Edited By Mahima,Updated: 28 Dec, 2024 11:34 AM
कर्नाटक उच्च न्यायालय में एक महिला ने अपने पति पर आरोप लगाया कि वह अपनी पालतू बिल्ली को ज्यादा तवज्जो देता है और उसकी चोटों की अनदेखी करता है। हालांकि, अदालत ने इसे तुच्छ मामला करार दिया और मामले की आगे जांच पर रोक लगा दी। कोर्ट ने कहा कि इस तरह के...
नेशनल डेस्क: कर्नाटक उच्च न्यायालय में एक अनोखा और अजीब मामला सामने आया है, जिसमें एक महिला ने अपने पति के खिलाफ क्रूरता का आरोप लगाया है। महिला का कहना है कि उसका पति उसे छोड़कर अपनी पालतू बिल्ली की ज्यादा देखभाल करता है। महिला ने कोर्ट में शिकायत दर्ज कराते हुए कहा कि उसका पति अपनी बिल्ली की ज्यादा परवाह करता है, जबकि उसे कई बार घायल होने के बावजूद पति ने कोई ध्यान नहीं दिया।
महिला का आरोप था कि उसकी पालतू बिल्ली ने कई बार उसे खरोंच दिया और हमला किया, लेकिन उसके पति ने कभी उसकी चोटों का इलाज नहीं किया और न ही उसकी ओर ध्यान दिया। महिला ने आरोप लगाया कि उसका पति बिल्ली को हमेशा प्राथमिकता देता था, जबकि उसके साथ रिश्ते में कोई समझदारी या सहानुभूति नहीं दिखाता था। महिला का यह भी कहना था कि उसके पति का पालतू जानवर के प्रति इतना अفرातफरी का प्रेम, उसकी अपनी पत्नी के लिए मानसिक पीड़ा का कारण बनता था।
हालांकि, कर्नाटक उच्च न्यायालय ने इस मामले को गंभीर नहीं माना और इसे तुच्छ (frivolous) मामला करार दिया। न्यायमूर्ति एम. नागप्रसन्ना ने कहा कि इस मामले में किसी प्रकार का दहेज उत्पीड़न या गंभीर आरोप नहीं थे, और यह मुख्य रूप से पालतू बिल्ली के कारण उत्पन्न हुआ विवाद था। कोर्ट ने मामले की आगे जांच पर रोक लगा दी और कहा कि इस प्रकार के मामले न्याय व्यवस्था पर अनावश्यक दबाव डालते हैं। न्यायमूर्ति ने यह भी टिप्पणी की कि घरेलू मामलों में इस प्रकार के छोटे-छोटे विवादों से अदालतों का समय बर्बाद होता है, जो कि समाज के अन्य महत्वपूर्ण मामलों से संबंधित है।
यह मामला इसलिए भी अलग था क्योंकि कोर्ट में अब तक इस तरह के घरेलू विवादों में पालतू जानवर की प्राथमिकता को लेकर कोई मामला सामने नहीं आया था। यह केस परिवार और पालतू जानवरों के बीच संबंधों को लेकर एक नई चर्चा का विषय बन गया। न्यायालय ने इस तरह के विवादों को हल्के तौर पर लिया और इस पर जल्दबाजी में कोई आदेश देने से बचते हुए फैसला लिया कि ऐसे मामलों की आगे जांच नहीं की जाएगी।
यह निर्णय उस समय आया है जब पालतू जानवरों की देखभाल और उनके महत्व को लेकर समाज में कई बहसें चल रही हैं। कई लोग यह मानते हैं कि पालतू जानवरों के साथ मानव के रिश्ते में भावनात्मक जुड़ाव गहरा हो सकता है, लेकिन यदि यह रिश्ते पारिवारिक संबंधों को प्रभावित करने लगे, तो यह एक चिंता का विषय बन सकता है। कर्नाटक उच्च न्यायालय का यह फैसला यह संदेश देता है कि कोर्ट को ऐसे मामलों में अधिक संजीदगी से काम लेना चाहिए, जहां रिश्तों की गंभीरता और पारिवारिक विवादों से संबंधित सवाल उठते हैं। साथ ही, यह मामला यह भी दर्शाता है कि अदालतों को छोटे और तुच्छ मामलों में समय और संसाधन बर्बाद करने से बचना चाहिए ताकि समाज के अन्य महत्वपूर्ण और गंभीर मामलों पर ध्यान केंद्रित किया जा सके।