Edited By Rohini Oberoi,Updated: 20 Jan, 2025 03:35 PM
जब एक महिला पहले स्वस्थ बच्चा जन्म देती है लेकिन बाद में वह गर्भवती नहीं हो पाती तो इसे सेकेंडरी इनफर्टिलिटी कहा जाता है। यह समस्या महिला या पुरुष में से किसी भी एक कारण से हो सकती है। इसके कई कारण हो सकते हैं जैसे महिलाओं की अधिक उम्र, खराब...
नेशनल डेस्क। जब एक महिला पहले स्वस्थ बच्चा जन्म देती है लेकिन बाद में वह गर्भवती नहीं हो पाती तो इसे सेकेंडरी इनफर्टिलिटी कहा जाता है। यह समस्या महिला या पुरुष में से किसी भी एक कारण से हो सकती है। इसके कई कारण हो सकते हैं जैसे महिलाओं की अधिक उम्र, खराब लाइफस्टाइल, हार्मोनल असंतुलन, ओवरी में समस्याएं या पुरुष के कमजोर शुक्राणु। इस स्थिति में एक महिला पहले बच्चा तो जन्म देती है लेकिन बाद में वह स्वाभाविक रूप से मां नहीं बन पाती है।
डॉ चंचल शर्मा के अनुसार क्या कारण होते हैं?
दिल्ली की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ चंचल शर्मा के मुताबिक वह कई ऐसे कपल्स को देखती हैं जो पहले बच्चे के लिए तो 2 साल में सफल हो गए लेकिन दूसरे बच्चे के लिए 7 साल से प्रयास कर रहे हैं लेकिन कोई सफलता नहीं मिल रही। ऐसी स्थिति में कपल्स काफी परेशान हो जाते हैं और डॉक्टर के पास जाते रहते हैं।
सेकेंडरी इनफर्टिलिटी के कारण:
➤ एंडोमेट्रिओसिस: यह एक ऐसा रोग है जिसमें गर्भाशय के अंदर बनने वाली परत गर्भाशय के बाहर अन्य प्रजनन अंगों में फैलने लगती है जिससे ओवरी या ट्यूब में समस्या आ सकती है।
➤ हार्मोनल असंतुलन: महिलाओं में हार्मोनल असंतुलन की समस्या भी सेकेंडरी इनफर्टिलिटी का कारण बन सकती है।
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➤ मिसकैरेज: अगर महिला को पहले मिसकैरेज हुआ है तो भी बाद में गर्भधारण में दिक्कत आ सकती है।
➤ उम्र और समय: एक शोध के अनुसार अगर कपल ने पहले और दूसरे बच्चे के बीच 5 साल से ज्यादा का गैप रखा है तो महिला के अंडाणु की गुणवत्ता घट सकती है जिससे गर्भवती होने में परेशानी हो सकती है।
सेकेंडरी इनफर्टिलिटी से प्रभावित महिलाएं:
एक रिसर्च के अनुसार दुनिया भर में लगभग 20 प्रतिशत कपल्स ऐसे हैं जो दूसरे बच्चे के लिए प्रयास करते हैं लेकिन सफल नहीं हो पाते। यह समस्या अब काफी आम हो गई है लेकिन इसके इलाज के उपाय उपलब्ध हैं।
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आयुर्वेद में इलाज:
डॉ चंचल शर्मा कहती हैं कि आयुर्वेद में सेकेंडरी इनफर्टिलिटी का इलाज संभव है। इसमें कोई सर्जरी की आवश्यकता नहीं होती बल्कि पंचकर्म थेरेपी, आयुर्वेदिक दवाएं, डाइट और एक्सरसाइज के जरिए इस समस्या का इलाज किया जा सकता है। आयुर्वेद के इलाज का कोई साइड इफ़ेक्ट भी नहीं होता।