16th BRICS Summit : क्या है BRICS समिट जिसमें शामिल होने के लिए रूस जाएंगे PM मोदी

Edited By Utsav Singh,Updated: 19 Oct, 2024 04:31 PM

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PM मोदी रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के निमंत्रण पर आगामी 23 और 24 अक्टूबर को BRICS शिखर सम्मेलन में शिरकत करेंगे। पिछले साल यह शिखर सम्मेलन दक्षिण अफ्रीका के जोहानिसबर्ग में आयोजित किया गया था, जबकि इस वर्ष यह रूस के कजान शहर में हो रहा है।

नेशनल डेस्क : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के निमंत्रण पर 22-23 अक्टूबर 2024 को रूस की यात्रा करेंगे। इस दौरान वह BRICS शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। इस बात की जानकारी विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को दी। यह BRICS शिखर सम्मेलन की 16वीं बैठक होगी, जो रूस के कजान शहर में आयोजित की जाएगी। इस सम्मेलन में विभिन्न विकासशील देशों के नेताओं के बीच आर्थिक और राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा की जाएगी, जो वैश्विक स्तर पर सहयोग को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण होगा।

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क्या है BRICS शिखर सम्मेलन ?
BRICS एक अंतरराष्ट्रीय समूह है जिसमें पांच प्रमुख उभरती अर्थव्यवस्थाएं शामिल हैं: ब्राजील, रूस, भारत, चीन, और दक्षिण अफ्रीका। इस समूह का उद्देश्य आर्थिक विकास, राजनीतिक सहयोग, और सामाजिक प्रगति को बढ़ावा देना है। वहीं ईरान, मिस्र, इथियोपिया, और संयुक्त अरब अमीरात इसी साल जनवरी से BRICS के नए सदस्य देश बने हैं। ये देश समूह के साथ अपने आर्थिक और राजनीतिक सहयोग को बढ़ाने की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं। हालांकि, सऊदी अरब अभी तक BRICS का पूर्णकालिक सदस्य नहीं बना है। वह केवल आमंत्रित सदस्य के रूप में इसमें भाग ले रहा है। यह स्थिति BRICS के विस्तार और इसके सदस्यों की विविधता को दर्शाती है, जो वैश्विक स्तर पर प्रभाव बढ़ाने के लिए एकजुट हो रहे हैं।

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BRICS शिखर सम्मेलन का महत्व
BRICS शिखर सम्मेलन का आयोजन हर साल किया जाता है, जिसमें सदस्य देशों के नेता एकत्रित होकर विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करते हैं। यह शिखर सम्मेलन अंतरराष्ट्रीय नीतियों, व्यापार, निवेश, और सुरक्षा के विषयों पर ध्यान केंद्रित करता है। BRICS शिखर सम्मेलन एक महत्वपूर्ण मंच है, जो विकासशील देशों के लिए वैश्विक मुद्दों पर चर्चा करने का अवसर प्रदान करता है। यह आर्थिक और राजनीतिक सहयोग को बढ़ावा देने का एक महत्वपूर्ण साधन है, जिससे BRICS देशों की आवाज वैश्विक स्तर पर सुनी जा सके।

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शिखर सम्मेलन की प्रमुख विशेषताएं

  • आर्थिक सहयोग: BRICS देशों के बीच व्यापार और निवेश को बढ़ाने के लिए विभिन्न पहलें की जाती हैं।

  • राजनीतिक संवाद: सदस्य देश वैश्विक मुद्दों, जैसे जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद, और वैश्विक स्वास्थ्य पर चर्चा करते हैं।

  • विकास संबंधी मुद्दे: शिखर सम्मेलन में विकासशील देशों के मुद्दों पर ध्यान दिया जाता है, जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, और बुनियादी ढांचे का विकास।

  • संस्थानिक सहयोग: BRICS एक न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB) की स्थापना कर चुका है, जिसका उद्देश्य विकास परियोजनाओं के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना है।

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शिखर सम्मेलन के परिणाम
हर शिखर सम्मेलन के बाद एक संयुक्त घोषणा पत्र जारी किया जाता है, जिसमें सभी सदस्यों द्वारा सहमति से लिए गए निर्णयों और प्रस्तावों का उल्लेख होता है। यह घोषणापत्र वैश्विक समुदाय के सामने BRICS का दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है। BRICS संगठन औचारिक तौर पर किसी देश के खिलाफ नहीं है, लेकिन इसे विकासशील देशों की सशक्त आवाज के रूप में देखा जाता है। यह संगठन वैश्विक स्तर पर आर्थिक और राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा करने और सहयोग बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण मंच है। संगठन की प्रभावशीलता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि संयुक्त रूप से, BRICS सदस्य देशों के पास विश्व की भूमि का लगभग 30 फीसदी और वैश्विक जनसंख्या का 45 फीसदी हिस्सा है। यह संख्या इस बात को दर्शाती है कि BRICS केवल एक आर्थिक समूह नहीं है, बल्कि यह एक महत्वपूर्ण भू-राजनीतिक बल भी है, जो विकासशील देशों के हितों को प्राथमिकता देने का प्रयास करता है।

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BRICS शिखर सम्मेलन का इतिहास
BRICS का पहला शिखर सम्मेलन 2009 में युजेन, रूस में आयोजित किया गया था। इसके बाद से यह सम्मेलन हर साल आयोजित होता है, और इसमें विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की जाती है। दक्षिण अफ्रीका का समावेश 2010 में हुआ, जिसके बाद समूह का नाम BRICS हो गया।

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2024 का BRICS शिखर सम्मेलन
आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 22 और 23 अक्टूबर को रूस के कजान में आयोजित होने वाली BRICS शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। विदेश मंत्रालय ने इस बात की जानकारी दी है। इस बैठक के दौरान, मोदी सदस्य देशों के नेताओं के साथ द्विपक्षीय वार्ता भी करेंगे। इस साल की 16वीं BRICS समिट की अध्यक्षता की जिम्मेदारी रूस को सौंपी गई है। वहीं इस सम्मेलन में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी शामिल होंगे, और यह संभावना जताई जा रही है कि पीएम मोदी और जिनपिंग के बीच द्विपक्षीय मुलाकात हो सकती है। यह बैठक दोनों नेताओं के लिए महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करने का एक अवसर प्रदान करेगी।

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