Edited By rajesh kumar,Updated: 26 Jan, 2025 04:07 PM
26 जनवरी को भारत का गणतंत्र दिवस मनाया जाता है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इस तारीख को क्यों चुना गया? इसका इतिहास स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ा हुआ है, और यह दिन भारतीय संघर्ष और समर्पण की प्रतीक बन चुका है। आइए जानते हैं इस तारीख के महत्व के...
नई दिल्ली: 26 जनवरी को भारत का गणतंत्र दिवस मनाया जाता है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इस तारीख को क्यों चुना गया? इसका इतिहास स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ा हुआ है, और यह दिन भारतीय संघर्ष और समर्पण की प्रतीक बन चुका है। आइए जानते हैं इस तारीख के महत्व के बारे में।
26 जनवरी क्यों?
भारत की स्वतंत्रता के बाद संविधान के लागू होने की तारीख तय करनी थी, और 26 जनवरी को चुना गया। इस तारीख का ऐतिहासिक महत्व था क्योंकि 1930 में इसी दिन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने पूर्ण स्वराज का ऐलान किया था।
लाहौर अधिवेशन और पूर्ण स्वराज का ऐलान
31 दिसंबर 1929 को लाहौर में कांग्रेस का अधिवेशन हो रहा था। यहां पर भारतीय जनता ने यह संकल्प लिया कि वे अब सिर्फ कुछ रियायतें नहीं बल्कि पूर्ण स्वराज चाहते हैं। जवाहरलाल नेहरू ने अपने भाषण में इसे स्पष्ट किया कि अब हमें विदेशी शासन से मुक्ति पाने के लिए खुला विद्रोह करना होगा।
इसी अधिवेशन में 26 जनवरी 1930 को पूर्ण स्वराज के लिए संघर्ष की तारीख तय की गई। कांग्रेस ने यह तय किया कि अगर अंग्रेज़ 26 जनवरी तक देश को स्वराज नहीं देते, तो भारतीय लोग खुद को स्वतंत्र घोषित कर देंगे।
26 जनवरी 1930 को स्वतंत्रता दिवस मनाना
26 जनवरी 1930 को देशभर में स्वतंत्रता संग्राम के समर्थन में तिरंगा फहराया गया और भारतवासियों ने एकजुट होकर स्वतंत्रता प्राप्त करने का संकल्प लिया। यह दिन हर शहर, गांव और कस्बे में स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया गया। यह सिलसिला 1947 में स्वतंत्रता प्राप्ति तक जारी रहा।
संविधान निर्माण और स्वीकृति
भारत का संविधान 1947 में तैयार होना शुरू हुआ, और 25 नवंबर 1949 को संविधान का निर्माण पूरा हुआ। संविधान सभा ने 26 नवंबर 1949 को इसे स्वीकार किया। हालांकि, यह सवाल था कि इसे कब लागू किया जाए, और इसके लिए 26 जनवरी 1950 को चुना गया।
गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता संग्राम की विरासत
गणतंत्र दिवस के दिन 26 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान औपचारिक रूप से लागू हुआ। यह दिन अब स्वतंत्रता संग्राम के संघर्ष और हमारे लोकतंत्र की जीत के रूप में मनाया जाता है।
संविधान की सफलता का प्रमाण
संविधान की सफलता सिर्फ इसमें लिखी बातों पर नहीं, बल्कि इस पर अमल करने वाले लोगों पर निर्भर करती है। डॉक्टर भीमराव आंबेडकर और डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने संविधान के पालन और संरक्षण की अहमियत पर जोर दिया था। उन्होंने कहा था कि संविधान अच्छा या बुरा नहीं होता, बल्कि यह उन लोगों की नीयत पर निर्भर करता है जो इसे लागू करते हैं। आज भी हमारे संविधान के प्रति सम्मान और आदर का भाव बना हुआ है, और यह लोकतंत्र के मजबूत स्तंभ के रूप में कार्य करता है।