Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 09 Feb, 2025 10:51 AM
दिल्ली विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) ने शानदार प्रदर्शन किया है। पार्टी ने 70 में से 48 सीटों पर जीत हासिल की है, जबकि आम आदमी पार्टी (आप) महज 22 सीटों पर सिमट गई है। इस जीत के साथ, भाजपा दिल्ली में 27 साल बाद सरकार बनाने जा रही...
नेशनल डेस्क: दिल्ली विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) ने शानदार प्रदर्शन किया है। पार्टी ने 70 में से 48 सीटों पर जीत हासिल की है, जबकि आम आदमी पार्टी (आप) महज 22 सीटों पर सिमट गई है। इस जीत के साथ, भाजपा दिल्ली में 27 साल बाद सरकार बनाने जा रही है,और अब सभी की नजर इस बात पर है कि भाजपा किसे अपना मुख्यमंत्री बनाएगी। इस रेस में कुल 7 प्रमुख चेहरे हैं, जिनकी दावेदारी मजबूत मानी जा रही है। आइए जानते हैं ये चेहरे कौन हैं और क्यों उनकी मुख्यमंत्री पद की रेस में दावेदारी सबसे मजबूत है।
1. प्रवेश सिंह वर्मा: भाजपा का जाट चेहरा
प्रवेश सिंह वर्मा, जो पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा के बेटे हैं, भाजपा के एक प्रमुख चेहरा बनकर उभरे हैं। वे पश्चिमी दिल्ली से लगातार दो बार सांसद रहे हैं। 2019 में, उन्होंने 5.78 लाख वोटों से चुनाव जीतकर दिल्ली के इतिहास में सबसे बड़ी जीत हासिल की थी। इस बार, उन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को 4099 वोटों से हराया। प्रवेश सिंह वर्मा बचपन से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़े रहे हैं, और अब तक उन्होंने हर चुनाव में जीत दर्ज की है। माना जा रहा है कि भाजपा ने उन्हें दिल्ली विधानसभा में उतारने का निर्णय रणनीतिक तौर पर लिया है। अगर भाजपा जाट नेता को मुख्यमंत्री बनाती है तो यह हरियाणा में नॉन-जाट मुख्यमंत्री वाली नाराजगी को कम करने में मदद कर सकता है और किसान आंदोलन को भी दबाया जा सकता है।
2. मनोज तिवारी: पूर्वांचल वोटरों का आदर्श
मनोज तिवारी, जो उत्तर-पूर्वी दिल्ली से लगातार तीसरी बार लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं, इस रेस में प्रमुख दावेदारों में से एक हैं। 2016 से 2020 तक, वह दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष रहे थे और पूर्वांचल क्षेत्र में उनकी भारी लोकप्रियता है। भाजपा ने उन्हें 2024 के लोकसभा चुनाव में फिर से टिकट दिया था, जबकि दिल्ली के 7 सांसदों में से अधिकांश के टिकट काट दिए गए थे। मनोज तिवारी का नाम भी मुख्यमंत्री की रेस में इसलिए आया है क्योंकि आगामी बिहार विधानसभा चुनाव को देखते हुए, भाजपा उन्हें मुख्यमंत्री बना सकती है। इससे बिहार और उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल वोटरों में भी भाजपा का असर बढ़ सकता है।
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3. मनजिंदर सिंह सिरसा: सिख समुदाय का दिग्गज चेहरा
मनजिंदर सिंह सिरसा, जो 2013 और 2017 में शिरोमणि अकाली दल के टिकट पर विधानसभा चुनाव जीत चुके थे, अब भाजपा में शामिल हो गए हैं। उन्होंने 2021 में भाजपा का दामन थामा और इसके बाद उन्हें राष्ट्रीय मंत्री का पद भी सौंपा गया। सिरसा को दिल्ली में सिख समुदाय के बड़े नेता के रूप में जाना जाता है।
