mahakumb

आखिर क्यों कुरुक्षेत्र में ही हुआ महाभारत युद्ध, श्रीकृष्ण की भी आखों में आए थे आसु, घटन जान दहल जाएगा आपका भी दिल

Edited By Mahima,Updated: 03 Aug, 2024 11:31 AM

why did the mahabharata war take place in kurukshetra

कुरुक्षेत्र, जिसे इतिहास में ब्रह्मवर्त, स्थानेश्वर, थानेश्वर और थानेसर जैसे नामों से जाना जाता है, भारतीय पौराणिक कथाओं और महाभारत के इतिहास में एक विशेष स्थान रखता है। इस स्थल का नाम कुरु वंश के संस्थापक महाराजा कुरु के नाम पर रखा गया है।

नेशनल डेस्क: कुरुक्षेत्र, जिसे इतिहास में ब्रह्मवर्त, स्थानेश्वर, थानेश्वर और थानेसर जैसे नामों से जाना जाता है, भारतीय पौराणिक कथाओं और महाभारत के इतिहास में एक विशेष स्थान रखता है। इस स्थल का नाम कुरु वंश के संस्थापक महाराजा कुरु के नाम पर रखा गया है। पर क्या आप जानते हैं कि महाभारत का भीषण युद्ध यहीं क्यों लड़ा गया और भगवान श्रीकृष्ण ने कुरुक्षेत्र को इस रक्तरंजित संघर्ष के लिए क्यों चुना? आइए जानें इस ऐतिहासिक घटना की पूरी कहानी।

युद्ध भूमि की खोज
महाभारत का युद्ध अनिवार्य रूप से कौरवों और पांडवों के बीच होना था। इसके लिए एक उपयुक्त युद्ध भूमि की तलाश की गई। भगवान श्रीकृष्ण ने इस महत्वपूर्ण कार्य के लिए अपने दूतों को कई जगहों पर भेजा। श्रीकृष्ण को ज्ञात था कि यह युद्ध बहुत विनाशकारी और रक्तरंजित होगा, और इसके लिए एक ऐसी भूमि की आवश्यकता थी जो इस नृशंसता को सहन कर सके। दूतों ने विभिन्न स्थानों की जांच की और उनके बारे में श्रीकृष्ण को जानकारी दी।

कुरुक्षेत्र की दिल दहलाने वाली घटना
एक दूत, जो कुरुक्षेत्र से लौट कर आया, अत्यंत निराश और पीड़ा में था। उसकी हालत देखकर श्रीकृष्ण ने उससे पूछा कि ऐसा क्या संदेश लेकर आया है जिससे वह इतना दुखी है। दूत ने बताया कि कुरुक्षेत्र में उसने एक दुखद घटना देखी। दूत ने कहा, “कुरुक्षेत्र में दो भाइयों के बीच खेत के बंटवारे को लेकर विवाद हुआ। सिंचाई के पानी को नियंत्रित करने के लिए खेत में एक मेड़ बनाई गई थी। एक दिन वह मेड़ टूट गई और इससे दोनों भाइयों के बीच झगड़ा हो गया। यह झगड़ा जल्दी ही मार-पीट और फिर एक रक्तरंजित संघर्ष में बदल गया। अंततः बड़े भाई ने छोटे भाई की हत्या कर दी और उसकी लाश को मेड़ की जगह पर रखकर पानी रोक दिया।” इस घटना को सुनकर दूत रो पड़ा।

श्रीकृष्ण की गहरी भावनाएँ
भगवान श्रीकृष्ण ने दूत की कहानी सुनकर इतनी गहरी पीड़ा महसूस की कि उनकी आंखों में आंसू बहने लगे। उन्होंने दूत से कहा, “जिस भूमि पर भाई-भाई के बीच इतना द्वेष हो, वह भूमि युद्ध के लिए उपयुक्त है। इस भूमि में इतनी कठोरता है कि यहाँ किसी का दिल नर्म नहीं होगा। यह भूमि निश्चय ही युद्ध का बोझ सह लेगी।” श्रीकृष्ण ने माना कि महाभारत का युद्ध आवश्यक था, क्योंकि इसके बिना युग का परिवर्तन असंभव था।

कुरुक्षेत्र की भूमि की पवित्रता और यज्ञ की प्रक्रिया
महाभारत युद्ध के बाद, देवताओं ने श्रीकृष्ण से पूछा कि एक ऐसी भूमि, जिसने लाखों मानवों का रक्त पिया हो, उसे कैसे पवित्र किया जाएगा। श्रीकृष्ण ने इस प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा, “कुरुक्षेत्र में आकर जो भी व्यक्ति सच्चे मन से अपने पूर्वजों का तर्पण करेगा, उसे मोक्ष प्राप्त होगा। इस भूमि को न्याय और अन्याय के बीच के युद्ध के प्रतीक के रूप में देखा जाएगा। यह भूमि अन्याय की समाप्ति के लिए याद रखी जाएगी।” इस प्रकार, कुरुक्षेत्र की भूमि न केवल महाभारत के युद्ध की ऐतिहासिक स्थल है, बल्कि यह न्याय और धर्म के प्रतीक के रूप में भी प्रसिद्ध है। यहाँ की ऐतिहासिक घटनाएँ और श्रीकृष्ण की भावनाएँ इसे भारतीय इतिहास का महत्वपूर्ण हिस्सा बनाते हैं।
 

Related Story

Trending Topics

Afghanistan

134/10

20.0

India

181/8

20.0

India win by 47 runs

RR 6.70
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!