Edited By Mahima,Updated: 05 Mar, 2025 12:07 PM

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2 अप्रैल 2025 से भारत पर रेसिप्रोकल टैरिफ नीति लागू करने की घोषणा की है। इसके तहत अमेरिका और भारत एक-दूसरे पर समान टैक्स लगाएंगे, जिससे व्यापार संतुलन बनाने की कोशिश की जाएगी। हालांकि, यह नीति व्यापार युद्ध,...
नेशनल डेस्क: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2 अप्रैल 2025 से भारत पर रेसिप्रोकल टैरिफ नीति लागू करने की घोषणा की है। ट्रंप का कहना है कि भारत अमेरिकी उत्पादों पर 100 फीसदी से ज्यादा टैक्स लगाता है, जबकि अमेरिका ने भारतीय उत्पादों पर बहुत कम टैक्स लगाया है। इस घोषणा के बाद, अमेरिका अब भारतीय उत्पादों पर उसी तरह का टैक्स लगाएगा जैसा भारत अमेरिकी उत्पादों पर लगाता है। इस कदम से भारत के लिए व्यापार की स्थिति बदल सकती है, खासकर उन उत्पादों पर जो अमेरिकी बाजार में निर्यात किए जाते हैं।
जानिए रेसिप्रोकल टैरिफ का अर्थ क्या है ?
"रेसिप्रोकल" का मतलब होता है प्रतिशोधात्मक या "जैसे को तैसा" नीति। इसका उद्देश्य यह है कि अगर एक देश दूसरे देश के उत्पादों पर उच्च टैक्स या शुल्क लगाता है, तो वह देश भी उसी तरह का टैक्स दूसरे देश के उत्पादों पर लगाए। यह एक प्रकार की व्यापारिक रणनीति है जो व्यापारिक संतुलन को बनाए रखने के लिए लागू की जाती है।
मुख्य उद्देश्य:
1. व्यापार संतुलन: इसका मुख्य उद्देश्य यह है कि कोई देश दूसरे देश के सामान पर अत्यधिक टैक्स न लगाए, जिससे दोनों देशों के बीच व्यापारिक संतुलन बना रहे।
2. स्थानीय उद्योगों की सुरक्षा: जब विदेशी उत्पाद महंगे हो जाते हैं, तो स्थानीय उद्योगों को फायदा होता है, क्योंकि उपभोक्ता अधिक महंगे विदेशी सामान को छोड़कर स्वदेशी उत्पादों को प्राथमिकता देने लगते हैं।
3. व्यापार वार्ता में उपकरण: कई बार देशों के बीच व्यापारिक विवादों को हल करने के लिए रेसिप्रोकल टैरिफ नीति का इस्तेमाल एक दबाव बनाने के तौर पर किया जाता है। जब एक देश अपने उत्पादों पर उच्च टैक्स लगाता है, तो दूसरा देश भी अपनी ओर से ऐसा ही कदम उठा सकता है ताकि पहले वाले देश से टैक्स कम करने की मांग की जा सके।
रेसिप्रोकल टैरिफ के फायदे और नुकसा
फायदे:
1. व्यापार संतुलन: रेसिप्रोकल टैरिफ नीति से व्यापार में संतुलन स्थापित होता है, जिससे दोनों देशों के बीच असंतुलन कम हो सकता है।
2. स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा: विदेशी सामान महंगे होने से, स्थानीय उत्पादों की बिक्री में इजाफा होता है, जिससे देश के भीतर उद्योगों को बढ़ावा मिलता है।
3. सुनिश्चित व्यापार सुरक्षा: जब दोनों देश एक-दूसरे पर समान टैक्स लगाते हैं, तो यह व्यापारिक रिश्तों को अधिक पारदर्शी बनाता है।
नुकसान:
1. व्यापार युद्ध (Trade War): अगर दोनों देश एक-दूसरे पर लगातार टैक्स बढ़ाते रहें, तो यह स्थिति व्यापार युद्ध में बदल सकती है। इससे व्यापार में अराजकता फैल सकती है और दोनों देशों की अर्थव्यवस्था को नुकसान हो सकता है।
2. महंगाई (Inflation): जब विदेशी सामान महंगे हो जाते हैं, तो उपभोक्ताओं को अधिक पैसे खर्च करने पड़ सकते हैं, जिससे महंगाई का दबाव बढ़ सकता है।
3. आपूर्ति श्रृंखला में बाधाएं (Supply Chain Disruptions): व्यापार युद्ध और एक-दूसरे पर टैरिफ लगाने से वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला प्रभावित हो सकती है, जो उत्पादों की उपलब्धता और कीमतों को प्रभावित कर सकती है।
रेसिप्रोकल टैरिफ का इतिहास
रेसिप्रोकल टैरिफ की शुरुआत 19वीं सदी में हुई थी, जब 1860 में ब्रिटेन और फ्रांस के बीच कोबडेन-शेवेलियर संधि के तहत दोनों देशों ने अपने टैरिफ दरों को कम करने पर सहमति जताई थी। इसके बाद, 1930 के दशक में अमेरिका ने स्मूट-हॉले टैरिफ एक्ट लागू किया था, जिससे वैश्विक व्यापार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा और महामंदी (Great Depression) में वृद्धि हुई थी। हाल के दशकों में, रेसिप्रोकल टैरिफ नीति को और अधिक जोरों से अपनाया गया है। डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद, उन्होंने चीन, यूरोपीय संघ और अन्य देशों के खिलाफ व्यापारिक विवादों में रेसिप्रोकल टैरिफ का इस्तेमाल किया था, जिसके जवाब में इन देशों ने भी अमेरिकी उत्पादों पर शुल्क लगाया। ट्रंप प्रशासन ने दावा किया था कि यह कदम अमेरिकी कंपनियों और श्रमिकों के हित में लिया गया था।
अमेरिका में भारतीय उत्पादों की कीमत बढ़ सकती है
भारत पर 2 अप्रैल से रेसिप्रोकल टैरिफ लागू होने के बाद, भारतीय निर्यातकों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। अमेरिका में भारतीय उत्पादों की कीमत बढ़ सकती है, खासकर उन उत्पादों की जो अमेरिकी बाजार में लोकप्रिय हैं। इसके अलावा, यह भारत और अमेरिका के व्यापारिक रिश्तों में तनाव भी पैदा कर सकता है। हालांकि, भारत सरकार इस स्थिति से निपटने के लिए व्यापारिक वार्ता और रणनीतिक कदम उठा सकती है, ताकि दोनों देशों के बीच समझौता हो सके और व्यापार में संतुलन बना रहे।