Edited By Utsav Singh,Updated: 20 Nov, 2024 07:45 PM
एक समय में हिंदू धर्म में विवाह को सात जन्मों का रिश्ता माना जाता है, लेकिन आजकल इस रिश्ते की स्थिरता और मजबूती पर सवाल उठ रहे हैं। पिछले कुछ सालों में 50 साल से ऊपर की उम्र के दंपतियों के बीच तलाक के मामले तेजी से बढ़े हैं। इस उम्र में होने वाले...
नेशनल डेस्क : एक समय में हिंदू धर्म में विवाह को सात जन्मों का रिश्ता माना जाता है, लेकिन आजकल इस रिश्ते की स्थिरता और मजबूती पर सवाल उठ रहे हैं। अब तलाक लेना कोई अनहोनी बात नहीं रह गई है, और यह सिर्फ युवाओं तक ही सीमित नहीं है। बल्कि पिछले कुछ सालों में 50 साल से ऊपर की उम्र के दंपतियों के बीच तलाक के मामले तेजी से बढ़े हैं। इस उम्र में होने वाले तलाक को "ग्रे डिवोर्स" (Gray Divorce) कहा जाता है। यह एक नई सामाजिक स्थिति है, जो खासकर लंबी शादी के बाद सामने आती है। अब सवाल यह उठता है कि आखिर बुजुर्ग दंपति तलाक क्यों ले रहे हैं? इसके पीछे कुछ विशेष कारण हैं, जिनमें सबसे महत्वपूर्ण कारण "घोंसला सिंड्रोम" है।
घोंसला सिंड्रोम: बुजुर्गों में तलाक का बड़ा कारण
घोंसला सिंड्रोम उस स्थिति को कहते हैं जब माता-पिता अपने बच्चों के घर से बाहर जाने के बाद अकेलेपन का सामना करते हैं। बच्चों के बड़े होने के बाद वे या तो विदेश में नौकरी के लिए चले जाते हैं या किसी अन्य शहर में बस जाते हैं। इसके कारण माता-पिता घर में अकेले हो जाते हैं, जिससे उन्हें अकेलापन और मानसिक तनाव महसूस होने लगता है। अक्सर इस स्थिति में वे अपनी स्थिति को समझ नहीं पाते और रिश्तों में दूरी बढ़ने लगती है, जो अंततः तलाक का कारण बन जाती है।
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ग्रे डिवोर्स: बुजुर्गों में तलाक की नई ट्रेंड
ग्रे डिवोर्स उस स्थिति को कहते हैं जब 50-60 साल की उम्र के लोग अपने लंबे समय के वैवाहिक जीवन के बाद अलग हो जाते हैं। इस उम्र में तलाक को "सिल्वर स्प्लिटर्स" भी कहा जाता है, क्योंकि यह काफी देर बाद होता है, जब दंपति कई सालों तक एक-दूसरे के साथ रहते हैं। पिछले कुछ सालों में ग्रे डिवोर्स के मामले दुनिया भर में तेजी से बढ़े हैं। इसमें बच्चों के घर से बाहर जाने और अकेलेपन के कारण दंपतियों के बीच दरार पड़ जाती है, जो तलाक का कारण बनता है।
लेट तलाक के कारण
1. बच्चों से दूरी बनना
कई बार ऐसा भी होता है कि शादी के बाद बच्चों ने अपने माता-पिता से दूरी बना ली होती है। बच्चों का अपने माता-पिता से रिश्ता कम हो जाता है, जिससे तनाव और कलह बढ़ती है। ऐसे में दंपति अलग होने का फैसला ले लेते हैं, क्योंकि वे महसूस करते हैं कि अब उनका रिश्ता पहले जैसा नहीं रहा।
2. एक दूसरे से लगाव का खत्म होना
कुछ समय बाद, लंबे समय तक एक साथ रहने के बाद पति-पत्नी के बीच लगाव खत्म होने लगता है। बात-बात पर झगड़े होने लगते हैं, और बच्चों के आत्मनिर्भर होने के बाद दंपति अपनी ज़िन्दगी अलग तरीके से जीने का निर्णय लेते हैं। इस बदलाव के कारण तलाक के मामलों में इजाफा होता है।
3. अपेक्षाओं का न पूरा होना
शादी के बाद दोनों पार्टनर्स एक-दूसरे से अपेक्षाएं रखते हैं। इन अपेक्षाओं को पूरा करते हुए उनकी ज़िन्दगी निकल जाती है। लेकिन एक समय आता है जब अपेक्षाएं पूरी करना मुश्किल हो जाता है और इस तनाव से रिश्तों में दरार आ जाती है, जिससे तलाक की संभावना बढ़ जाती है।
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4. एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर
आजकल सोशल मीडिया के प्रभाव से लोग नई-नई दोस्ती और रिश्ते बना रहे हैं। यह समस्या सिर्फ युवाओं तक ही सीमित नहीं है, बल्कि कई बुजुर्गों में भी एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर (बाहरी संबंध) होते हैं। जब एक पार्टनर किसी अन्य व्यक्ति से संबंध बनाता है, तो यह रिश्ते को तोड़ने का कारण बनता है और तलाक की स्थिति पैदा होती है।
5. बच्चों का विदेश जाना: अकेलेपन का एहसास
बुजुर्गों में तलाक का एक मुख्य कारण उनका अकेलापन है। उम्र के इस पड़ाव में ज्यादातर दंपति के बच्चे विदेश में बस गए होते हैं या फिर वे काम के सिलसिले में दूसरे शहरों में रहते हैं। ऐसे में माता-पिता अकेले रह जाते हैं, और रिश्ते में तनाव बढ़ने पर वे तलाक लेने का निर्णय लेते हैं।
बुजुर्गों के बीच तलाक के बढ़ते मामलों को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। इसके पीछे कई कारण हैं जैसे अकेलापन, बच्चों का दूर होना, अपेक्षाओं का न पूरा होना, और बाहरी संबंध। समाज को चाहिए कि वे बुजुर्ग दंपतियों के बीच बढ़ते तनाव और समस्याओं को समझें और उन्हें मदद देने की कोशिश करें। "घोंसला सिंड्रोम" और "ग्रे डिवोर्स" जैसे मुद्दे समाज में एक महत्वपूर्ण चर्चा का हिस्सा बन गए हैं, जो यह दर्शाता है कि विवाह और रिश्ते समय और परिस्थिति के हिसाब से बदलते हैं।