Edited By Parveen Kumar,Updated: 03 Apr, 2025 06:35 PM
चैत्र नवरात्र में अष्टमी और नवमी तिथियों का खास महत्व होता है। अष्टमी के दिन मां महागौरी की पूजा की जाती है, जबकि नवमी पर मां सिद्धिदात्री की आराधना होती है। इन दोनों दिनों में कन्या पूजन का विशेष महत्व है।
नेशनल डेस्क : चैत्र नवरात्र में अष्टमी और नवमी तिथियों का खास महत्व होता है। अष्टमी के दिन मां महागौरी की पूजा की जाती है, जबकि नवमी पर मां सिद्धिदात्री की आराधना होती है। इन दोनों दिनों में कन्या पूजन का विशेष महत्व है। इस दिन छोटी कन्याओं को देवी स्वरूप मानकर घर बुलाया जाता है, उन्हें स्वादिष्ट प्रसाद खिलाया जाता है और उपहार देकर सम्मान किया जाता है।
कब है अष्टमी और नवमी?
कन्या पूजन के शुभ मुहूर्त
अष्टमी और नवमी पूजा विधि
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सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें।
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घर के मंदिर को स्वच्छ करें और गंगाजल का छिड़काव करें।
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मां दुर्गा की मूर्ति या चित्र की पूजा करें और उन्हें फूल, धूप, दीप, अक्षत, सिंदूर और नैवेद्य अर्पित करें।
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अष्टमी को मां महागौरी और नवमी को मां सिद्धिदात्री को खीर-पूरी व चने का भोग लगाएं।
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दुर्गा चालीसा या दुर्गा सप्तशती का पाठ करें और अंत में मां की आरती करें।
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इस दिन हवन करना भी शुभ माना जाता है।
कन्या पूजन विधि
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कन्या पूजन से पहले ही कन्याओं को घर आने का निमंत्रण दें।
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जब वे आएं तो उनका सम्मान के साथ स्वागत करें और उनके पैर धोएं।
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उन्हें स्वच्छ आसन पर बैठाएं, आरती करें और चंदन का टीका लगाएं।
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उनके हाथ में रक्षासूत्र बांधें और फिर उन्हें भोजन कराएं (खीर, पूरी और चने की सब्जी)।
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भोजन के बाद उनके हाथ धुलाएं और उपहार या दक्षिणा देकर आशीर्वाद लें।
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माता रानी के जयकारे लगाकर उन्हें आदरपूर्वक विदा करें।