Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 29 Mar, 2025 08:00 PM

रमजान इस्लाम धर्म में सबसे पवित्र महीना माना जाता है, जिसमें इबादत और नेकियों का कई गुना अधिक सवाब मिलता है। मौलाना तारिक जमील ने रमजान के महत्व और इस महीने में जन्नत व जहन्नुम में होने वाले बदलावों को लेकर एक बड़ा खुलासा किया है।
नेशनल डेस्क: रमजान इस्लाम धर्म में सबसे पवित्र महीना माना जाता है, जिसमें इबादत और नेकियों का कई गुना अधिक सवाब मिलता है। मौलाना तारिक जमील ने रमजान के महत्व और इस महीने में जन्नत व जहन्नुम में होने वाले बदलावों को लेकर एक बड़ा खुलासा किया है। उन्होंने बताया कि रमजान के दौरान अल्लाह की रहमत का दरवाजा खुला रहता है और जो इस दौरान दुनिया से रुख़्सत होते हैं, उनके लिए खास इनाम रखा जाता है।
रमजान में जन्नत के दरवाजे खोले जाते हैं
मौलाना तारिक जमील के अनुसार, रमजान का महीना शुरू होते ही जन्नत के दरवाजे खोल दिए जाते हैं और जहन्नुम के दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं। इस पूरे महीने जन्नत को हर दिन सजाया जाता है ताकि नेक और सच्चे मोमिनों को इसका फल मिल सके। उन्होंने बताया कि इस महीने के दौरान शैतान को कैद कर लिया जाता है, ताकि इंसान भटकाव से बचकर इबादत में लीन रहे। उन्होंने यह भी कहा कि रमजान की हर रात अल्लाह की तरफ से ऐलान होता है कि कोई बख्शीश मांगने वाला है, कोई तौबा करने वाला है, ताकि उसकी माफी कबूल की जा सके। मौलाना ने रमजान में किए जाने वाले इबादतों के सवाब को लेकर कहा कि इस महीने में की जाने वाली हर नेकी का दर्जा कई गुना बढ़ जाता है। उन्होंने कहा- रमजान में किया गया फर्ज (नमाज, रोजा आदि) 70 फर्जों के बराबर होता है, कोई भी नफल (अतिरिक्त इबादत) इस महीने में एक फर्ज के बराबर माना जाता है। उन्होंने बताया कि फर्ज और नफल का फर्क इतना ज्यादा होता है कि अगर कोई व्यक्ति कयामत तक दो रकात नफल पढ़ता रहे, तब भी वह एक फर्ज के सजदे के बराबर नहीं होगा।
रमजान में मरने वालों को अल्लाह की खास रहमत
मौलाना तारिक जमील ने इस पाक महीने के दौरान दुनिया से जाने वाले लोगों के बारे में भी एक अहम बात कही। उन्होंने बताया कि जो मोमिन रमजान में दुनिया छोड़ते हैं, अल्लाह उनसे कोई हिसाब-किताब नहीं करता और उन्हें सीधा माफ कर देता है। यह सिलसिला रमजान के पूरे 29 दिनों तक चलता है और आखिरी रात अल्लाह ऐलान फरमाते हैं कि- "मेरे बंदों ने दिन में रोजा रखा, रात को तरावीह की नमाज अदा की, मुझसे दुआ मांगी, इसलिए मैंने इन सबकी बख्शीश कर दी।"
ईद की खुशी का असली कारण
ईद-उल-फित्र रमजान के बाद मनाया जाने वाला सबसे बड़ा इस्लामी त्योहार है। मौलाना तारिक जमील के अनुसार, ईद मनाने का असली कारण यह है कि रमजान के पूरे महीने अल्लाह अपने नेक बंदों को माफ कर देता है और उन्हें जन्नत का वादा करता है। ईद की खुशी के बारे में उन्होंने कहा- "रमजान के आखिरी दिन जब अल्लाह ऐलान करता है कि मैंने अपने बंदों को बख्श दिया, जहन्नुम को उन पर हराम कर दिया और जन्नत उनके लिए वाजिब कर दी, तब मोमिन खुशी से अल्लाह का शुक्र अदा करते हैं और ईद मनाते हैं।"