सिटी।
• अंबेडकर यूनिवर्सिटी और आईपी यूनिवर्सिटी के नए कैंपस।
• तकनीकी शिक्षा में 50,000 सीटों का इज़ाफा।
• आईटीआई शाहदरा: नए शैक्षणिक ब्लॉक में 10,000 सीटें बढ़ाई जा रही हैं।
• शिक्षा बजट: 2.5 गुना से अधिक वृद्धि, 2014-15 में ₹6,554 करोड़ से 2024-25 में ₹16,396 करोड़ तक।
‘हैप्पीनेस क्लास’ और ‘माइंडसेट करिकुलम’
दिल्ली के सरकारी स्कूलों में ‘हैप्पीनेस क्लास’ और ‘देशभक्ति करिकुलम’ जैसे इनोवेटिव प्रोग्राम्स ने छात्रों और अभिभावकों का नज़रिया बदल दिया है। बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य और सामाजिक मूल्यों पर ज़ोर दिया जा रहा है।
गरीब से गरीब बच्चों के लिए सुनहरा मौका
सरकारी स्कूलों की गुणवत्ता इतनी बढ़ गई है कि कई माता-पिता अब अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों से हटाकर सरकारी स्कूलों में दाखिला दिला रहे हैं। 4-स्टोरी मॉडर्न स्कूल बिल्डिंग्स अब छात्रों की सफलता की नई कहानियां लिख रही हैं।
नतीजा: IIT, NEET में सफलता
दिल्ली के सरकारी स्कूलों के कई छात्रों ने IIT और NEET जैसी कठिन परीक्षाओं में कामयाबी हासिल की है। अरविंद केजरीवाल, जो खुद IIT ग्रेजुएट हैं, ने यह साबित कर दिया है कि सही नीतियों और निवेश से सरकारी स्कूलों से भी बेहतरीन टैलेंट निकल सकता है।
शिक्षा क्रांति का असर
दिल्ली की शिक्षा क्रांति ने न केवल छात्रों बल्कि पूरे समाज को यह संदेश दिया है कि सरकारी स्कूल भी प्राइवेट स्कूलों से बेहतर हो सकते हैं। यह बदलाव न केवल दिल्ली, बल्कि पूरे देश के लिए एक मॉडल बन चुका है।10 साल पहले जो सपना देखा गया था, आज वह हर छात्र के भविष्य में साफ़ झलकता है। यही है दिल्ली की ‘शिक्षा क्रांति।’