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India- Pakistan 1971 की जंग में भारतीय सेना ने अचानक क्यों मंगवाए थे सैकड़ों कंडोम... वजह जानकर उड़ जाएंगे होश!

Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 26 Apr, 2025 11:16 AM

why indian army used condoms in 1971 war

भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 में लड़ा गया युद्ध इतिहास के सबसे निर्णायक युद्धों में से एक रहा। ये जंग सिर्फ रणभूमि पर ही नहीं बल्कि रणनीति, प्लानिंग और जुगाड़ के मोर्चे पर भी लड़ी गई थी। इस जंग से जुड़ा एक ऐसा किस्सा है

नेशनल डेस्क: भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 में लड़ा गया युद्ध इतिहास के सबसे निर्णायक युद्धों में से एक रहा। ये जंग सिर्फ रणभूमि पर ही नहीं बल्कि रणनीति, प्लानिंग और जुगाड़ के मोर्चे पर भी लड़ी गई थी। इस जंग से जुड़ा एक ऐसा किस्सा है जो आपको हैरान कर देगा। क्या आपने कभी सोचा है कि युद्ध में कंडोम की क्या जरूरत हो सकती है? लेकिन भारतीय सेना ने इस जरूरत को भी समझा और इसके इस्तेमाल से दुश्मन को जोरदार मात दी।

16 दिसंबर 1971: वो ऐतिहासिक दिन जब पाकिस्तान ने टेके घुटने

1971 की जंग के अंत में भारत ने पाकिस्तान को करारी शिकस्त दी थी। 16 दिसंबर 1971 को पाकिस्तानी सेना के जनरल एए खान नियाज़ी ने 93,000 सैनिकों के साथ आत्मसमर्पण किया था। यह विश्व युद्ध-2 के बाद सबसे बड़ा आत्मसमर्पण माना जाता है। इसी के साथ बांग्लादेश एक स्वतंत्र राष्ट्र बन गया।

कंडोम और युद्ध का क्या है कनेक्शन?

अब आते हैं उस दिलचस्प हिस्से पर जिसके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। दरअसल, युद्ध के दौरान भारतीय नौसेना ने लिम्पेट माइंस (Limpet Mines) का इस्तेमाल किया। ये माइंस पानी के नीचे जहाजों से चिपकाकर फोड़ी जाती थीं। इन्हें लगाने का जिम्मा गोताखोरों का होता था। लेकिन समस्या ये थी कि इन माइंस में टाइमर लगे होते थे जो पानी में खराब हो सकते थे। अगर टाइमर खराब हो जाता, तो माइन समय से पहले फट सकती थी या बिल्कुल भी न फटे। ऐसे में मिशन विफल हो सकता था और गोताखोरों की जान को भी खतरा था।

माइंस को बचाने के लिए आया 'कंडोम' वाला आइडिया

इस तकनीकी समस्या का हल खोजते हुए भारतीय नौसेना ने बेहद साधारण लेकिन स्मार्ट तरीका अपनाया। सैकड़ों कंडोम मंगवाए गए और उन्हें लिम्पेट माइंस पर चढ़ा दिया गया ताकि माइंस पानी से बच सकें और टाइमर खराब न हो। कंडोम ने माइंस को पानी में स्टेबल रखा और टाइमर पर असर नहीं होने दिया। इससे गोताखोरों को माइंस लगाने और सुरक्षित बाहर निकलने का पूरा समय मिला।

चटगांव बंदरगाह पर बड़ी जीत

भारतीय नौसेना का ये जुगाड़ उस समय बेहद कारगर साबित हुआ। चटगांव बंदरगाह पर पाकिस्तानी जहाजों को भारी नुकसान पहुंचा। भारत ने इस रणनीति से पाकिस्तान की सप्लाई लाइन पूरी तरह तोड़ दी जिससे पूर्वी पाकिस्तान (आज का बांग्लादेश) की आजादी का रास्ता साफ हो गया।

कंडोम से बंदूकें भी रहीं सुरक्षित

सिर्फ माइंस ही नहीं, भारतीय सेना ने एक और क्रिएटिव तरीका अपनाया। बांग्लादेश के दलदली और कीचड़ वाले इलाकों में लड़ाई के दौरान सैनिकों ने अपनी राइफलों की नाल पर कंडोम चढ़ाए ताकि पानी या कीचड़ अंदर न घुसे और बंदूकें खराब न हों। इससे हथियार सूखे और इस्तेमाल के लिए हमेशा तैयार रहे।

जंग की रणनीति में 'जुगाड़' बना मास्टरस्ट्रोक

इस पूरे ऑपरेशन ने साबित कर दिया कि युद्ध जीतने के लिए सिर्फ हथियार नहीं, बल्कि स्मार्ट सोच और इनोवेशन भी जरूरी होता है। भारतीय सेना की यह अनोखी रणनीति आज भी रक्षा विशेषज्ञों और इतिहासकारों के बीच चर्चा का विषय है।

 

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