Edited By Pardeep,Updated: 21 Jan, 2025 10:06 PM
20 जनवरी को डोनाल्ड ट्रंप के शपथ लेने के बाद दुनिया भर के तेल आयातक देशों की उम्मीदें फिर से जाग गई हैं, खासकर भारत जैसे देशों की, जो अपनी आवश्यकताओं का 70 प्रतिशत से ज्यादा तेल आयात करते हैं।
नेशनल डेस्कः 20 जनवरी को डोनाल्ड ट्रंप के शपथ लेने के बाद दुनिया भर के तेल आयातक देशों की उम्मीदें फिर से जाग गई हैं, खासकर भारत जैसे देशों की, जो अपनी आवश्यकताओं का 70 प्रतिशत से ज्यादा तेल आयात करते हैं। इस समय यह कयास लगाए जा रहे हैं कि ट्रंप प्रशासन के नेतृत्व में अमेरिका का क्रूड ऑयल उत्पादन बढ़ सकता है जिससे वैश्विक स्तर पर तेल की आपूर्ति अधिक होगी और कीमतों में कमी आएगी। इससे उन देशों को फायदा हो सकता है जो मुख्य रूप से तेल आयात पर निर्भर हैं, जैसे भारत।
अमेरिका से तेल आपूर्ति बढ़ने की संभावना
भारत के पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने इस संबंध में जानकारी दी है कि ट्रंप प्रशासन के आने के बाद अमेरिका से तेल आपूर्ति में वृद्धि हो सकती है। पुरी ने बताया कि भारत के लिए तेल आपूर्ति करने वाले देशों की संख्या पहले 27 से बढ़कर 39 हो गई है, और यदि अमेरिका से और अधिक तेल आता है, तो भारत इसका स्वागत करेगा। उन्होंने यह भी कहा कि ट्रंप प्रशासन के तेल एवं गैस उत्पादन को अधिकतम करने के प्रयासों को देखते हुए, अमेरिका से अधिक तेल आने की संभावना है।
पुरी ने एक कार्यक्रम में कहा, "अगर आप मुझसे पूछते हैं कि क्या बाजार में और अधिक अमेरिकी तेल आने वाला है, तो मेरा उत्तर है हां। यदि आप यह कहते हैं कि भारत और अमेरिका के बीच अधिक तेल खरीदारी की संभावना है, तो भी इसका जवाब हां है।"
तेल की कीमतों में गिरावट का संकेत
पुरी ने हालांकि यह भी स्पष्ट किया कि सरकार ट्रंप प्रशासन द्वारा किए गए फैसलों पर बहुत सावधानी से नजर रखेगी। उन्होंने बताया कि कुछ निर्णय पहले से ही अपेक्षित थे, और इन पर प्रतिक्रिया देने से पहले पूरी स्थिति का विश्लेषण करना आवश्यक है। इसके अलावा, उन्होंने पेट्रोलियम मंत्री के रूप में यह भी संकेत दिया कि ट्रंप प्रशासन के नेतृत्व में अमेरिका, ब्राजील, गुयाना, सूरीनाम और कनाडा से अधिक तेल आने की संभावना है, जिससे तेल की कीमतों में गिरावट आ सकती है।
एथनॉल मिश्रण और तेल की कीमतों में संभावित गिरावट
पुरी ने भारतीय वाहन निर्माता कंपनियों से अपील की कि वे अधिक फ्लेक्स ईंधन वाहन उपलब्ध कराएं, जिनमें एथनॉल का मिश्रण हो। उन्होंने यह भी बताया कि भारत 20 प्रतिशत एथनॉल मिश्रण के लक्ष्य को निर्धारित समय से पांच साल पहले हासिल कर लेगा, जो भारत की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करेगा।
क्या पेट्रोल और डीजल की कीमतों में गिरावट होगी?
यदि अमेरिका से तेल का और अधिक आयात होता है, तो अंतरराष्ट्रीय बाजार में अमेरिकी और खाड़ी देशों के तेल की कीमतों में गिरावट आ सकती है। इससे भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में भी कमी देखने को मिल सकती है। जानकारों का कहना है कि डोनाल्ड ट्रंप के पहले कार्यकाल में अमेरिकी तेल उत्पादन में वृद्धि के कारण वैश्विक तेल बाजार में कीमतें कम हुई थीं, और अब भी ऐसी संभावना है कि अमेरिकी तेल के अधिक आयात से कीमतों में गिरावट आएगी।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट
वहीं दूसरी ओर, अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट देखी जा रही है। अमेरिकी क्रूड ऑयल (WTI) की कीमत 2.25 फीसदी गिरकर 76.13 डॉलर प्रति बैरल हो गई है, जबकि ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमत में 1.17 फीसदी की गिरावट आई है और यह 79.21 डॉलर प्रति बैरल पर ट्रेड कर रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि ट्रंप प्रशासन के सक्रिय होने के बाद कच्चे तेल की कीमतों में और गिरावट हो सकती है, जिससे आयातक देशों को फायदा होगा।
अंतरराष्ट्रीय तेल बाजार में हो रही गिरावट और ट्रंप प्रशासन द्वारा तेल उत्पादन बढ़ाने के संकेतों के बीच, भारत जैसे देशों को पेट्रोल और डीजल की कीमतों में गिरावट देखने को मिल सकती है। इसके अलावा, भारत के लिए अधिक एथनॉल मिश्रित ईंधन की दिशा में भी प्रगति हो रही है, जो पर्यावरण और ऊर्जा सुरक्षा के लिहाज से एक सकारात्मक कदम है। कुल मिलाकर, यह बदलाव भारत के लिए आर्थिक दृष्टि से फायदेमंद साबित हो सकते हैं।