Edited By Utsav Singh,Updated: 20 Aug, 2024 08:39 PM
मंकीपॉक्स (Monkeypox) एक दुर्लभ वायरल बीमारी है जो मूलतः प्राइमेट्स, जैसे कि बंदरों, में पाई जाती है, लेकिन यह इंसानों में भी फैल रही है। यह बीमारी एक तरह के पॉक्सवायरस (Poxvirus) द्वारा उत्पन्न होती है और इसके लक्षण अधिकांशतः चेचक के लक्षणों के...
नेशनल डेस्क : दुनियाभर में मंकीपॉक्स (Monkeypox) के बढ़ते खतरे के मद्देनजर, भारत में इसके प्रभाव को लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक समीक्षा बैठक की। यह बैठक शनिवार को आयोजित की गई, जिसमें मंत्रालय ने मंकीपॉक्स की स्थिति और इसके संभावित खतरों पर चर्चा की। मंत्रालय ने बैठक में जानकारी दी कि भारत में फिलहाल मंकीपॉक्स का कोई मामला सामने नहीं आया है। यह सूचना देशभर में राहत की बात है, लेकिन सवाल यह है कि ये बीमारी क्या है और कब पहली बार सामने आई थी।
क्या है मंकीपॉक्स ?
मंकीपॉक्स एक दुर्लभ वायरल बीमारी है जो मूलतः प्राइमेट्स, जैसे कि बंदरों, में पाई जाती है, लेकिन यह इंसानों में भी फैल रही है। यह बीमारी एक तरह के पॉक्सवायरस (Poxvirus) द्वारा उत्पन्न होती है और इसके लक्षण अधिकांशतः चेचक के लक्षणों के समान होते हैं, लेकिन अपेक्षाकृत हल्के होते हैं। यह वायरस संक्रमित व्यक्ति या जानवर के निकट संपर्क से फैलता है। इंसानों में यह त्वचा के घावों के संपर्क, त्वचा से त्वचा के संपर्क और संक्रमित व्यक्ति के बहुत करीब बात करने या सांस लेने से फैल सकता है। यह दूषित वस्तुओं जैसे सतहों, बिस्तर, कपड़ों और तौलिये के माध्यम से भी फैल सकता है, क्योंकि वायरस शरीर में टूटी हुई त्वचा, श्वसन तंत्र या आंख, नाक और मुंह के माध्यम से प्रवेश करता है।
मंकीपॉक्स के लक्षण
मंकीपॉक्स के लक्षण आमतौर पर वायरस से संपर्क के बाद 5 से 21 दिनों के भीतर दिखाई देते हैं और इसमें शामिल हो सकते हैं:
- बुखार
- ठंड लगना और पसीना आना
- सिरदर्द
- मांसपेशियों और पीठ में दर्द
- थकावट
- सूजी हुई लिम्फ नोड्स
- त्वचा पर दाने जो धीरे-धीरे मांसपेशियों के फफोले और फिर पपड़ी में बदल जाते हैं।
अन्य लोगों में संचारण
मंकीपॉक्स का संचारण आमतौर पर संक्रमित जानवरों (जैसे कि बंदर, चूहे या सुअर) के संपर्क में आने से होता है, लेकिन यह मानव से मानव में भी फैल सकता है। संचारण के मुख्य रास्ते में शामिल हैं:
- सीधे त्वचा से त्वचा का संपर्क
- संक्रमित व्यक्ति के दाने, या उनके द्वारा इस्तेमाल किए गए वस्त्रों के संपर्क में आना
- श्वास नली की बूंदों के माध्यम से
1970 में आया था पहला मामला?
मंकीपॉक्स की पहचान पहली बार 1958 में की गई थी, जब दो अलग-अलग कॉलोनियों में बंदरों में एक अज्ञात बीमारी का प्रकोप हुआ था। हालांकि, इसका पहला मानव मामला 1970 में दर्ज किया गया था। पहला मानव मामला कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य (पूर्व में ज़ैरे) में रिपोर्ट किया गया था। इस दौरान एक 9 वर्षीय बच्चे में मंकीपॉक्स के लक्षण देखे गए थे, जो कि जंगल के इलाके में रहने वाला था और संभावित रूप से संक्रमित जानवरों के संपर्क में आया था। इस बच्चे के लक्षणों में बुखार और त्वचा पर दाने शामिल थे, और वायरस का इलाज संभव नहीं था।
कितना है खतरनाक?
मंकीपॉक्स की गंभीरता व्यक्ति की सेहत और वायरस के स्ट्रेन पर निर्भर करती है। अधिकांश मामलों में, यह बीमारी हल्की होती है और अधिकतर लोग पूर्ण रूप से ठीक हो जाते हैं। हालांकि, कुछ मामलों में यह गंभीर हो सकती है, विशेषकर बच्चों, गर्भवती महिलाओं, या ऐसे लोगों में जिनकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर है।
इलाज और रोकथाम
- इलाज: मंकीपॉक्स के लिए विशिष्ट एंटीवायरल दवाएं नहीं हैं, लेकिन लक्षणों का इलाज जैसे कि बुखार और दर्द को राहत देने के लिए किया जा सकता है। कुछ मामलों में, डॉक्टर समर्थनात्मक देखभाल की सलाह दे सकते हैं। हालांकि कुछ एंटीवायरल दवाओं का परीक्षण किया जा रहा है। "हालांकि, टीकाकरण है, जो जोखिम को कम करने में प्रभावी है।
- रोकथाम: संक्रमित व्यक्तियों से संपर्क से बचने, व्यक्तिगत स्वच्छता बनाए रखने, और संक्रमित जानवरों से दूर रहने से मंकीपॉक्स की रोकथाम की जा सकती है।
मंकीपॉक्स के मामले कुछ देशों में अधिक आम हो गए हैं, और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और स्थानीय स्वास्थ्य विभाग इसे नियंत्रित करने के लिए कदम उठा रहे हैं। यदि आपको मंकीपॉक्स के लक्षण दिखते हैं या आप किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आए हैं, तो चिकित्सा सहायता प्राप्त करना महत्वपूर्ण है।
WHO ने घोषित की ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और अफ्रीका सीडीसी ने इस सप्ताह चार नए देशों सहित अफ्रीका के 13 देशों में फैले नवीनतम प्रकोप के बाद मंकीपॉक्स को ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया है। आज की तारीख तक भारत में मंकीपॉक्स के कोई मामला दर्ज नहीं किया गया है।