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म्यांमार जैसे भूकंप से भारत में भी होगी तबाही? IIT के वैज्ञानिक की इस चेतावनी ने डराया सबको

Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 01 Apr, 2025 04:38 PM

will earthquake like myanmar cause devastation in india too

म्यांमार में 28 मार्च को आए दो भयानक भूकंपों ने पूरे देश को हिला कर रख दिया है। इन भूकंपों ने सैकड़ों इमारतों को ढहा दिया और हजारों लोगों की जान ले ली। यह भूकंप 7.7 और 6.4 की तीव्रता के थे। अब सवाल यह उठता है कि क्या इस तरह के भूकंपों का खतरा भारत...

नेशनल डेस्क: म्यांमार में 28 मार्च को आए दो भयानक भूकंपों ने पूरे देश को हिला कर रख दिया है। इन भूकंपों ने सैकड़ों इमारतों को ढहा दिया और हजारों लोगों की जान ले ली। यह भूकंप 7.7 और 6.4 की तीव्रता के थे। अब सवाल यह उठता है कि क्या इस तरह के भूकंपों का खतरा भारत में भी हो सकता है? इस सवाल का जवाब देने के लिए IIT कानपुर के साइंटिस्ट ने एक गंभीर चेतावनी दी है। IIT कानपुर के अर्थ साइंसेज डिपार्टमेंट के प्रोफेसर जावेद मलिक ने कहा कि म्यांमार में आए भूकंप का मुख्य कारण सागाइंग फॉल्ट है। यह फॉल्ट बहुत खतरनाक है और इसके बारे में इंटरनेट पर आसानी से जानकारी मिल सकती है। प्रोफेसर ने बताया कि सागाइंग फॉल्ट के कारण म्यांमार और थाईलैंड में जबरदस्त भूकंप आया था, जिसने भारी तबाही मचाई।

भारत में गंगा-बंगाल फॉल्ट: क्या खतरा है?

भारत के पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी क्षेत्र में गंगा-बंगाल फॉल्ट स्थित है। यह भी एक सक्रिय फॉल्ट है और इसका प्रभाव भारत में महसूस किया जा सकता है। प्रोफेसर मलिक ने चेतावनी दी कि सागाइंग फॉल्ट और गंगा-बंगाल फॉल्ट के बीच कई अन्य फॉल्टलाइन हैं। यदि एक फॉल्ट सक्रिय होता है तो इससे दूसरे फॉल्ट भी सक्रिय हो सकते हैं, जो भारत में बड़े भूकंप का कारण बन सकते हैं।

भूकंप की आवृत्ति और इतिहास

सागाइंग फॉल्ट एक बहुत पुराना फॉल्ट है और इसके बारे में शोध भी किया गया है। जापान और यूरोपीय एक्सपर्ट्स ने इस पर अध्ययन किया है। शोधों से यह पता चला है कि सागाइंग फॉल्ट पर भूकंपों की आवृत्ति लगभग 150 से 200 वर्षों के बीच होती है। इसका मतलब यह है कि इस क्षेत्र में हर 150 से 200 साल में एक बड़ा भूकंप आ सकता है।

भारत में भूकंप के खतरे का सबसे बड़ा कारण

भारत के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र और कश्मीर जोन-5 में आते हैं, जहां कई सक्रिय फॉल्टलाइन मौजूद हैं। प्रोफेसर मलिक ने कहा कि इन इलाकों में भूकंप के खतरे को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। इन फॉल्टलाइन के फ्रंटल पार्ट्स पर ज्यादा ध्यान दिया गया है, लेकिन इसके ऊपर और नीचे भी कई फॉल्ट लाइनें मौजूद हैं, जो भूकंप का कारण बन सकती हैं।

भारत को क्या करना चाहिए?

प्रोफेसर मलिक ने कहा कि भारत में भूकंप के खतरे से निपटने के लिए हमें अत्यधिक रिसर्च की जरूरत है। इसके अलावा, जोन-5 वाले इलाकों में सावधानी बरतने की आवश्यकता है। इन क्षेत्रों में भूकंप के प्रभाव को कम करने के लिए विभिन्न उपायों पर काम करना चाहिए।

भूकंप की चेतावनी और तैयारियां

भारत में भूकंप से होने वाली तबाही को कम करने के लिए पहले से कई कदम उठाए जा रहे हैं, लेकिन इन क्षेत्रों में अधिक जागरूकता फैलाने और विशेषज्ञों के सुझावों को लागू करने की आवश्यकता है। भूकंप के प्रभाव को कम करने के लिए भूकंपीय निगरानी और आपातकालीन योजनाओं को तैयार किया जाना चाहिए।

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