Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 17 Mar, 2025 12:30 PM

भारत में चुनाव आयोग (Election Commission of India) द्वारा आधार और मतदाता पहचान पत्र (EPIC) को जोड़ने की योजना पर गहरे विवाद और कानूनी अड़चनें आ रही हैं। हालांकि, आयोग ने पहले ही साल 2023 तक 66.23 करोड़ आधार नंबर एकत्र किए हैं
नेशनल डेस्क: भारत में चुनाव आयोग (Election Commission of India) द्वारा आधार और मतदाता पहचान पत्र (EPIC) को जोड़ने की योजना पर गहरे विवाद और कानूनी अड़चनें आ रही हैं। हालांकि, आयोग ने पहले ही साल 2023 तक 66.23 करोड़ आधार नंबर एकत्र किए हैं, लेकिन अब यह सवाल उठ रहा है कि क्या इसे सफलतापूर्वक लागू किया जा सकता है। अदालत में किए गए प्रतिबद्धताओं से लेकर कानूनी संशोधनों तक इस योजना के विभिन्न पहलुओं पर विचार किए जा रहे हैं।
क्यों जरूरी है आधार और ईपीआईसी का लिंक?
आधार और ईपीआईसी को जोड़ने का मुख्य उद्देश्य मतदाता सूची में डुप्लिकेट या झूठी प्रविष्टियों को खत्म करना है। इसके अलावा, इससे चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता और स्वच्छता लाई जा सकती है। लेकिन इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए चुनाव आयोग को कई कानूनी, राजनीतिक और तकनीकी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
तीन प्रमुख सवाल:
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66.23 करोड़ आधार नंबर का क्या होगा? चुनाव आयोग ने 2023 तक लगभग 66.23 करोड़ आधार नंबर एकत्र किए थे, लेकिन अब जब इस संख्या को जोड़ने की योजना पर काम हो रहा है, तो क्या इन नंबरों को जोड़ने की प्रक्रिया कानूनी बाधाओं के कारण अटक जाएगी?
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निजता और कानूनी अड़चनें: जब भी आधार नंबर जोड़ने की प्रक्रिया शुरू होती है, तो निजता से संबंधित चिंताएं और कानूनी अड़चनें सामने आती हैं। सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही स्पष्ट किया है कि आधार को जोड़ने से पहले यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि यह आवश्यकता और आनुपातिकता के परीक्षणों से गुजर चुका हो।
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राजनीतिक विरोध और संवेदनशीलता: चुनाव आयोग में यह आम राय है कि जब तक चुनाव का समय न हो, तब तक आधार-ईपीआईसी लिंकिंग प्रक्रिया शुरू करने से गंभीर राजनीतिक विवाद उत्पन्न हो सकते हैं। चुनावों के समय इस तरह के मुद्दे अक्सर संवेदनशील हो जाते हैं, और इससे योजना को भारी नुकसान हो सकता है।
क्या आधार जोड़ना अनिवार्य होगा?
आधार और ईपीआईसी को जोड़ने के मुद्दे पर एक और महत्वपूर्ण सवाल यह है कि क्या इसे अनिवार्य किया जा सकता है। 2023 में सुप्रीम कोर्ट में दायर एक याचिका के जवाब में चुनाव आयोग ने कहा था कि 'आधार संख्या को जमा करना अनिवार्य नहीं है।' इसके बावजूद, अब चुनाव आयोग इस बारे में विचार कर रहा है कि क्या वह आधार को ईपीआईसी से लिंक करने के लिए एक कानूनी संशोधन पेश कर सकता है।
क्या कानूनी संशोधन संभव है?
यह सवाल भी उठता है कि क्या चुनाव आयोग आधार को ईपीआईसी के साथ जोड़ने के लिए कानूनी संशोधन ला सकता है। इस मामले में, गोपनीयता, वंचनशीलता और नागरिकों के मौलिक अधिकारों पर एक बड़ी बहस हो सकती है। अगर ऐसा कोई कानूनी संशोधन प्रस्तावित होता है, तो यह राजनीतिक और कानूनी विवादों का कारण बन सकता है।
कानूनी प्रक्रिया और सुप्रीम कोर्ट की भूमिका
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में बार-बार यह कहा है कि आधार लिंकिंग को 'आवश्यकता' और 'आनुपातिकता' के कठोर परीक्षणों से गुजरना चाहिए। यदि यह प्रक्रिया गोपनीयता के उल्लंघन का कारण बनती है, तो सुप्रीम कोर्ट इसे असंवैधानिक घोषित कर सकता है। ऐसे में चुनाव आयोग को इस विषय में सावधानीपूर्वक कदम उठाने होंगे।