Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 24 Mar, 2025 01:07 PM

अमेरिका में काम करने वाले मजदूरों की दिहाड़ी उनके वर्किंग आवर और राज्य के हिसाब से तय की जाती है। वहां कंस्ट्रक्शन सेक्टर में लाखों लोग काम करते हैं और उनकी आय भारत के मजदूरों की तुलना में काफी अधिक होती है। ऐसे में सवाल उठता है कि अगर अमेरिका में...
नेशनल डेस्क: अमेरिका में काम करने वाले मजदूरों की मजदूरी उनके वर्किंग आवर और राज्य के हिसाब से तय की जाती है। वहां कंस्ट्रक्शन सेक्टर में लाखों लोग काम करते हैं और उनकी आय भारत के मजदूरों की तुलना में काफी अधिक होती है। ऐसे में सवाल उठता है कि अगर अमेरिका में किसी को 500 डॉलर की दिहाड़ी मिलती है, तो भारत में इसकी कितनी कीमत होगी?
अमेरिका में मजदूरों की दिहाड़ी कितनी होती है?
अमेरिका में कंस्ट्रक्शन मजदूरों की प्रति घंटा औसतन दिहाड़ी 23.69 डॉलर यानी करीब 1988 रुपये होती है। इसका मतलब है कि अगर कोई मजदूर पूरे दिन (आमतौर पर 8 घंटे) काम करता है, तो उसकी कुल दिहाड़ी लगभग 500 डॉलर (करीब 43,148 रुपये) हो सकती है। हालांकि यह दिहाड़ी अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग होती है।
अमेरिका बनाम भारत: मजदूरी में कितना अंतर?
जहां अमेरिका में एक मजदूर की सालाना आय 26,45,338 रुपये से लेकर 63,81,218 रुपये तक हो सकती है, वहीं भारत में एक आम मजदूर की मासिक कमाई 10,000 से 15,000 रुपये के बीच होती है। यह अंतर इसलिए है क्योंकि अमेरिका में जीवनयापन का खर्च भी काफी अधिक होता है।
अगर 500 डॉलर की दिहाड़ी को भारतीय रुपये में बदला जाए, तो यह लगभग 43,148 रुपये होगी। हालांकि, भारत में किसी मजदूर को इतनी अधिक दिहाड़ी मिलना मुश्किल है, क्योंकि यहां औसतन मजदूरी दर बहुत कम है।
क्यों है इतना बड़ा अंतर?
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मुद्रा और अर्थव्यवस्था: अमेरिका और भारत की अर्थव्यवस्थाओं में बड़ा अंतर है। वहां की मुद्रा (डॉलर) की वैल्यू रुपये से काफी अधिक है।
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जीवनयापन का खर्च: अमेरिका में रहने, खाने और अन्य जरूरतों पर अधिक खर्च होता है। इसलिए वहां मजदूरी भी अधिक मिलती है।
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न्यूनतम मजदूरी कानून: अमेरिका में न्यूनतम मजदूरी कानून सख्ती से लागू किए जाते हैं, जिससे मजदूरों को अधिक वेतन मिलता है।
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काम की प्रकृति: अमेरिका में कंस्ट्रक्शन मजदूरों को अधिक वेतन इसलिए भी मिलता है क्योंकि वहां मशीनों और आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल अधिक होता है।
क्या भारत में मजदूरी बढ़ सकती है?
अगर भारत में भी न्यूनतम मजदूरी दर में सुधार किया जाए और रोजगार के अवसर बढ़ाए जाएं, तो मजदूरों की कमाई में इजाफा हो सकता है। इसके लिए सरकार और उद्योगों को मिलकर काम करना होगा।