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आसान नहीं थी वर्ल्ड चेस चैंपियन बनने की राह, बेटे के खेल के लिए पिता को दोस्तों तक से उधार लेने पड़े पैसे

Edited By Parminder Kaur,Updated: 16 Dec, 2024 10:02 AM

with hard work and struggle gukesh became the world chess champion

18 साल के डोम्माराजू गुकेश ने इतिहास रचते हुए चेस के सबसे बड़े खिताब वर्ल्ड चेस चैंपियन को अपने नाम कर लिया है। वे अब दुनिया के सबसे युवा चेस चैंपियन बन गए हैं। हालांकि, यह सफलता रातों-रात नहीं आई। इसमें उनकी कड़ी मेहनत, संघर्ष और परिवार का समर्थन...

नेशनल डेस्क. 18 साल के डोम्माराजू गुकेश ने इतिहास रचते हुए चेस के सबसे बड़े खिताब वर्ल्ड चेस चैंपियन को अपने नाम कर लिया है। वे अब दुनिया के सबसे युवा चेस चैंपियन बन गए हैं। हालांकि, यह सफलता रातों-रात नहीं आई। इसमें उनकी कड़ी मेहनत, संघर्ष और परिवार का समर्थन शामिल है। इस युवा चेस खिलाड़ी ने अपने जीवन के कई सपनों को चेस के लिए समर्पित किया और इसके लिए काफी बलिदान भी दिए।

शुरुआत में संघर्ष

गुकेश का चेस करियर 2018 में जबरदस्त उतार-चढ़ाव का सामना कर रहा था। उसी साल उन्होंने एशियन यूथ चेस चैंपियनशिप में पांच गोल्ड मेडल जीते और अंडर-12 वर्ल्ड यूथ चेस चैंपियनशिप भी जीती। लेकिन इसके बाद उनका खेल कुछ धीमा हो गया। 2018 में उन्होंने कई महत्वपूर्ण मुकाबलों में जीत के मौके गंवाए। इसके अलावा चेस के दिग्गज खिलाड़ी मैग्नस कार्लसन ने भी उनके खेल पर सवाल उठाए थे। लेकिन गुकेश ने हार मानने के बजाय अपने खेल पर ध्यान केंद्रित किया और निरंतर अभ्यास किया।

सफलता की राह

गुकेश ने 2019 में महज 12 साल की उम्र में भारत के सबसे युवा ग्रैंडमास्टर बनने का रिकॉर्ड अपने नाम किया। हालांकि, वह वर्ल्ड रिकॉर्ड तोड़ने से सिर्फ 17 दिन दूर रह गए। इसके बाद उन्होंने अक्टूबर 2022 में पांच बार के वर्ल्ड चेस चैंपियन मैग्नस कार्लसन को हराकर दुनिया को चौंका दिया। इस जीत के बाद गुकेश ने चेस की दुनिया में अपनी पकड़ मजबूत कर ली। 2023 में उन्होंने भारत के चेस मास्टर विश्वनाथन आनंद को पीछे छोड़ते हुए देश के टॉप रैंक चेस खिलाड़ी का दर्जा हासिल किया। और फिर 12 दिसंबर 2024 को उन्होंने डिंग लिरेन को हराकर सबसे युवा वर्ल्ड चेस चैंपियन बनने का रिकॉर्ड तोड़ा। यह उनकी कड़ी मेहनत और मानसिक दृढ़ता का परिणाम था।

परिवार और संघर्ष

गुकेश का जन्म चेन्नई में हुआ था। उनके पिता रजनीकांत एक नाक, कान, गला विशेषज्ञ (ENT Specialist) हैं और उनकी मां माइक्रोबायोलॉजिस्ट हैं। हालांकि, उनका परिवार आर्थिक रूप से मजबूत नहीं था। उनके कोच ने बहुत कम उम्र में ही उनकी चेस प्रतिभा को पहचाना था। गुकेश को शुरू में क्रिकेट खेलने का शौक था, लेकिन बाद में उन्होंने चेस को चुना और अपना पूरा ध्यान उसी पर केंद्रित किया।
चेस के टूर्नामेंट्स में भाग लेने के लिए लगातार यात्रा करनी पड़ती थी, जो न सिर्फ शारीरिक रूप से थकाऊ था, बल्कि इसमें खर्च भी बहुत आता था। परिवार की आर्थिक स्थिति को देखते हुए गुकेश के पिता ने 2018 में अपनी क्लीनिक बंद कर दी और गुकेश के चेस करियर को समर्थन देने के लिए अपने दोस्तों से पैसे उधार भी लिए। यह समय उनके जीवन का कठिन दौर था, लेकिन इस संघर्ष ने उन्हें मानसिक रूप से मजबूत बनाया और उनके खेल में सुधार हुआ।

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