Edited By Utsav Singh,Updated: 21 Nov, 2024 04:42 PM
हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट के बाद एक बार फिर उद्योगपति गौतम अडानी संकट में घिर गए हैं। इस बार उनके खिलाफ अमेरिका में रिश्वत और धोखाधड़ी के गंभीर आरोप लगाए गए हैं। आरोप है कि अडानी ने अपनी कंपनी के लिए सोलर प्रोजेक्ट्स के कॉन्ट्रैक्ट दिलाने के लिए...
नेशनल डेस्क : हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट के बाद एक बार फिर उद्योगपति गौतम अडानी संकट में घिर गए हैं। इस बार उनके खिलाफ अमेरिका में रिश्वत और धोखाधड़ी के गंभीर आरोप लगाए गए हैं। आरोप है कि अडानी ने अपनी कंपनी के लिए सोलर प्रोजेक्ट्स के कॉन्ट्रैक्ट दिलाने के लिए भारतीय सरकारी अधिकारियों को 265 मिलियन डॉलर (करीब 2200 करोड़ रुपये) की रिश्वत दी। यह मामला बुधवार को न्यूयॉर्क में अपराधिक शिकायत के रूप में दर्ज किया गया था। आइए जानते है इस पूरे मामले को विस्तार से...
मामला क्या है?
अमेरिका के फेडरल कोर्ट में हुई सुनवाई में गौतम अडानी सहित आठ लोगों पर अरबों रुपये की धोखाधड़ी और रिश्वतखोरी के आरोप लगाए गए हैं। इस मामले में आरोप है कि अडानी ग्रीन एनर्जी ने भारतीय राज्य सरकारों के अधिकारियों को रिश्वत दी ताकि उनकी कंपनियां ( डिस्कॉम) सरकारी बिजली वितरण कंपनियों से सोलर पावर खरीदने के लिए प्रतिबद्ध हों, और यह सोलर पावर बाजार दरों से अधिक कीमत पर खरीदी जाए।
आरोपियों की सूची
अमेरिकी जांच एजेंसियों ने अडानी समूह के आठ लोगों को आरोपित किया है, जिनमें शामिल हैं:
- गौतम अडानी
- सागर आर अडानी (अडानी ग्रीन के कार्यकारी निदेशक)
- विनीत एस जैन
- रंजित गुप्ता
- रूपेश अग्रवाल
- दीपक मल्होत्रा
- सौरभ अग्रवाल
- सिरील कैबनीज
इन सभी पर रिश्वत देने और धोखाधड़ी के आरोप लगे हैं।
रिश्वत देने का तरीका
अमेरिकी सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज कमीशन (SEC) ने आरोप लगाया है कि अडानी ग्रीन ने भारतीय अधिकारियों को रिश्वत दी ताकि वे सरकारी डिस्ट्रिब्यूशन कंपनियों को सोलर एनर्जी खरीदने के लिए अधिक दरों पर प्रतिबद्ध करें। यह रिश्वत 2021 के मध्य से लेकर 2021 के अंत तक दी गई थी। इस सोलर प्रोजेक्ट्स से अडानी समूह को 20 सालों में करीब 2 अरब डॉलर का मुनाफा होने की उम्मीद थी।
अमेरिकी निवेशकों को धोखा
अमेरिका में ये आरोप भी लगाए गए हैं कि अडानी ग्रीन ने अमेरिकी निवेशकों को धोखा दिया। कंपनी ने झूठे और भ्रामक बयानों के आधार पर 175 मिलियन डॉलर जुटाए, जो कि बाद में धोखाधड़ी साबित हुए। SEC के अनुसार, अडानी ग्रीन और एज्योर पावर ने सोलर एनर्जी प्रोजेक्ट्स में अमेरिकी निवेशकों से पैसे जुटाए थे, जबकि उन्होंने भारतीय सरकारी अधिकारियों को रिश्वत देकर बाजार दरों से अधिक कीमतों पर बिजली खरीदने का वादा किया था।
सोलर प्रोजेक्ट्स का विवाद
अमेरिकी SEC की शिकायत में यह कहा गया है कि अडानी ग्रीन और एज्योर पावर को भारतीय सरकार के सोलर एनर्जी प्रोग्राम्स से बड़े फायदे मिल रहे थे। ये प्रोग्राम्स भारतीय सरकारी एजेंसी एसईसीआई (Solar Energy Corporation of India) द्वारा चलाए जा रहे थे, जिसके तहत कंपनियों को सोलर पैनल बनाने के लिए प्रोत्साहन दिया जाता था।
2020 में, अडानी ग्रीन और एज्योर पावर को इस प्रोग्राम के तहत कई परियोजनाएं मिलीं, लेकिन आरोप है कि उन्होंने रिश्वत देकर सरकारी अधिकारियों से सोलर पावर खरीदने की कीमतें बढ़वाईं। इससे सरकारी डिस्ट्रिब्यूशन कंपनियों को ज्यादा पैसे चुकाने पड़े, और इन कंपनियों को यह समझौते करने के लिए मजबूर किया गया।
अमेरिकी कानून के तहत मामला
अमेरिका में रिश्वत देना एक कानूनी अपराध है। अगर यह आरोप साबित हो जाते हैं तो अपराधिक दंड हो सकता है। इस मामले में अडानी ग्रीन और उनके सहयोगियों पर आरोप है कि उन्होंने भारतीय अधिकारियों को रिश्वत दी ताकि वे सोलर पावर खरीदने के लिए सरकारी कंपनियों को बाध्य करें।
अडानी ग्रुप के शेयरों में गिरावट
इस मामले की जानकारी मिलने के बाद, अडानी ग्रुप के शेयरों में भारी गिरावट आई है। गुरुवार को अडानी समूह के शेयरों में 25% तक की गिरावट दर्ज की गई। कई शेयर लोअर सर्किट में फंस गए हैं, जिससे निवेशकों में हड़कंप मच गया है।
भारत में राजनीति और आरोप
गौतम अडानी को भारत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का करीबी माना जाता है, और विपक्षी पार्टियां हमेशा से आरोप लगाती रही हैं कि अडानी को राजनीतिक संरक्षण मिलता है। हालांकि, अडानी और उनका समूह इन आरोपों को हमेशा नकारते रहे हैं।
गौतम अडानी और उनके समूह पर अमेरिकी अदालत में रिश्वत और धोखाधड़ी के आरोप गंभीर हैं। इससे न केवल अडानी ग्रुप के कारोबार पर असर पड़ेगा, बल्कि भारतीय और अमेरिकी दोनों देशों में उनके खिलाफ कानूनी कार्यवाही भी हो सकती है। साथ ही, यह मामला अडानी समूह के निवेशकों के लिए चिंता का विषय बन गया है।