Edited By Rohini,Updated: 08 Jan, 2025 12:25 PM
आजकल हम सभी डिजिटल डिवाइसेज जैसे कि मोबाइल फोन, लैपटॉप और टीवी स्क्रीन का उपयोग बहुत करते हैं। हमारे माता-पिता अक्सर हमें सलाह देते हैं कि इन स्क्रीन से ज्यादा समय नहीं बिताना चाहिए क्योंकि इससे हमारी आंखों पर बुरा असर पड़ सकता है। विज्ञान के अनुसार...
नेशनल डेस्क। आजकल हम सभी डिजिटल डिवाइसेज जैसे कि मोबाइल फोन, लैपटॉप और टीवी स्क्रीन का उपयोग बहुत करते हैं। हमारे माता-पिता अक्सर हमें सलाह देते हैं कि इन स्क्रीन से ज्यादा समय नहीं बिताना चाहिए क्योंकि इससे हमारी आंखों पर बुरा असर पड़ सकता है। विज्ञान के अनुसार यह सच है कि लंबे समय तक इन स्क्रीन के संपर्क में रहने से हमारी आंखों के साथ-साथ हमारी सेहत पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। खासकर ये डिजिटल डिवाइसेज नीली रोशनी उत्सर्जित करते हैं जो हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकती है।
क्या है नीली रोशनी?
नीली रोशनी को हाई इंटेंसिटी विजिबल लाइट (HEV) कहा जाता है। यह एक प्रकार की रोशनी है जो मोबाइल, लैपटॉप और टीवी स्क्रीन से निकलती है। यह हमें आंखों से दिखाई देती है और इसका वेवलेंथ छोटा होता है जो विजिबल लाइट स्पेक्ट्रम का हिस्सा है। हालांकि सूर्य की रोशनी में भी नीली रोशनी होती है लेकिन डिजिटल डिवाइसेज से इसका संपर्क ज्यादा होता है।
अमेरिका की नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के शोध के अनुसार नीली रोशनी (HEV) की वेवलेंथ 400-500 एनएम होती है और यह विजिबल लाइट का लगभग एक तिहाई हिस्सा होती है। यह रोशनी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज और आर्टिफिशियल लाइटिंग से भी निकलती है जो हमारी आंखों के लिए हानिकारक हो सकती है।
1. नीली रोशनी के प्रभाव
: आंखों में तनाव और सिरदर्द
लंबे समय तक स्क्रीन पर ध्यान केंद्रित करने से आंखों में तनाव, धुंधली दृष्टि, सूखी आंखें और सिरदर्द की समस्या हो सकती है। इसे कंप्यूटर विजन सिंड्रोम (CVS) कहा जाता है। यह समस्या आमतौर पर उन लोगों को होती है जो दिनभर मोबाइल या कंप्यूटर पर काम करते हैं।
: रेटिना और दृष्टि पर असर
कुछ अध्ययनों से यह भी पता चला है कि नीली रोशनी के लंबे समय तक संपर्क में रहने से आंखों के रेटिना को नुकसान हो सकता है। इसके कारण मैकुलर डिजनरेशन (मैकुला की हानि) का खतरा बढ़ सकता है जो विशेष रूप से उम्रदराज लोगों में दृष्टिहीनता का कारण बनता है।
: त्वचा पर भी प्रभाव
नीली रोशनी के प्रभाव सिर्फ आंखों तक सीमित नहीं हैं बल्कि यह त्वचा पर भी असर डाल सकती है। अध्ययनों से यह पता चला है कि यह त्वचा की उम्र बढ़ने का कारण बन सकती है क्योंकि यह त्वचा की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाती है और सूजन पैदा कर सकती है।
2. नीली रोशनी से बचाव के उपाय
- स्क्रीन पर बिताए समय को सीमित करें: घर में स्क्रीन पर बिताए गए समय को कम करने की कोशिश करें। जितना हो सके स्क्रीन से दूरी बनाए रखें और आंखों को आराम दें।
- पीले लेंस वाले चश्मे का इस्तेमाल करें: कंप्यूटर चश्मे का उपयोग करना फायदेमंद हो सकता है क्योंकि ये नीली रोशनी को ब्लॉक करते हैं और आंखों का तनाव कम करते हैं।
- LED और फ्लोरोसेंट लाइटिंग का उपयोग कम करें: घर में एलईडी और फ्लोरोसेंट लाइट्स का उपयोग कम करने की सलाह दी जाती है क्योंकि ये भी नीली रोशनी का स्रोत हो सकती हैं।
- 20-20-20 नियम अपनाएं: हर 20 मिनट में स्क्रीन से 20 फीट दूर किसी वस्तु को 20 सेकंड तक देखें। इससे आंखों को आराम मिलता है और तनाव कम होता है।
अंत में कहा जा सकता है कि नीली रोशनी जो डिजिटल डिवाइसेज और आर्टिफिशियल लाइटिंग से निकलती है हमारे स्वास्थ्य पर कई नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है। इसलिए हमें इसके संपर्क में कम से कम समय बिताने की कोशिश करनी चाहिए और आंखों की देखभाल के लिए उपयुक्त उपाय अपनाने चाहिए। अगर आपको आंखों में खिंचाव या कोई अन्य समस्या महसूस हो तो तुरंत अपने ऑप्टोमेट्रिस्ट से परामर्श लें।