Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 27 Jan, 2025 01:12 PM
उत्तराखंड ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए राज्य में यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) लागू करने का फैसला किया है। इससे ना केवल राज्य के कानूनों में बदलाव आएगा, बल्कि इसमें कई प्रथाओं और परंपराओं को समाप्त किया जाएगा। खासकर, मुस्लिम समुदाय से जुड़ी दो प्रथाएं -...
नेशनल डेस्क: उत्तराखंड ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए राज्य में यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) लागू करने का फैसला किया है। इससे ना केवल राज्य के कानूनों में बदलाव आएगा, बल्कि इसमें कई प्रथाओं और परंपराओं को समाप्त किया जाएगा। खासकर, मुस्लिम समुदाय से जुड़ी दो प्रथाएं - हलाला और इद्दत - अब पूरी तरह से बंद हो जाएंगी। यह बदलाव न केवल उत्तराखंड बल्कि पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया है। आइए जानते हैं कि आखिर ये हलाला और इद्दत प्रथाएं क्या हैं और UCC के लागू होने से इनके समाप्त होने से समाज पर क्या असर पड़ेगा।
क्या है हलाला?
हलाला एक विवादास्पद इस्लामिक प्रथा है, जिसमें एक महिला को अपने पहले पति से फिर से शादी करने के लिए किसी अन्य व्यक्ति से शादी करनी पड़ती है और फिर उसे तलाक देना होता है। यह प्रथा तब सामने आती है जब किसी महिला को उसके पति से तलाक हो जाता है और वह फिर से उसी पति से शादी करना चाहती है। इस स्थिति में महिला को किसी अन्य पुरुष से विवाह करना पड़ता है, फिर तलाक होने पर ही वह अपने पहले पति से दोबारा विवाह कर सकती है। इस प्रथा के खिलाफ कई महिलाओं और समाज के कुछ हिस्सों ने हमेशा विरोध जताया है। अब, उत्तराखंड में UCC लागू होने के बाद इस प्रथा का पूरी तरह से अंत हो जाएगा।
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इद्दत प्रथा क्या है?
इद्दत भी एक ऐसी प्रथा है जिसे मुस्लिम समुदाय में तलाक या पति की मृत्यु के बाद पालन किया जाता है। इद्दत के दौरान एक महिला को कुछ समय तक पुनः शादी नहीं करनी होती। यह अवधि तलाक या विधवापन के आधार पर निर्धारित होती है। उदाहरण के लिए, अगर महिला गर्भवती है तो इद्दत का समय तब तक रहेगा, जब तक वह बच्चे को जन्म नहीं देती। इसके अलावा, इद्दत के दौरान महिला को दूसरे पुरुषों से पर्दा करना होता है और सजने-संवरने पर भी पाबंदी होती है। यह प्रथा महिलाओं की स्वतंत्रता को सीमित करती है और इसे लेकर कई बार सवाल उठते रहे हैं। अब यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने के बाद इद्दत जैसी प्रथा भी समाप्त हो जाएगी।
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UCC लागू होने से और क्या बदलाव आएंगे?
यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) का उद्देश्य सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून बनाना है। इसके लागू होने से उत्तराखंड में कई महत्वपूर्ण बदलाव होंगे:
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शादी का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य: UCC लागू होने के बाद हर नागरिक को अपनी शादी का रजिस्ट्रेशन कराना होगा, चाहे वह किसी भी धर्म, जाति या संप्रदाय से संबंधित हो।
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तलाक का समान कानून: अब किसी भी धर्म या जाति के लिए तलाक का कानून समान होगा, जिससे धार्मिक भेदभाव खत्म होगा।
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शादी की न्यूनतम उम्र: सभी धर्मों में शादी की न्यूनतम उम्र 18 साल होगी, जिससे बाल विवाह पर रोक लगेगी।
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गोद लेने का अधिकार: अब सभी धर्मों के लोग बच्चे को गोद ले सकते हैं। हालांकि, कोई दूसरा धर्म का बच्चा गोद नहीं ले सकेगा।
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पति-पत्नी के जीवित रहने पर दूसरा विवाह अवैध: एक व्यक्ति के जीवित रहने पर दूसरी शादी करना पूरी तरह से प्रतिबंधित होगा।
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समान जायदाद का अधिकार: अब जायदाद में लड़के और लड़कियों को समान अधिकार मिलेगा, जो पहले केवल लड़कों को ही मिलता था।
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लिव-इन रिलेशनशिप: लिव-इन रिलेशनशिप को कानूनी रूप से मान्यता मिलेगी, और इसकी रजिस्ट्रेशन भी जरूरी होगी। यदि कोई लिव-इन रिलेशनशिप में है और उनकी उम्र 18 साल से कम है, तो उन्हें अपने माता-पिता की सहमति लेनी होगी।
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शेड्यूल ट्राइब को बाहर रखा गया: UCC के तहत शेड्यूल ट्राइब (आदिवासी समुदाय) को बाहर रखा गया है, और उनके पारंपरिक कानूनों का पालन किया जाएगा।
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UCC का समाज पर असर
यूनिफॉर्म सिविल कोड के लागू होने से उत्तराखंड में कई बदलाव आएंगे, जो समाज में समानता और न्याय को बढ़ावा देंगे। हलाला और इद्दत जैसी प्रथाओं के समाप्त होने से महिलाओं को अधिक स्वतंत्रता मिलेगी, और उनके अधिकारों की रक्षा की जाएगी। इसके साथ ही, परिवारों में समान अधिकारों का वितरण होने से सामाजिक न्याय सुनिश्चित होगा।
हालांकि, कुछ लोगों का कहना है कि UCC की वजह से धार्मिक स्वतंत्रता पर आघात हो सकता है, लेकिन यह भी सच है कि यह कदम भारत में समानता और एकता को बढ़ावा देगा।