Edited By Pardeep,Updated: 12 Nov, 2024 09:27 PM
हमने अक्सर देखा है कि फॉर्म्स में 'सेक्स' और 'जेंडर' से जुड़ी टर्म्स पूछी जाती हैं। यह दोनों शब्द एक जैसे लग सकते हैं, लेकिन इनके बीच महत्वपूर्ण अंतर है। इन दोनों शब्दों के अर्थ अलग-अलग हैं और इन्हें एक दूसरे के स्थान पर इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।...
नेशनल डेस्कः हमने अक्सर देखा है कि फॉर्म्स में 'सेक्स' और 'जेंडर' से जुड़ी टर्म्स पूछी जाती हैं। यह दोनों शब्द एक जैसे लग सकते हैं, लेकिन इनके बीच महत्वपूर्ण अंतर है। इन दोनों शब्दों के अर्थ अलग-अलग हैं और इन्हें एक दूसरे के स्थान पर इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। चलिए, हम इस अंतर को समझते हैं और यह भी जानते हैं कि इन शब्दों का उपयोग कैसे होता है।
सेक्स: बायोलॉजिकल पहचान
‘सेक्स’ एक बायोलॉजिकल अवधारणा है, जो एक व्यक्ति के शारीरिक लक्षणों पर आधारित होती है, जैसे कि जेनिटल्स, हार्मोनल स्तर, और क्रोमोजोमल संरचना। जन्म के समय डॉक्टर व्यक्ति के सेक्स का निर्धारण करते हैं, जो सामान्यतः मेल, फीमेल या इंटरसेक्स (जो मेल या फीमेल से मेल न खाता हो) होता है।
सेक्स की तीन मुख्य श्रेणियां:
मेल: जिनके शरीर में XY क्रोमोजोम होते हैं और मेल जेनिटल्स होते हैं।
फीमेल: जिनके शरीर में XX क्रोमोजोम होते हैं और फीमेल जेनिटल्स होते हैं।
इंटरसेक्स: जिनका सेक्सुअल डेवलपमेंट मेल या फीमेल के सामान्य मानकों से अलग होता है, और उन्हें इन श्रेणियों में से किसी में भी नहीं डाला जा सकता।
जेंडर: पहचान और सामाजिक निर्माण
‘जेंडर’ एक मानसिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अवधारणा है, जो एक व्यक्ति की पहचान, समाज में उनके स्थान और उनके व्यवहार से जुड़ी होती है। यह बायोलॉजिकल सेक्स से अलग है और किसी व्यक्ति की व्यक्तिगत पहचान और समाज के द्वारा निर्धारित भूमिकाओं से संबंधित है। जेंडर समय के साथ बदल भी सकता है, और यह किसी व्यक्ति के समाज और संस्कृति में निभाई जाने वाली भूमिका पर आधारित होता है।
जेंडर एक ऐसी विशेषता है जो सिर्फ सेक्स पर निर्भर नहीं करती, बल्कि यह व्यक्ति की आंतरिक पहचान, भावनाओं और सामाजिक असाइनमेंट पर भी आधारित होती है। उदाहरण के लिए, एक व्यक्ति जो जन्म के समय महिला के रूप में पहचाना गया था, लेकिन बाद में वह अपने आप को पुरुष या गैर-बाइनरी के रूप में पहचानता है, तो यह उसकी जेंडर आइडेंटिटी है, जो उसके सेक्स से मेल नहीं खाती।
सेक्स और जेंडर के बीच अंतर
सेक्स: बायोलॉजिकल और शारीरिक लक्षणों पर आधारित होता है।
जेंडर: मानसिक, सामाजिक, और सांस्कृतिक पहचान और भूमिका पर आधारित होता है, जो एक व्यक्ति की आंतरिक पहचान से संबंधित होता है।
बाइनरी और नॉन-बाइनरी जेंडर
