Edited By Rohini Oberoi,Updated: 27 Apr, 2025 10:07 AM
प्लेन हाईजैक की घटना किसी भी देश के लिए एक बड़ी राष्ट्रीय आपदा होती है जिससे सरकार के सामने कई गंभीर चुनौतियां खड़ी हो जाती हैं। दुनिया के कई देशों की तरह भारत भी विमान अपहरण की समस्या से जूझ चुका है। इनमें सबसे कुख्यात था 1999 का IC-814 कंधार...
नेशनल डेस्क। प्लेन हाईजैक की घटना किसी भी देश के लिए एक बड़ी राष्ट्रीय आपदा होती है जिससे सरकार के सामने कई गंभीर चुनौतियां खड़ी हो जाती हैं। दुनिया के कई देशों की तरह भारत भी विमान अपहरण की समस्या से जूझ चुका है। इनमें सबसे कुख्यात था 1999 का IC-814 कंधार हाईजैक जो इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट संख्या 814 का आतंकवादियों द्वारा अपहरण था। यह भारत में अब तक की सबसे बड़ी और आखिरी विमान अपहरण की घटना मानी जाती है। ऐसे में यह जानना महत्वपूर्ण है कि अगर भारत में कोई विमान हाईजैक होता है तो सबसे पहले किस सुरक्षा बल को कार्रवाई के लिए बुलाया जाता है।
राष्ट्रीय संकट की स्थिति में 'ब्लैक कैट' कमांडो
किसी भी देश में विमान का अपहरण एक राष्ट्रीय संकट माना जाता है। भारत में ऐसी स्थिति उत्पन्न होने पर सबसे पहले राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड को बुलाया जाता है। एनएसजी के कमांडो को 'ब्लैक कैट कमांडो' के नाम से भी जाना जाता है। एनएसजी को तत्काल एक विस्तृत योजना तैयार करने का निर्देश दिया जाता है जिसमें विमान अपहरणकर्ताओं को पकड़ने और विमान में मौजूद यात्रियों को सुरक्षित रूप से छुड़ाने की रणनीति शामिल होती है। इसके साथ ही सरकार समानांतर स्तर पर भी कार्रवाई करती रहती है।
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स्पेशल एक्शन ग्रुप का गठन
विमान अपहरण की सूचना सबसे पहले एयरपोर्ट के नागरिक उड्डयन मंत्रालय तक पहुंचाई जाती है। नागरिक उड्डयन मंत्रालय तुरंत गृह मंत्रालय को इसकी जानकारी देता है। इसके बाद गृह मंत्री राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड के साथ मिलकर एक 'स्पेशल एक्शन ग्रुप' का गठन करते हैं। इस समूह में एनएसजी ऑपरेशन की पूरी रूपरेखा तैयार करती है जिसमें यात्रियों को सुरक्षित निकालना और अपहरणकर्ताओं को पकड़ना या आवश्यकतानुसार मारना तक शामिल होता है।
अन्य सुरक्षा बलों की भी मिलती है मदद
एनएसजी के अलावा एयरपोर्ट पर तैनात केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल उस राज्य की स्थानीय पुलिस और यदि उड़ान संचालन संबंधी सहायता की आवश्यकता होती है तो भारतीय वायुसेना की भी मदद ली जाती है। इसके अतिरिक्त यदि विमान अपहरण का मामला अंतरराष्ट्रीय स्तर का होता है तो भारत की खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग यानी रॉ को भी इस प्रक्रिया में शामिल किया जाता है।
बता दें कि कंधार हाईजैक के बाद भारत ने विमान अपहरण की घटनाओं से निपटने के लिए अपनी सुरक्षा प्रक्रियाओं को और मजबूत किया है जिसमें एनएसजी की त्वरित प्रतिक्रिया और विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों के बीच बेहतर समन्वय शामिल है।