Waqf Amendment Bill 2024: भारत में कुल गरीबों में मुसलमानों की हिस्सेदारी कितनी है?

Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 03 Apr, 2025 04:52 PM

what is the share of muslims among the total poor in india

वक्फ संशोधन बिल पर देश में जबरदस्त चर्चा हो रही है। बीते दिन आधी रात को लोकसभा में इस बिल को मंजूरी मिली, जिसके पक्ष में 288 वोट पड़े और 232 सांसदों ने इसके खिलाफ मतदान किया। आज किरेन रिजिजू ने इसे राज्यसभा में पेश किया...

नेशनल डेस्क: वक्फ संशोधन बिल पर देश में जबरदस्त चर्चा हो रही है। बीते दिन आधी रात को लोकसभा में इस बिल को मंजूरी मिली, जिसके पक्ष में 288 वोट पड़े और 232 सांसदों ने इसके खिलाफ मतदान किया। आज किरेन रिजिजू ने इसे राज्यसभा में पेश किया, जहां इसे लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी बहस जारी है। इस विधेयक का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के बेहतर प्रबंधन को सुनिश्चित करना है। लेकिन इस बहस के दौरान बार-बार गरीब मुसलमानों की स्थिति का जिक्र किया जा रहा है। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि भारत में कुल गरीबों में मुसलमानों की हिस्सेदारी कितनी है।

भारत में गरीब मुसलमानों की स्थिति

भारत एक बहुधर्मी देश है, जहां हिंदू, मुसलमान, सिख, ईसाई और जैन समुदायों के लोग रहते हैं। हालिया रिपोर्टों के अनुसार, गरीबी के मामले में मुस्लिम समुदाय की स्थिति अन्य समुदायों की तुलना में अधिक चिंताजनक है। ऑल इंडिया डेब्ट्स एंड इन्वेस्टमेंट (AIDIS) और पीरियोडिक लेबर फोर्स सर्वे (PLFS) की रिपोर्ट के मुताबिक, देश में गरीबी से सबसे ज्यादा प्रभावित समुदाय मुस्लिम हैं। साल 2010 में नेशनल काउंसिल फॉर एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च (NCAER) की रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत में 31% मुसलमान गरीबी रेखा से नीचे जीवन बिता रहे हैं। वहीं, वैश्विक बहुआयामी गरीबी सूचकांक 2024 (Global Multidimensional Poverty Index 2024) के अनुसार, पूरी दुनिया में 110 करोड़ लोग बहुआयामी गरीबी में जीवन यापन कर रहे हैं, जिनमें से 23.4 करोड़ गरीब भारत में रहते हैं। इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत में गरीबी में कमी की रफ्तार काफी धीमी रही है।

गरीबी घटने की गति धीमी

गरीबी कम होने की दर को देखें तो 2005-06 से 2015-16 के बीच बहुआयामी गरीबी की दर 2.7% प्रतिवर्ष घट रही थी। लेकिन 2015-16 से 2019-21 के बीच यह दर घटकर केवल 2.3% रह गई। यह दर्शाता है कि भारत में गरीबी कम होने की गति पहले की तुलना में धीमी हो गई है।

मुसलमानों की औसत संपत्ति और रोजगार की स्थिति

ऑल इंडिया डेब्ट्स एंड इन्वेस्टमेंट (AIDIS) और पीरियोडिक लेबर फोर्स सर्वे (PLFS) की रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि उच्च वर्ग के मुस्लिम भी हिंदू ओबीसी की तुलना में आर्थिक रूप से कमजोर हैं। 2018 में जारी रिपोर्ट के मुताबिक, मुस्लिम समुदाय की औसत संपत्ति की कुल वैल्यू मात्र 15,57,638 रुपये थी। वहीं, मुसलमानों की नौकरी में हिस्सेदारी भी अन्य समुदायों की तुलना में कम है। इसकी प्रमुख वजह शिक्षा में कमी और रोजगार के अवसरों की सीमित उपलब्धता है।

 

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