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'छेड़ोगे तो छोडूंगा नहीं', कांग्रेस ने कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को टोका तो खोल दिया पूरा चिट्ठा

Edited By Yaspal,Updated: 05 Aug, 2024 05:02 PM

when congress interrupted agriculture minister shivraj singh chauhan

कांग्रेस को किसान विरोधी करार देते हुए कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सोमवार को राजनीतिक दलों से अपील की कि वे किसानों को वोट बैंक मानना बंद करें तथा उनके साथ इंसान की तरह व्यवहार करें

नई दिल्लीः कांग्रेस को किसान विरोधी करार देते हुए कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सोमवार को राजनीतिक दलों से अपील की कि वे किसानों को वोट बैंक मानना बंद करें तथा उनके साथ इंसान की तरह व्यवहार करें। उच्च सदन में कृषि मंत्रालय के कामकाज पर हुई चर्चा पर अधूरे रह गए अपने जवाब को आगे बढ़ाते हुए कृषि मंत्री चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि से न केवल छोटे एवं सीमांत किसान सशक्त हुए बल्कि उनका सम्मान भी बढ़ा है।

चौहान जब जवाब दे रहे थे तब कांग्रेस के रणदीप सिंह सुरजेवाला ने उन्हें कई बार बाधित करना चाहा और भाजपा सरकार के ऊपर किसानों पर गोलियां चलाने का आरोप लगाया। कृषि मंत्री ने कहा, ‘‘मैंने पहले ही कहा था कि मुझे छेड़ो मत। अगर छेड़ा तो छोडूंगा नहीं।'' उन्होंने मध्य प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के शासनकाल सहित कांग्रेस की विभिन्न सरकारों के शासन काल में किसानों पर गोलियां चलाए जाने की विभिन्न घटनाओं का हवाला दिया।

कांग्रेस को याद दिलाई किसानों पर गोलीबारी की घटनाएं
कांग्रेस सदस्यों ने कृषि मंत्री के जवाब पर विरोध जताते हुए सदन से वॉकआउट कर दिया। सदन से बाहर जा रहे कांग्रेस सदस्यों को इंगित करते हुए चौहान ने कहा कि यह भी सुनकर जाइये कि 23 अगस्त 1995 को हरियाणा में चलाई गई गोलियों से छह किसान मारे गए थे। इस बीच सभापति जगदीप धनखड़ ने कृषि मंत्री को रोकते हुए कहा कि यह बहुत ही ‘‘दर्दनाक और दुर्भाग्यपूर्ण'' है.....। उन्होंने कहा कि जब सदन में देश के सबसे महत्वपूर्ण वर्ग किसानों के बारे में चर्चा हो रही हो तो सदन में हर सदस्य का यह मौलिक कर्तव्य है कि वह चर्चा में गंभीरता से भाग ले।

धनखड़ ने कहा कि जिन कांग्रेस सदस्य रणदीप सुरजेवाला ने इस चर्चा की शुरुआत की थी, उन्होंने किसानों के हितों को तिलांजलि देते हुए, संजीदगी का परित्याग करते हुए, मंत्री के भाषण में जो अवरोध पैदा करने का प्रयत्न किया, ‘‘उसका मैं खंडन करता हूं, प्रतिकार करता हूं, निंदा करता हूं।'' कृषि मंत्री ने सभी राजनीतिक दलों से अपील की कि वे किसानों को वोट बैंक न मानकर उनके साथ इंसान की तरह व्यवहार करें। उन्होंने स्वीकार किया कि कृषि क्षेत्र में कुछ समस्याएं हैं और वे किसान संगठनों से बातचीत कर उनका समाधान निकालने का प्रयास करेंगे क्योंकि मोदी सरकार का मानना है कि संवाद से ही समाधान निकलता है।

चौहान ने कहा कि कृषि मंत्री बनने के बाद उन्होंने 15 अगस्त को लालकिले की प्राचीर से विभिन्न प्रधानमंत्रियों द्वारा दिए गए संबोधन को पढ़कर यह जानने का प्रयास किया कि किसने किसानों के बारे में क्या कहा है? उन्होंने दावा किया कि प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के 15 अगस्त को लालकिले की प्राचीर से दिए गए भाषणों को यदि देखें तो 1948 के भाषण को छोड़कर 1947 से 1960 तक के भाषणों में एक भी बार किसान शब्द का प्रयोग नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि इसी प्रकार पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के इन भाषणों में किसान शब्द महज एक या दो बार आया है, वह भी बहुत औपचारिक ढंग से। उन्होंने दावा किया प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 15 अगस्त के भाषणों में किसान शब्द बार बार कहा गया है।

रियल दिखने के लिए रील बनाई गई
चौहान ने कहा कि जो दिल में होता है, वही जुबां पर आता है। उन्होंने कहा, ‘‘इनके (कांग्रेस के नेताओं के) दिल में किसान नहीं था, इसलिए उनकी जुबां पर नहीं आया और मोदी जी के दिल में किसान है इसलिए उनकी जुबां पर वह बार बार आता है।'' उन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी का नाम लिये बिना उनके द्वारा देश में निकाली गयी यात्राओं का उल्लेख किया और कहा कि जब यह यात्रा हरियाणा के सोनीपत पहुंची तो ‘रियल दिखने के लिए रील बनाई गई।'

कृषि मंत्री ने अपनी जेब से एक पेन ड्राइव निकाल कर कहा कि वह उसकी पूरी सीडी सदन के पटल पर रखकर यह कहना चाहते हैं कि ‘वे किसानों के नाम पर नाटक करते हैं।' इस पर सभापति ने कहा कि वह इसे सदन के पटल पर रखकर इसकी प्रामाणिकता की पुष्टि करें। कृषि मंत्री ने किसी का नाम लिए बिना कहा, ‘‘जब इनको हल भेंट किया जाता है तो यह पूछते हैं कि ये है क्या?...एक प्रधानमंत्री ऐसे हुए हैं कि उन्होंने जब देखा कि लाल मिर्च के दाम हरी मिर्च से ज्यादा हैं तो उन्होंने कहा कि किसानों, ये लाल मिर्च क्यों नहीं उगाते?'' उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार आधार की तरह किसानों की पहचान के लिए एक डिजिटल आईडी बना रही है जिसे किसान के भूमि संबंधी रिकार्ड के साथ जोड़ा जाएगा।

मंत्री ने कहा कि अब किसान जो फसल बोएगा, उसके रिकार्ड में हेराफेरी नहीं हो सकती क्योंकि रिकार्ड डिजिटल होगा और फसल की वीडियो रिकार्डिंग की जाएगी। उन्होंने कहा, ‘‘डिजिटल कृषि मिशन को हम शुरू कर रहे हैं। हम कृषि के प्रति एक समग्र दृष्टिकोण अपना रहे हैं।'' उन्होंने रासायनिक उर्वरकों के बढ़ते प्रयोग पर चिंता जतायी और कहा कि इससे फसलों, भूमि और मनुष्य पर दुष्प्रभाव पड़ता है। चौहान ने कहा कि देश को खाद्यान्न उत्पादन की वृद्धि कायम रखते हुए प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देना है। उन्होंने कहा कि इसीलिये सरकार ने प्राकृतिक खेती मिशन शुरू किया है।

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