Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 10 Feb, 2025 07:32 PM
![will rahul gandhi leave hinduism](https://img.punjabkesari.in/multimedia/914/0/0X0/0/static.punjabkesari.in/2025_2image_19_31_072101574rahul-ll.jpg)
महाकुंभ के धर्म संसद में शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने एक बड़ा बयान दिया है, जिससे राहुल गांधी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। उन्होंने कहा कि अगर राहुल गांधी माफी नहीं मांगते हैं तो धर्म संसद उन्हें हिंदू धर्म से बहिष्कृत कर सकती है।...
नेशनल डेस्क: महाकुंभ के धर्म संसद में शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने एक बड़ा बयान दिया है, जिससे राहुल गांधी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। उन्होंने कहा कि अगर राहुल गांधी माफी नहीं मांगते हैं तो धर्म संसद उन्हें हिंदू धर्म से बहिष्कृत कर सकती है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने हाल ही में संसद में हाथरस गैंगरेप पीड़िता के मामले को उठाते हुए कहा था कि आरोपियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो रही है, जबकि पीड़िता का परिवार पुलिस के पहरे में बंद है। इस दौरान राहुल गांधी ने एक और बयान दिया था, जिसमें उन्होंने मनुस्मृति का संदर्भ लिया। उन्होंने कहा था, "क्या संविधान में लिखा है कि बलात्कारियों को बाहर घूमने की छूट हो और पीड़िता का परिवार बंद रहे?" यह बयान सीधे तौर पर मनुस्मृति से जोड़ा गया, जिसे लेकर साधु-संतों का गुस्सा फूट पड़ा।
धर्म संसद ने राहुल गांधी को दी चेतावनी
धर्म संसद के अध्यक्ष शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने राहुल गांधी के बयान की कड़ी निंदा की और एक शर्त रखी। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी को एक महीने के अंदर माफी मांगनी होगी, नहीं तो उन्हें हिंदू धर्म से बाहर कर दिया जाएगा। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने यह भी कहा कि राहुल गांधी ने जो बयान दिया है, वह हिंदू धर्म और समाज के खिलाफ है।
क्या राहुल गांधी माफी मांगेंगे?
राहुल गांधी की राजनीतिक शैली को देखते हुए यह सवाल उठता है कि क्या वह धर्म संसद के इस फैसले से डरकर माफी मांगेंगे? राहुल गांधी ने अब तक किसी भी विवादित बयान पर माफी नहीं मांगी है, भले ही उन्हें कई बार कानूनी मामलों का सामना करना पड़ा हो। यह संभावना कम है कि वे धर्म संसद की धमकी से प्रभावित होकर माफी मांगेंगे।
धर्म संसद का यह फैसला संवैधानिक रूप से कोई प्रभाव नहीं डालता। हिंदू धर्म से जुड़े फैसले संसद के दायरे में नहीं आते और ऐसे फैसले केवल धार्मिक संदर्भ में होते हैं। इसलिए यह केवल एक प्रतीकात्मक बयान है, जिसका राजनीतिक असर हो सकता है, लेकिन इससे राहुल गांधी की धार्मिक पहचान पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा।