Edited By Mahima,Updated: 21 Sep, 2024 01:53 PM
आजकल म्यूचुअल फंड में निवेश करना एक आम बात हो गई है। लोग अपनी बचत को बेहतर रिटर्न के लिए म्यूचुअल फंड के माध्यम से निवेशित कर रहे हैं। म्यूचुअल फंड में निवेश के दो मुख्य तरीके होते हैं: एक्टिव फंड और पैसिव फंड। अगर आप म्यूचुअल फंड में निवेश कर रहे...
नेशनल डेस्क: आजकल म्यूचुअल फंड में निवेश करना एक आम बात हो गई है। लोग अपनी बचत को बेहतर रिटर्न के लिए म्यूचुअल फंड के माध्यम से निवेशित कर रहे हैं। म्यूचुअल फंड में निवेश के दो मुख्य तरीके होते हैं: एक्टिव फंड और पैसिव फंड। अगर आप म्यूचुअल फंड में निवेश कर रहे हैं, तो आपको यह समझना जरूरी है कि आप किस प्रकार के फंड में पैसा लगा रहे हैं।
एक्टिव फंड: क्या है और कैसे काम करता है?
परिभाषा: एक्टिव फंड को अनुभवी फंड मैनेजर्स द्वारा प्रबंधित किया जाता है। ये मैनेजर्स बाजार की स्थितियों के अनुसार निवेश के निर्णय लेते हैं, जिससे इनका मुख्य उद्देश्य होता है कि ये फंड बाजार के सूचकांकों (जैसे निफ्टी या सेंसेक्स) से बेहतर प्रदर्शन करें। कैसे काम करता है?: जब आप एक्टिव फंड में निवेश करते हैं, तो फंड मैनेजर आपके पैसे को विभिन्न शेयरों और प्रतिभूतियों में निवेश करते हैं। वे बाजार के उतार-चढ़ाव का ध्यान रखते हैं और निवेश में बदलाव करते हैं। उदाहरण के लिए, यदि कोई विशेष शेयर या सेक्टर अच्छा प्रदर्शन कर रहा है, तो फंड मैनेजर उस सेक्टर में अधिक निवेश कर सकते हैं।
क्या है एक्टिव फंड की विशेषताएँ
-उच्च रिटर्न की संभावना: अगर फंड मैनेजर अच्छे निर्णय लेते हैं, तो आप उच्च रिटर्न की उम्मीद कर सकते हैं।
- जोखिम प्रबंधन: अनुभवी फंड मैनेजर्स जोखिमों का बेहतर प्रबंधन कर सकते हैं।
- नवीनतम बाजार जानकारी: फंड मैनेजर्स नियमित रूप से बाजार की स्थिति का अध्ययन करते हैं और उसी के आधार पर निर्णय लेते हैं।
हालांकि, एक्टिव फंड की लागत भी ज्यादा होती है, क्योंकि फंड मैनेजर के लिए शुल्क का भुगतान करना पड़ता है।
पैसिव फंड: सरल और किफायती विकल्प
परिभाषा: पैसिव फंड उन म्यूचुअल फंड्स को कहते हैं, जो बाजार के सूचकांकों का अनुसरण करते हैं। इनमें फंड मैनेजर का चयन सीमित होता है क्योंकि ये फंड मुख्य रूप से इंडेक्स के अनुसार काम करते हैं।
कैसे काम करता है?: जब आप पैसिव फंड में निवेश करते हैं, तो आपका पैसा विभिन्न शेयरों में उन कंपनियों के वेटेज के अनुसार बांटा जाता है, जो उस सूचकांक का हिस्सा होती हैं। उदाहरण के लिए, अगर आप निफ्टी 50 में निवेश कर रहे हैं, तो आपका पैसा निफ्टी की उन 50 कंपनियों में बंट जाएगा।
क्या है पैसिव फंड की विशेषताएँ
- कम लागत: पैसिव फंड की प्रबंधन फीस कम होती है, क्योंकि इसमें स्टॉक चयन और शोध में कोई बड़ी लागत शामिल नहीं होती।
- सहजता: आपको शोध करने की आवश्यकता नहीं होती। ये फंड मार्केट के सामान्य प्रदर्शन का अनुसरण करते हैं, जिससे नए निवेशकों के लिए यह विकल्प सरल होता है।
- स्थिरता: पैसिव फंड में उतार-चढ़ाव कम होता है, जो इसे अधिक स्थिर बनाता है।
एक्टिव फंड और पैसिव फंड के बीच मुख्य अंतर
1. प्रबंधन: एक्टिव फंड में फंड मैनेजर आपके पैसे का निवेश करते हैं, जबकि पैसिव फंड में निवेश स्वचालित होता है।
2. लागत: एक्टिव फंड की प्रबंधन फीस ज्यादा होती है, जबकि पैसिव फंड में फीस कम होती है।
3. रिटर्न: एक्टिव फंड में उच्च रिटर्न की संभावना होती है, जबकि पैसिव फंड स्थिरता पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
किसमें करें निवेश?
- एक्टिव फंड: यदि आप बाजार के उतार-चढ़ाव को समझते हैं और उच्च रिटर्न की चाह रखते हैं, तो एक्टिव फंड आपके लिए बेहतर विकल्प हो सकता है। हालांकि, इसके लिए आपको कुछ जोखिम उठाने को भी तैयार रहना होगा।
- पैसिव फंड: अगर आप एक सतत और स्थिर रिटर्न की तलाश में हैं और ज्यादा जोखिम नहीं लेना चाहते, तो पैसिव फंड जैसे इंडेक्स फंड और एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ETF) आपके लिए सही होंगे। ये विकल्प विशेष रूप से उन नए निवेशकों के लिए उपयुक्त हैं, जिनके पास समय की कमी है या जो निवेश की दुनिया में नए हैं।
म्यूचुअल फंड में निवेश करते समय सही विकल्प चुनना बहुत महत्वपूर्ण है। अपने निवेश की रणनीति और जोखिम सहिष्णुता के अनुसार सही फंड का चयन करें। दोनों प्रकार के फंडों में अपने-अपने फायदे और नुकसान हैं, और आपके निवेश के लक्ष्यों के आधार पर निर्णय लेना सबसे बेहतर रहेगा।