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40 की उम्र के बाद क्यों जा रही हैं नौकरियां? भारत की दिग्गज कंपनी के CEO ने खोले राज

Edited By Rohini Oberoi,Updated: 18 Apr, 2025 10:58 AM

why are people losing jobs after the age of 40 ceo secret

कॉरपोरेट सेक्टर में काम करने वाले ऐसे प्रोफेशनल्स जो 40 की उम्र पार कर चुके हैं उनके लिए आने वाला समय चुनौतीपूर्ण होता जा रहा है। जहां पहले यह उम्र करियर में स्थायित्व और सफलता का दौर मानी जाती थी। वहीं अब यही उम्र नौकरी के लिए खतरे की घंटी बनती जा...

नेशनल डेस्क। कॉरपोरेट सेक्टर में काम करने वाले ऐसे प्रोफेशनल्स जो 40 की उम्र पार कर चुके हैं उनके लिए आने वाला समय चुनौतीपूर्ण होता जा रहा है। जहां पहले यह उम्र करियर में स्थायित्व और सफलता का दौर मानी जाती थी। वहीं अब यही उम्र नौकरी के लिए खतरे की घंटी बनती जा रही है।

बॉम्बे शेविंग कंपनी के सीईओ शंतनु देशपांडे ने इस बदलते ट्रेंड पर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि 40 पार करने वाले कर्मचारी अब कंपनियों के कॉस्ट-कटिंग एजेंडे में सबसे पहले आते हैं। इसका मुख्य कारण होता है उनकी लंबी सीनियरिटी और अधिक सैलरी जो कंपनियों के बजट पर भारी पड़ती है।

➤ सीनियरिटी बनी बोझ, नौकरी पर पहला वार

देशपांडे ने इसे एक "मासिव डिस्टर्बेंस" बताया, जो न केवल करियर पर असर डालता है बल्कि मानसिक और आर्थिक रूप से भी व्यक्ति को हिला देता है। अक्सर इस उम्र में प्रोफेशनल्स अपने करियर के पीक पर होते हैं और उम्मीद करते हैं कि आगे का रास्ता ज्यादा सुरक्षित होगा लेकिन अचानक नौकरी छूटने से पूरा संतुलन बिगड़ जाता है।

➤ जब ज़िम्मेदारियां ज़्यादा और सेविंग्स कम हों

40 की उम्र में अक्सर लोग होम लोन, बच्चों की पढ़ाई और माता-पिता की देखभाल जैसी जिम्मेदारियों से घिरे होते हैं। देशपांडे ने बताया कि इस उम्र में ज्यादातर लोगों की बचत बहुत सीमित होती है। ऐसे में नौकरी जाना एक आर्थिक आपदा बन जाता है।

WHO (विश्व स्वास्थ्य संगठन) की एक रिपोर्ट बताती है कि ऐसी स्थिति में भारत जैसे देशों में करीब 40% प्रोफेशनल्स मानसिक तनाव से गुजरते हैं। खासकर मिडिल क्लास पुरुष जो परिवार की रीढ़ माने जाते हैं वे इस दबाव से सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं।

➤ सोशल मीडिया पर भी गूंजा मुद्दा

देशपांडे की इस बात ने LinkedIn और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर भी खूब चर्चा बटोरी। कई यूजर्स ने माना कि 40 के बाद नई नौकरी ढूंढना बेहद मुश्किल हो जाता है। दरअसल इस उम्र तक लोग एक ही सेक्टर या स्किलसेट में 15-20 साल बिता चुके होते हैं।

नई टेक्नोलॉजी या स्किल्स सीखने के लिए जरूरी समय, ऊर्जा और पैसा सभी के पास नहीं होता और नतीजा होता है — करियर की दौड़ में पीछे छूट जाना।

 

यह भी पढ़ें: किसके सामने झुकती है ED और CBI? जानिए कौन है ‘बॉस ऑफ द बॉसेज़’! सरकार का...

 

➤ समस्या का हल क्या है? ये हैं 3 ज़रूरी उपाय

शंतनु देशपांडे ने इस चुनौती से उबरने के लिए तीन अहम सुझाव दिए हैं:

➤ अपस्किलिंग जरूरी है:

AI, डेटा साइंस, डिजिटल टूल्स जैसी नई टेक्नोलॉजी सीखें ताकि खुद को प्रासंगिक बनाए रखा जा सके।

➤ फाइनेंशियल प्लानिंग करें:

खर्चों की समीक्षा करें, सेविंग्स बढ़ाएं और निवेश की आदत डालें ताकि किसी भी संकट में बैकअप मौजूद हो।

➤ एंटरप्रेन्योरशिप माइंडसेट अपनाएं:

खुद पर भरोसा करें और नए आइडियाज़ पर काम करना शुरू करें। चाहे साइड प्रोजेक्ट हो या
 
फ्रीलांसिंग — आत्मनिर्भरता का रास्ता तलाशें।

➤ सिर्फ नौकरी नहीं तैयारी ही असली सुरक्षा है

देशपांडे की यह चेतावनी उन सभी प्रोफेशनल्स के लिए बेहद अहम है जो 35 की उम्र पार कर चुके हैं। आज के दौर में सिर्फ नौकरी होना ही सुरक्षा की गारंटी नहीं है बल्कि समय रहते खुद को बदलना और भविष्य की तैयारी करना ही असली ताकत है।

यह सिर्फ एक करियर से जुड़ी चिंता नहीं है बल्कि एक सामाजिक और पारिवारिक ज़िम्मेदारी भी है जिसे नज़रअंदाज़ करना भारी पड़ सकता है।

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