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Chhattisgarh High Court का फैसला: 'पत्नी की सहमति के बिना Unnatural यौन संबंध अपराध नहीं'

Edited By Rohini Oberoi,Updated: 12 Feb, 2025 10:49 AM

wife unnatural relations by husband not an offence says chhattisgarh high court

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने सोमवार को एक अहम फैसला सुनाया जिसमें उसने पत्नी के साथ सेक्सुअल रिलेशन के मामले में महत्वपूर्ण टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि एक बालिग पत्नी के साथ उसके सहमति के बिना या फिर सहमति से यौन संबंध बनाने को रेप या अप्राकृतिक संबंध का...

नेशनल डेस्क। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने सोमवार को एक अहम फैसला सुनाया जिसमें उसने पत्नी के साथ सेक्सुअल रिलेशन के मामले में महत्वपूर्ण टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि एक बालिग पत्नी के साथ उसके सहमति के बिना या फिर सहमति से यौन संबंध बनाने को रेप या अप्राकृतिक संबंध का मामला नहीं माना जा सकता। यानी सेक्सुअल रिलेशन बनाने या अप्राकृतिक संबंध बनाने में पत्नी की सहमति जरूरी नहीं है।

इस फैसले के तहत कोर्ट ने एक व्यक्ति पर लगे आरोपों को खारिज करते हुए उसे आईपीसी की धारा 376 (रेप), 377 (अप्राकृतिक यौन संबंध) और 304 (गैर इरादतन हत्या) के तहत दोषी नहीं पाया। इसके साथ ही कोर्ट ने आरोपी को तुरंत जेल से रिहा करने का आदेश दिया।

 

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कोर्ट ने क्या कहा?

कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि अगर पत्नी की उम्र 15 साल से कम नहीं है तो पति का अपनी पत्नी के साथ किए गए किसी भी सेक्सुअल एक्ट को बलात्कार नहीं कहा जा सकता। ऐसे में अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने के लिए पत्नी की सहमति की कोई आवश्यकता नहीं है। कोर्ट ने इस आधार पर आरोपी को आईपीसी की धारा 376 और 377 के तहत दोषी नहीं ठहराया।

 

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पूरा मामला क्या था?

यह मामला 11 दिसंबर 2017 का है जब 40 साल के एक व्यक्ति ने अपनी पत्नी के साथ उसकी मर्जी के खिलाफ अप्राकृतिक यौन संबंध बनाए थे। इसके बाद महिला को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा और इलाज के दौरान महिला की मौत हो गई। महिला ने मौत से पहले बयान दिया था कि पति ने उसके साथ जबरदस्ती संबंध बनाए थे और डॉक्टरों ने यह बताया था कि महिला की मौत अप्राकृतिक यौन संबंध के कारण हुई थी।

हालांकि अब हाईकोर्ट ने माना कि अगर पत्नी की उम्र 15 साल से अधिक है तो उसके साथ किए गए सेक्सुअल एक्ट को बलात्कार नहीं माना जा सकता। इसके अलावा कोर्ट ने यह भी माना कि अप्राकृतिक यौन संबंध को अपराध नहीं माना जा सकता। इस फैसले के बाद हाईकोर्ट ने पति को सभी आरोपों से बरी कर दिया। इससे पहले ट्रायल कोर्ट ने उसे 10 साल की सजा सुनाई थी।

 

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महत्वपूर्ण सवाल

यह फैसला भारत में मैरिटल रेप के मामलों में कानूनी स्थिति पर सवाल उठाता है। भारत में इस प्रकार के मामलों में सजा नहीं मिलती है और अब इस फैसले से अप्राकृतिक यौन संबंधों को भी सजा के दायरे से बाहर कर दिया गया है।

वहीं यह फैसला कई लोगों के लिए हैरान करने वाला है क्योंकि यह पत्नी के अधिकारों और सुरक्षा को लेकर एक नया दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है।

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