जब हम जेंडर की बात करते हैं, तो आमतौर पर हम दो प्रकार के जेंडर के बारे में बात करते हैं — मेल और फीमेल। लेकिन यह सिर्फ एक सामाजिक ढांचा है। बहुत से लोग अपने जेंडर आइडेंटिटी को मेल और फीमेल के अलावा किसी और तरीके से पहचानते हैं। उन्हें नॉन-बाइनरी, ट्रांसजेंडर, या अन्य जेंडर आइडेंटिटी के रूप में पहचाना जाता है।
बाइनरी जेंडर: जब किसी व्यक्ति का जेंडर और सेक्स मेल खाता है, तो उसे बाइनरी जेंडर कहा जाता है (जैसे, एक व्यक्ति जो जन्म से मेल है और खुद को मेल के रूप में पहचानता है)।
नॉन-बाइनरी: जब किसी व्यक्ति का जेंडर उनके सेक्स से मेल नहीं खाता, तो उसे नॉन-बाइनरी कहा जाता है। इसमें ट्रांसजेंडर, जेंडरक्वियर, और अन्य जेंडर पहचान शामिल हो सकती हैं।
जेंडर की विभिन्न श्रेणियां और परिभाषाएं:
Cisgender: ऐसे लोग जिनका जेंडर और सेक्स जन्म के समय असाइन किया गया जेंडर से मेल खाता है।
Transgender: ऐसे लोग जिनका जेंडर जन्म के समय निर्धारित सेक्स से मेल नहीं खाता है। वे अपना जेंडर बदल सकते हैं या उस पहचान को अपना सकते हैं जो उनकी आंतरिक भावना से मेल खाती है।
Non-Binary: यह एक umbrella term है, जिसमें वो लोग आते हैं जो खुद को न तो पूरी तरह से मेल मानते हैं और न ही पूरी तरह से फीमेल।
Genderfluid: ऐसे लोग जिनका जेंडर समय के साथ बदलता रहता है, यानी वे कभी खुद को पुरुष जैसा महसूस करते हैं, तो कभी महिला जैसा।
Agender: ऐसे लोग जो किसी भी जेंडर से पहचान नहीं करते, यानी उनके पास किसी एक विशेष जेंडर की पहचान नहीं होती।
Bigender: ऐसे लोग जो दोनों, मेल और फीमेल जेंडर के बीच में स्विच करते हैं।
Genderqueer: यह एक और umbrella term है जो उन लोगों के लिए उपयोग किया जाता है जो पुरुष या महिला के पारंपरिक जेंडर लक्षणों से अलग पहचान बनाते हैं।
जेंडर और सेक्स के संदर्भ में फॉर्म्स
अधिकांश फॉर्म्स में सेक्स और जेंडर के लिए अलग-अलग विकल्प दिए जाते हैं। जहां एक ओर कुछ फॉर्म्स में सिर्फ पुरुष (Male) और महिला (Female) के विकल्प होते हैं, वहीं कुछ फॉर्म्स में नॉन-बाइनरी, ट्रांसजेंडर, और अन्य विकल्प भी दिए जाते हैं। एक जेंडर-न्यूट्रल माहौल में फॉर्म्स में अक्सर सिर्फ 'जेंडर' का ही उल्लेख होता है। अंततः, यह जरूरी है कि हम जेंडर और सेक्स को समझते हुए उन व्यक्तियों की पहचान और अनुभव का सम्मान करें जो पारंपरिक जेंडर मापदंडों से अलग हैं। जैसे-जैसे समाज और संस्कृति विकसित हो रही है, वैसे-वैसे जेंडर पहचान को लेकर जागरूकता और स्वीकृति भी बढ़ रही है।
जेंडर और सेक्स के बीच का अंतर समझना, समाज के विभिन्न वर्गों के प्रति संवेदनशीलता और सम्मान को बढ़ाता है। समाज को यह समझने की आवश्यकता है कि जेंडर केवल एक सामाजिक निर्माण नहीं है, बल्कि यह व्यक्ति की आंतरिक पहचान से जुड़ी है, और इसे अधिक समावेशी और समान्य बनाने के लिए हमें इन अवधारणाओं को सही तरीके से समझना चाहिए।