यदि भाजपा सिरसा को मुख्यमंत्री बनाती है तो यह पंजाब में भाजपा की पकड़ को मजबूत करने के लिए एक अहम कदम हो सकता है। दिल्ली में सिख समुदाय के बीच सिरसा की लोकप्रियता और पार्टी के लिए उनकी रणनीतिक अहमियत को देखते हुए उनकी दावेदारी काफी मजबूत मानी जा रही है।
4. स्मृति ईरानी: महिला नेतृत्व को बढ़ावा देने की कोशिश
स्मृति ईरानी, जो भाजपा में एक बड़े महिला चेहरे के रूप में जानी जाती हैं, भी दिल्ली के मुख्यमंत्री पद के लिए संभावित दावेदार हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी को हराकर स्मृति ईरानी ने भारतीय राजनीति में अपनी अहम जगह बनाई। इसके बाद, उन्होंने 2019 में भी राहुल गांधी को हराया और केंद्रीय मंत्री के रूप में अपनी जिम्मेदारी संभाली। स्मृति ईरानी महिला मोर्चा की राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुकी हैं और भाजपा में महिला नेतृत्व की एक मजबूत पहचान स्थापित कर चुकी हैं। यदि भाजपा उन्हें मुख्यमंत्री बनाती है तो यह महिलाओं को एक सकारात्मक संदेश भेजेगा और पार्टी की महिला समर्थकों के बीच भी इसकी अच्छी प्रतिक्रिया मिल सकती है।
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5. विजेंद्र गुप्ता: पार्टी के पुराने और मजबूत नेता
विजेंद्र गुप्ता, जो रोहिणी विधानसभा सीट से लगातार तीन बार चुनाव जीत चुके हैं, दिल्ली भाजपा के एक पुराने और मजबूत नेता हैं। वे 2015 में दिल्ली विधानसभा में केवल 3 भाजपा विधायकों में से एक थे। गुप्ता पार्टी के संगठन में भी बेहद सक्रिय हैं और उनका संघ से भी गहरा जुड़ाव है। विजेंद्र गुप्ता ने दिल्ली में पार्टी के लिए संघर्ष किया है और उन्हें पार्टी के अंदर एक मजबूत नेता माना जाता है। वे दो बार दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भी रहे हैं। उनका अनुभव और संगठन में पकड़ उन्हें मुख्यमंत्री पद की रेस में एक मजबूत दावेदार बनाता है।
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6. मोहन सिंह बिष्ट: पहाड़ी क्षेत्रों में मजबूत पकड़
मोहन सिंह बिष्ट ने 1998 से 2015 तक लगातार 4 बार विधानसभा चुनाव जीतने के बाद, 2015 में कपिल मिश्रा से हार का सामना किया था। हालांकि, 2020 में उन्होंने फिर से विधायक पद हासिल किया और फिर से भाजपा ने उन्हें मुस्लिम बहुल मुस्तफाबाद से टिकट दिया, जहां से उन्होंने जीत हासिल की। मोहन बिष्ट का पहाड़ी क्षेत्रों में अच्छा प्रभाव है और उनकी संघ और संगठन में मजबूत पकड़ है। वे दिल्ली की राजनीति में पुराने नेता हैं और उनकी दावेदारी भी मजबूत मानी जा रही है।
7. वीरेंद्र सचदेवा: दिल्ली भाजपा के नए अध्यक्ष
वीरेंद्र सचदेवा, जो 2023 में दिल्ली भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बने, अब दिल्ली की राजनीति में प्रमुख नेता के रूप में उभरे हैं। वे 2007-2009 तक चांदनी चौक और 2014 से 2017 तक मयूर विहार भाजपा जिला अध्यक्ष रहे हैं। इसके अलावा, उन्होंने 2009 से 2012 तक दिल्ली भाजपा प्रदेश मंत्री का भी पद संभाला था। सचदेवा की संगठन में मजबूत पकड़ और पार्टी के भीतर उनका प्रभाव उन्हें मुख्यमंत्री पद की रेस में एक प्रमुख दावेदार बनाता है।