Edited By Tanuja,Updated: 01 Oct, 2024 02:53 PM
हिजबुल्लाह को जुलाई 2024 तक अरब लीग के 22 मुस्लिम देश और दुनिया के 60 से ज्यादा देशों ने आतंकी संगठन माना है, जिसमें...
International Desk: हिजबुल्लाह को जुलाई 2024 तक अरब लीग के 22 मुस्लिम देश और दुनिया के 60 से ज्यादा देशों ने आतंकी संगठन माना है, जिसमें अमेरिका, यूरोपियन यूनियन और गल्फ को-ऑपरेशन काउंसिल भी शामिल हैं। ऐसे में इजरायली हमले में हिजबुल्लाह के चीफ हसन नसरुल्लाह की मौत पर भारतीय मुसलमानों, खासतौर पर शिया समुदाय द्वारा मातम करना हैरान करने वाला है। मध्य-पूर्व, टर्की, मिस्र, इंडोनेशिया जैसे देशों में नसरुल्लाह की मौत पर कोई खास प्रतिक्रिया नहीं दिख रही है। सऊदी अरब, UAE, कतर, बहरीन, और मिस्र ने इस घटना पर चुप्पी साध रखी है। मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सीसी ने लेबनान के प्रधानमंत्री से बात की, लेकिन नसरुल्लाह का जिक्र नहीं किया। केवल सीरिया और इराक ने नसरुल्लाह की मौत पर तीन दिन का शोक घोषित किया है।
भारत में अलग माहौल क्यों?
नसरुल्लाह की मौत के बाद भारत में शिया मुसलमानों के एक वर्ग द्वारा मातम मनाया जा रहा है। यह हैरानी की बात है क्योंकि नसरुल्लाह का भारत से कोई सीधा संबंध नहीं था, और वह कई आतंकी हमलों के लिए जिम्मेदार था जिसमें सैकड़ों निर्दोषों की जान गई। ऐसे में भारतीय मुसलमानों द्वारा उसका महिमामंडन करना एक सवाल खड़ा करता है कि वे अपने बच्चों को किस राह पर ले जाना चाहते हैं।
यह प्रवृत्ति भारत में नई नहीं है। गांधी जी के खिलाफत आंदोलन को समर्थन देने के बाद से जब भी मुस्लिम जगत में कुछ होता है, भारतीय मुसलमान सड़कों पर उतर आते हैं। शार्ली अब्दो के केस में भी ऐसा ही हुआ था। लेकिन सवाल यह है कि विदेशी मुद्दों पर इस तरह का समर्थन भारत में क्यों देखने को मिलता है, जब खुद मिडिल ईस्ट के मुस्लिम देशों ने नसरुल्लाह की मौत पर चुप्पी साध रखी है? इस बार भारतीय राजनीति में अब तक संयम दिखा है। कश्मीर की महबूबा मुफ्ती को छोड़कर किसी भी बड़े नेता ने नसरुल्लाह की मौत पर कोई शोक संदेश नहीं दिया है।