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मुसलमान होकर हिंदू मंदिर की सेवा में 18 साल से क्यों लगा है मोहम्मद अली

Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 23 Jan, 2025 01:23 PM

why is mohammad ali serving a hindu temple for 18 years despite being a muslim

उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले से एक ऐसी कहानी सामने आई है, जो सांप्रदायिक एकता और सद्भाव की मिसाल पेश करती है। बहराइच में जहां कुछ समय पहले साम्प्रदायिक हिंसा और दंगे हुए थे, वहीं मोहम्मद अली नाम के एक मुसलमान युवक पिछले 18 सालों से एक हिंदू मंदिर की...

नेशनल डेस्क: उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले से एक ऐसी कहानी सामने आई है, जो सांप्रदायिक एकता और सद्भाव की मिसाल पेश करती है। बहराइच में जहां कुछ समय पहले साम्प्रदायिक हिंसा और दंगे हुए थे, वहीं मोहम्मद अली नाम के एक मुसलमान युवक पिछले 18 सालों से एक हिंदू मंदिर की सेवा कर रहे हैं। इसने सभी धर्मों के बीच भेदभाव की दीवार को तोड़ते हुए एक नई उम्मीद और सांप्रदायिक सौहार्द की नींव रखी है।

माता घुरदेवी के मंदिर से जुड़ी मोहम्मद अली की श्रद्धा

मोहम्मद अली, जो बहराइच के जैतापुर बाजार में स्थित मातेश्वरी माता घुरदेवी के मंदिर के प्रबंधन समिति के अध्यक्ष हैं, इस मंदिर की देखभाल के लिए पूरी तरह समर्पित हैं। वे एक आदर्श मुसलमान हैं, जो रोज़ाना नमाज़ पढ़ते हैं, रमजान के रोजे रखते हैं और इस्लामिक परंपराओं का पालन करते हुए भगवान हनुमान और माता घुरदेवी की पूजा भी करते हैं। अली ने अपनी श्रद्धा का कारण बताते हुए कहा कि बचपन में जब वे ल्यूकोडर्मा (सफेद दाग) बीमारी से ग्रस्त थे, तब उनकी मां उन्हें इस मंदिर ले गईं और मंदिर के पवित्र जल से उनका इलाज हुआ। इस घटना ने उन्हें मंदिर से जोड़ दिया और वे यहाँ की सेवा में जुट गए।

सांप्रदायिक सद्भाव का प्रतीक अली की सेवा

साल 2007 में अली ने सक्रिय रूप से मंदिर की देखभाल शुरू की। मंदिर का हालत पहले बहुत खराब था, लेकिन अली ने इसके पुनर्निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने अकेले मंदिर के विकास के लिए 2.7 लाख रुपये जुटाए और सरकारी सहायता के साथ मंदिर का पुनर्निर्माण किया, जिसमें 30 लाख रुपये से ज्यादा का खर्च आया। हाल ही में मंदिर में एक भव्य हनुमान मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा हुई, जिसमें हजारों भक्तों ने भाग लिया।

धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में प्रसिद्ध हो रहा है मंदिर

इस मंदिर का धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में दर्जा भी बढ़ा है, और यह अब हिंदू- मुस्लिम दोनों समुदायों के लोगों को आकर्षित करता है। मंदिर में आने वाली मुस्लिम महिलाएं भी पूजा में शामिल होती हैं और इसने सांप्रदायिक एकता को नया आयाम दिया है। अली का कहना है, "मैं दोनों धर्मों का सम्मान करता हूं और मंदिर की सेवा करना मेरे लिए एक प्रकार की भक्ति और एकता का प्रतीक है।"

अली का संदेश, "धर्मों के बीच प्यार और सौहार्द बढ़ाएं"

मोहम्मद अली की यह कहानी यह साबित करती है कि धर्म चाहे जो हो, इंसानियत और एकता सबसे बड़ी ताकत होती है। अली ने न केवल अपनी आस्था का सम्मान किया, बल्कि हिंदू और मुस्लिम दोनों धर्मों के बीच एकता का प्रतीक बनकर सांप्रदायिक सौहार्द का संदेश दिया है।

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