क्या थी Ratan Tata की आखिरी ख्वाहिश? जानें, वसीयत में किन्हें सौंपी गई इसकी पूरी करने की जिम्मेदारी

Edited By Liza Chandel,Updated: 19 Oct, 2024 12:47 PM

what was ratan tata s last wish

रतन टाटा का निधन 9 अक्टूबर 2023 को हुआ। उनकी वसीयत में उन्होंने यह इच्छा जताई कि उन्हें बदलाव लाने वाले व्यक्ति के रूप में याद किया जाए। वसीयत का कार्यान्वयन वकील डेरियस खंबाटा, सहयोगी मेहली मिस्त्री, और उनकी सौतेली बहनों शिरीन और डीनना जेजीभॉय को...

नेशनल डेस्क: दुनिया भर में उद्योग और समाज सेवा के क्षेत्र में अपनी विशेष पहचान बनाने वाले रतन टाटा का निधन 9 अक्टूबर 2023 को हुआ। उनके अंतिम संस्कार की प्रक्रिया 10 अक्टूबर को संपन्न हुई। रतन टाटा का जीवन हमेशा से सामाजिक बदलाव और उन्नति के लिए समर्पित रहा है, और उनकी अंतिम ख्वाहिश भी इसी प्रतिबद्धता को दर्शाती है। 

रतन टाटा की अंतिम ख्वाहिश
रतन टाटा ने अपनी वसीयत में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया है कि वह चाहते हैं कि लोग उन्हें उस व्यक्ति के रूप में याद करें जिसने समाज में बदलाव लाने की कोशिश की। यह उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण पहलू है, जिसे उन्होंने अपने कार्यों के माध्यम से साकार किया। रतन टाटा ने हमेशा अपने व्यवसाय को समाज सेवा से जोड़ने का प्रयास किया। 

वसीयत का Implementation
रतन टाटा की वसीयत में कुछ विशेष इच्छाओं का उल्लेख किया गया है, जिन्हें पूरा करने की जिम्मेदारी उनके करीबी सहयोगियों को दी गई है। वसीयत के Implementation की जिम्मेदारी वकील डेरियस खंबाटा, उनकी सहयोगी मेहली मिस्त्री, और उनकी सौतेली बहनों शिरीन और डीनना जेजीभॉय को सौंपी गई है। यह महत्वपूर्ण है कि इस जिम्मेदारी में रतन टाटा के अपने भाई जिम्मी टाटा और सौतेले भाई नोएल टाटा का नाम शामिल नहीं है, जो इस मामले में एक आश्चर्य का विषय है।

समाज सेवा के प्रति रतन टाटा का समर्पण 
रतन टाटा ने हमेशा से धर्मार्थ कार्यों के प्रति अपने दान की भावना को प्रमुखता दी है। उनकी संपत्ति का एक बड़ा हिस्सा समाज के कल्याण के लिए समर्पित किया गया है। रिपोर्ट्स के अनुसार, रतन टाटा के पास उनके निधन के समय लगभग 7900 करोड़ रुपये की संपत्ति थी, जिसमें टाटा संस की 0.83% हिस्सेदारी भी शामिल है। उन्होंने हमेशा कहा है कि वह अपनी संपत्ति का लगभग 75% हिस्सा धर्मार्थ कार्यों के लिए दान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

वसीयत के कार्यान्वयकों की भूमिका
वसीयत के कार्यान्वयकों में शामिल मेहली मिस्त्री रतन टाटा की सबसे करीबी सहयोगियों में से एक रही हैं। उन्होंने रतन टाटा के स्वास्थ्य के दौरान उनकी देखभाल में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके अलावा, मेहली मिस्त्री सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट और सर रतन टाटा ट्रस्ट की ट्रस्टी भी हैं, जिनके पास टाटा संस की लगभग 52% हिस्सेदारी है। डेरियस खंबाटा ने रतन टाटा की वसीयत तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने पहले भी टाटा परिवार के कानूनी मामलों में सहयोग दिया है और अब उन्हें रतन टाटा की वसीयत को लागू करने की जिम्मेदारी दी गई है। 

रतन टाटा की बहनों का योगदान
रतन टाटा की सौतेली बहनें, शिरीन और डीनना जेजीभॉय, भी समाज सेवा के कार्यों में सक्रिय रही हैं। डीनना ने पहले 1990 और 2000 के दशक में रतन टाटा ट्रस्ट के बोर्ड में ट्रस्टी के रूप में काम किया। यह बात दर्शाती है कि रतन टाटा का अपने छोटे भाई-बहनों के साथ गहरा संबंध था और वे हमेशा एक-दूसरे के साथ खड़े रहे।

संपत्ति का प्रबंधन
रतन टाटा ने RNT एसोसिएट्स प्राइवेट लिमिटेड में भी वित्तीय निवेश किया था। मेहली मिस्त्री और रतन टाटा दोनों इस कंपनी के बोर्ड में मेंबर रह चुके हैं, इसलिए मेहली मिस्त्री को इस कंपनी से संबंधित सभी गतिविधियों का प्रबंधन करने की जिम्मेदारी दी गई है। रतन टाटा का जीवन और उनकी वसीयत इस बात का प्रमाण है कि उन्होंने अपनी संपत्ति और समय को हमेशा समाज के कल्याण में लगाया। उनकी इच्छाएं और उनके प्रति समर्पण उन्हें एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व बनाते हैं, और उनकी विरासत आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा स्रोत बनी रहेगी। रतन टाटा का योगदान केवल व्यापार क्षेत्र तक सीमित नहीं रहा, बल्कि उन्होंने समाज के हर वर्ग के उत्थान के लिए कार्य किया। उनकी अंतिम ख्वाहिश और वसीयत हमें यह सिखाती है कि असली समृद्धि केवल आर्थिक संपत्ति में नहीं, बल्कि समाज के प्रति हमारे योगदान में होती है। रतन टाटा ने अपनी विरासत को इसी प्रकार बनाए रखा है, जिससे वह हमेशा लोगों के दिलों में जिंदा रहेंगे।

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