Edited By Mahima,Updated: 06 Feb, 2025 11:40 AM
2025 के बजट में मिडल क्लास के लिए टैक्स राहत के बाद, रिजर्व बैंक रेपो रेट में कटौती करने पर विचार कर रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार, यह कटौती लोन की EMI घटा सकती है, जिससे ग्राहकों को राहत मिलेगी। रिजर्व बैंक के फैसले का असर 7 फरवरी को सामने आएगा।
नेशनल डेस्क: भारत सरकार ने 2025 के बजट में मिडल क्लास के लिए बड़ी राहत देने का ऐलान किया है। इस बजट में 12 लाख रुपये तक की कमाई को टैक्स से मुक्त कर दिया गया है, जिससे आम आदमी को खास फायदा हो सकता है। अब, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की ओर से भी रेपो रेट (Repo Rate) में कटौती के फैसले की उम्मीद जताई जा रही है, जो लोन लेने वालों के लिए एक और बड़ी राहत हो सकती है। बुधवार से RBI की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक शुरू हो गई है और इसमें रेपो रेट पर चर्चा की जा रही है। बैठक के नतीजे 7 फरवरी, शुक्रवार को घोषित किए जाएंगे।
क्या होता है Repo Rate और इसका लोन पर असर?
रेपो रेट वह दर होती है जिस पर भारतीय रिजर्व बैंक, वाणिज्यिक बैंकों को कर्ज देता है। जब रिजर्व बैंक रेपो रेट में बदलाव करता है, तो इसका असर सीधे तौर पर बैंकों द्वारा ग्राहकों को दिए जाने वाले लोन की ब्याज दरों पर पड़ता है। अगर रेपो रेट बढ़ता है, तो बैंक लोन पर ज्यादा ब्याज लेते हैं और EMI बढ़ जाती है। वहीं, अगर रेपो रेट घटता है, तो बैंकों को सस्ते पैसे मिलते हैं, जिससे लोन की ब्याज दरें घट सकती हैं और ग्राहकों की EMI कम हो सकती है। इस बार, अगर RBI रेपो रेट में 25 से 50 बेसिस पॉइंट की कटौती करता है, तो इसका सीधा फायदा लोन लेने वालों को मिलेगा, और उनकी EMI घट सकती है।
रेपो रेट में कटौती के कारण
विशेषज्ञों का मानना है कि भारतीय रिजर्व बैंक, रेपो रेट में कटौती करने का फैसला कर सकता है, ताकि यह वृद्धि को बढ़ावा देने और आर्थिक स्थिति को स्थिर करने में मदद कर सके। पिछले कुछ समय में रिटेल महंगाई (CPI) दर 6% के नीचे रही है, जो कि रिजर्व बैंक के लक्षित सीमा के अंदर है। इसके अलावा, भारतीय रुपया भी कमजोर हुआ है, जिससे बाहरी व्यापार पर दबाव पड़ा है। इस स्थिति में केंद्रीय बैंक को रेपो रेट घटाकर कंजम्पशन और लिक्विडिटी (संचालन धन) को बढ़ाने के लिए एक कदम उठाने की आवश्यकता महसूस हो सकती है। RBI की मौद्रिक नीति समिति (MPC) हर दो महीने में बैठक करती है, जिसमें छह सदस्यीय समिति महंगाई, विकास दर, जीडीपी और अन्य आर्थिक मुद्दों पर चर्चा करती है। शुक्रवार को जो भी फैसला लिया जाएगा, वह केंद्रीय बैंक के समग्र आर्थिक दृष्टिकोण पर आधारित होगा। अगर महंगाई दर 4.5% पर स्थिर रहती है, तो RBI रेपो रेट में कटौती करने का निर्णय ले सकता है।
RBI के नए गवर्नर संजय मल्होत्रा की पहली बैठक
इस बार मौद्रिक नीति समिति की बैठक की अध्यक्षता भारतीय रिजर्व बैंक के नए गवर्नर संजय मल्होत्रा कर रहे हैं। यह उनकी पहली बैठक है, और इस बैठक के परिणामों का भारतीय अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है। संजय मल्होत्रा ने हाल ही में अपने पदभार को संभाला था, और अब उनका यह कदम केंद्रीय बैंक के भविष्य के फैसलों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
SBI की रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार, इस साल चौथी तिमाही में महंगाई दर 4.5% तक घटने का अनुमान है, और इसका असर केंद्रीय बैंक के फैसले पर पड़ सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक, महंगाई का दबाव कम होने के कारण रिजर्व बैंक रेपो रेट में कटौती कर सकता है। इसके अलावा, ब्याज दरों में कमी से आम लोगों के लिए लोन सस्ता हो सकता है, जो कि एक महत्वपूर्ण आर्थिक सुधार होगा।
आखिरी बार कब बदला था Repo Rate?
भारतीय रिजर्व बैंक ने आखिरी बार फरवरी 2023 में रेपो रेट को 6.5% पर स्थिर रखा था। इससे पहले कोविड महामारी के दौरान मई 2020 में रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में कटौती की थी, ताकि आर्थिक विकास को बढ़ावा दिया जा सके। इसके बाद, RBI ने धीरे-धीरे रेपो रेट बढ़ाकर 6.5% कर दिया था, और तब से इसमें कोई बड़ा बदलाव नहीं किया गया है। इससे बैंकों के लोन की ब्याज दरें बढ़ी हैं और लोन की EMI भी अधिक हो गई है। अगर इस बार रेपो रेट में कटौती होती है, तो यह लोन लेने वालों के लिए एक बड़ी राहत हो सकती है। भारत सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक दोनों ही आम लोगों के लिए राहत देने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठा रहे हैं। अगर रिजर्व बैंक रेपो रेट में कटौती करता है, तो लोन की EMI घटने की संभावना है, जिससे आम लोगों की वित्तीय स्थिति में सुधार हो सकता है। 7 फरवरी को होने वाली बैठक में यह बड़ा फैसला लिया जाएगा, जिसका असर भारतीय अर्थव्यवस्था और आम आदमी पर पड़ेगा।