Edited By Mahima,Updated: 25 Sep, 2024 04:35 PM
भारत में ऐसे कई रहस्यमय और अद्भुत मंदिर हैं, जिनका इतिहास और उनके पीछे की कथाएँ आज भी लोगों को आकर्षित करती हैं। राजस्थान के बीकानेर के पास स्थित करणी माता मंदिर भी ऐसे ही एक मंदिर है, जो अपने अनोखे रीति-रिवाजों के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ चूहों की...
नेशनल डेस्क: भारत में ऐसे कई रहस्यमय और अद्भुत मंदिर हैं, जिनका इतिहास और उनके पीछे की कथाएँ आज भी लोगों को आकर्षित करती हैं। राजस्थान के बीकानेर के पास स्थित करणी माता मंदिर भी ऐसे ही एक मंदिर है, जो अपने अनोखे रीति-रिवाजों के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ चूहों की पूजा की जाती है और भक्त जूठा प्रसाद भी ग्रहण करते हैं। आइए, इस रहस्यमय मंदिर के बारे में विस्तार से जानते हैं।
चांदी का दरवाजा, मनमोहक मूर्ति
करणी माता, जिन्हें देवी दुर्गा का एक रूप माना जाता है, ने मानवता के कल्याण के लिए धरती पर अवतार लिया। इस मंदिर का निर्माण बीकानेर के महाराजा गंगा सिंह ने 20वीं शताब्दी में करवाया था। मंदिर का निर्माण संगमरमर के पत्थरों से किया गया है और इसका मुख्य दरवाजा चांदी का है। यहाँ देवी करणी की एक मनमोहक मूर्ति है, जिस पर एक सोने का छत्र भी है।
होती है चूहों की पूजा
इस मंदिर में चूहों को 'काबा' कहा जाता है और यहाँ 25,000 से अधिक चूहे मौजूद हैं। यह चूहे पूरी स्वतंत्रता के साथ मंदिर परिसर में घूमते हैं। मंदिर में ज्यादातर काले और भूरे रंग के चूहे होते हैं, लेकिन कुछ सफेद चूहों को विशेष शुभ माना जाता है। मान्यता है कि यदि किसी भक्त को सफेद चूहा दिखाई दे, तो यह उनके लिए अच्छे समय का संकेत है और उनकी मनोकामनाएँ शीघ्र पूरी हो सकती हैं। चूहों की पूजा की जाने वाली परंपरा एक अद्भुत श्रद्धा का प्रतीक है। भक्त यहां आते हैं और चूहों को भोग अर्पित करते हैं, जिसे बाद में वे स्वयं ग्रहण करते हैं। यह अनूठा अनुभव भक्तों के लिए एक आशीर्वाद बन जाता है।
गलती से भी चूहों के ऊपर पैर न पड़े
करणी माता मंदिर में हर दिन हजारों भक्त आते हैं। भक्त इस मंदिर में पैर घसीटकर चलते हैं, ताकि गलती से भी चूहों के ऊपर पैर न पड़े। मंदिर की मान्यता है कि यदि किसी भक्त के पैर के नीचे चूहा आ जाता है, तो उसे पाप लगता है। यह ध्यान रखने की श्रद्धा भक्तों में चूहों के प्रति गहरी श्रद्धा को दर्शाती है।
क्या है पौराणिक कथा
करणी माता मंदिर की पौराणिक कथा भी बहुत दिलचस्प है। कहा जाता है कि एक बार माता करणी के सौतेले बेटे लक्ष्मण की अचानक मृत्यु हो गई। जब माता करणी को इस दुखद घटना का पता चला, तो उन्होंने यम देव से प्रार्थना की कि उनके पुत्र को पुनर्जीवित किया जाए। यम देवता ने उनकी प्रार्थना स्वीकार कर लक्ष्मण और उनके सभी बच्चों को चूहों के रूप में पुनर्जीवित कर दिया। इसी वजह से यहाँ चूहों की पूजा माता करणी के संतान के रूप में की जाती है।
मंदिर से कभी गंदगी या बदबू नहीं आती
इस मंदिर की एक और अद्भुत विशेषता यह है कि यहाँ मौजूद 25,000 से अधिक चूहों के बावजूद मंदिर से कभी गंदगी या बदबू नहीं आती। यह अद्भुत स्थिति मंदिर के प्रबंधन और यहाँ की स्वच्छता के प्रति जागरूकता का परिणाम है। भक्तों का मानना है कि ये चूहे माता की कृपा से स्वस्थ रहते हैं और यहाँ कोई चूहा बीमार नहीं पड़ता।
भक्तों के लिए एक अद्भुत अनुभव
करणी माता मंदिर केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि यह एक सांस्कृतिक धरोहर भी है। यहाँ का वातावरण भक्तों के लिए एक अद्भुत अनुभव प्रदान करता है। मंदिर में आने वाले भक्त अपनी श्रद्धा और विश्वास के साथ यहाँ की अनूठी परंपराओं का हिस्सा बनते हैं। करणी माता मंदिर एक ऐसा स्थान है जहाँ चूहों को देवी का रूप मानकर उनकी पूजा की जाती है। यह मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति की विविधता और अनूठे रीति-रिवाजों का भी प्रतीक है। यहाँ आने वाले भक्त अपनी श्रद्धा और विश्वास के साथ जूठा प्रसाद ग्रहण करते हैं, जो उनके लिए एक अनमोल आशीर्वाद बन जाता है। इस अद्भुत मंदिर का अनुभव करना निश्चित रूप से जीवन का एक अनमोल अनुभव है।