Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 23 Mar, 2025 12:58 PM

पिछले सप्ताह भारतीय शेयर बाजार में एक जबरदस्त उछाल देखने को मिला। बीएसई सेंसेक्स 3,076.6 अंक बढ़कर 52,000 के पार पहुंच गया, जबकि निफ्टी ने भी 953.2 अंक का फायदा देखा। यह तेजी निवेशकों के लिए एक खुशखबरी के रूप में आई
नेशनल डेस्क: पिछले सप्ताह भारतीय शेयर बाजार में एक जबरदस्त उछाल देखने को मिला। बीएसई सेंसेक्स 3,076.6 अंक बढ़कर 52,000 के पार पहुंच गया, जबकि निफ्टी ने भी 953.2 अंक का फायदा देखा। यह तेजी निवेशकों के लिए एक खुशखबरी के रूप में आई, क्योंकि इससे उनके निवेश में फायदा हुआ। इस सप्ताह सोमवार से एक्सपर्ट्स उम्मीद जता रहे हैं कि बाजार में यह तेजी बनी रह सकती है। मोतिलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख सिद्धार्थ खेमका के मुताबिक आकर्षक मूल्यांकन और भारतीय अर्थव्यवस्था में हो रहे सुधारों के कारण विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) भारतीय बाजार में लौटने लगे हैं। जब एफआईआई बाजार में सक्रिय रहते हैं, तो इससे शेयर बाजार को स्थिरता और बढ़त मिलती है। उनकी निवेश गतिविधियों से निवेशकों का विश्वास बढ़ता है और बाजार को एक नई दिशा मिलती है।
रुपये की स्थिति और तेल के दाम भी महत्वपूर्ण संकेत
शेयर बाजार की दिशा पर डॉलर के मुकाबले रुपये का रुख और वैश्विक कच्चे तेल की कीमतें भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। इन दो कारकों में बदलाव से भारतीय बाजार में उतार-चढ़ाव हो सकता है। इससे निवेशकों की रणनीति पर असर पड़ेगा।
एफआईआई की बिकवाली में आई कमी
गई कुछ दिनों में एफआईआई की बिकवाली में काफी कमी आई है। अब वे शुद्ध खरीदार बने हुए हैं। जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर के मुताबिक, डॉलर सूचकांक में सुधार और जोखिम-मुक्त दरों में कमी से उभरते बाजारों में निवेश का रुझान बढ़ा है। यही कारण है कि एफआईआई के निवेश से घरेलू बाजार की स्थिति बेहतर हो रही है।
अमेरिकी बाजार और वैश्विक घटनाक्रमों का असर
अमेरिकी शेयर बाजारों में अस्थायी राहत मिलने से वैश्विक बाजारों में भी एक सकारात्मक माहौल बना है। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिकी बाजारों में मिले-जुले संकेत हैं, जिससे अगले कुछ सत्रों में उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है। इससे निवेशकों को सतर्क रहने की सलाह दी जा रही है।
निवेशकों के लिए संकेत
अगर आप शेयर बाजार में निवेश कर रहे हैं, तो आने वाले सप्ताह में विदेशी निवेशकों के रुख, रुपये की स्थिति और वैश्विक संकेतों पर ध्यान देना जरूरी होगा। मार्च के डेरिवेटिव अनुबंधों का निपटान भी बाजार की दिशा तय करेगा।