ऐसा क्या था RSS को लेकर 58 साल पुराना आदेश जिसे मौजूदा सरकार ने हटाया

Edited By Rahul Rana,Updated: 22 Jul, 2024 06:38 PM

what was that 58 year old order regarding rss which was removed

केंद्र सरकार ने एक आदेश जारी करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर लगा 58 साल से प्रतिबंध हटा दिया है जिसका राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने स्वागत किया है। ये प्रतिबंध इंदिरा गांधी सरकार के द्वारा 30 नवंबर 1966 को लगाया गया था।

नेशनल डेस्क : केंद्र सरकार ने एक आदेश जारी करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर लगा 58 साल से प्रतिबंध हटा दिया है जिसका राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने स्वागत किया है। ये प्रतिबंध इंदिरा गांधी सरकार के द्वारा 30 नवंबर 1966 को लगाया गया था। आऱएसएस ने कहा ये प्रतिबंध राजनीति से प्रेरित था। पाबंदी हटाए जाने से 'भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था को मजबूती मिलेगी।' प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने 9 जुलाई, 2024 को 58 साल पुराने सरकारी आदेश को बदल दिया था। 

मोदी सरकार का प्रतिबंध हटाने वाला आदेश क्या है
आरएसएस की गतिविधियों में सरकारी सेवकों के हिस्सा लेने के संबंध में 30 नवंबर 1966, 25 जुलाई 1970 और 28 अक्टूबर 1980 के निर्देशों की समीक्षा के बाद यह फैसला किया गया है कि इन तीनों ऑफिस मेमो से राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का जिक्र हटाया जाए।

RSS ने कहा भारत के लोकतंत्र को मिलेगी मजबूती
सोमवार को आरएसएस के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील अंबेकर ने एक बयान में कहा है, 'अपने राजनीतिक हितों की वजह से तबकी सरकार ने बिना किसी आधार के सरकारी कर्मचारियों को संघ जैसे रचनात्मक संगठन की गतिविधियों में हिस्सा लेने पर प्रतिबंध लगा दिया था। 'सरकार का मौजूदा फैसला उचित है और इससे भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था को मजबूती मिलेगी।


क्यों लगाई गई पाबंदी
7 नवंबर 1966 को गौ रक्षा औऱ गौ हत्या विरोधी विशाल आंदोलन हुआ था जिसमें आंदोलनकारियों ने संसद का घेराव किया था और इस आंदोलन को RSS का समर्थन प्राप्त था। इस आंदोलन में बहुत भारी संख्या में साधु संत औऱ हिंदू संगठनों के लोग शामिल हुए थे। प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़क उठी इंदिरा सरकार पर आरोप है कि उसकी पुलिस ने आंदोलनकारियों के खिलाफ लाठीचार्ज, आंसू गैस और फायरिंग का इस्तेमाल किया गया। हिंसा के दौरान कई लोगों के मारे जाने की भी बात कही जाती है।


क्या था वह आदेश
30 नवंबर, 1966 को इंदिरा सरकार की ओर से जारी आदेश में कहा गया था, 'क्योंकि सरकारी कर्मचारियों के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की सदस्यता और उनकी गतिविधियों में भागीदारी को लेकर सरकार की नीति के बारे में कुछ संदेह उठाए गए हैं। यह स्पष्ट किया जाता है कि सरकार ने हमेशा से इन दोनों संगठनों की गतिविधियों को इस तरह का माना है कि सरकारी कर्मचारियों का उसमें भाग लेने पर केंद्रीय सिविल सेवा आचरण नियम (Central Civil Services Conduct Rules) लागू होंगे।' इसके साथ ही इस आदेश में सरकारी कर्मचारियों के संघ से जुड़ने पर सीधे तौर पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। उस आदेश में ही आगे कहा गया था, 'कोई भी सरकारी सेवक, जो उपर्युक्त संगठनों का सदस्य है या उनकी गतिविधियों से जुड़ा हुआ है, अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए उत्तरदायी है।'
 

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