Edited By Pardeep,Updated: 09 Oct, 2024 10:08 PM
राजस्थान में कांगो फीवर से एक महिला की मौत होने का मामला सामने आया है और इसके बाद चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने प्रदेश भर में इस बीमारी की रोकथाम एवं बचाव के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
जोधपुरः राजस्थान में कांगो फीवर से एक महिला की मौत होने का मामला सामने आया है और इसके बाद चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने प्रदेश भर में इस बीमारी की रोकथाम एवं बचाव के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए हैं। अहमदाबाद के एनएचएल म्यूनिसिपल मेडिकल कॉलेज में उपचाराधीन कांगो फीवर से पीड़ित जोधपुर निवासी 51 वर्षीय महिला की मौत हो गई। नेशनल इंस्टीट्यूट आफ वायरोलॉजी, पुणे में हुई जांच में महिला का सैंपल पॉजिटिव पाया गया।
निदेशक (जनस्वास्थ्य) डॉ. रवि प्रकाश माथुर ने बताया कि जोधपुर के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को प्रभावित क्षेत्र में रेपिड रेस्पॉन्स टीम भेजकर संक्रमण की रोकथाम के लिए निर्देश दिए गए हैं। साथ ही क्षेत्र में संदिग्ध एवं सिम्पटोमेटिक रोगियों की ट्रेसिंग कर उन्हें आइसोलेशन में रखने को कहा गया है। डॉ. माथुर ने बताया कि कांगो फीवर एक जूनोटिक वायरल डिजीज है जो टिक (पिस्सू) के काटने से होती है। इसे देखते हुए पशुपालन विभाग को इस बीमारी से बचाव एवं रोकथाम के लिए आवश्यक कदम उठाने के लिए कहा गया है।
उन्होंने बताया कि प्रदेशभर में इस बीमारी की रोकथाम एवं बचाव के लिए सभी सुरक्षात्मक कदम उठाने तथा आमजन को जागरूक करने के भी निर्देश दिए गए हैं ताकि संक्रमण का प्रसार नहीं हो। सभी निजी एवं राजकीय चिकित्सा संस्थानों को निर्देशित किया गया है कि किसी व्यक्ति में कांगो फीवर के लक्षण नजर आएं तो तत्काल प्रभाव से सैम्पल लेकर जांच के लिए भिजवाएं। साथ ही चिकित्सा विभाग को इसकी सूचना दें।
डॉ. माथुर ने बताया कि यहां आरयूएचएस अस्पताल में आइसोलेशन में रखे गए नागौर के 20 वर्षीय युवक की मंकी पॉक्स की जांच रिपोर्ट नेगेटिव आई है। यह युवक दुबई से जयपुर आया था। एयरपोर्ट पर स्वास्थ्य जांच के दौरान शरीर पर रेशेज पाए जाने पर उसे आरयूएचएस अस्पताल भेजा गया था। यहां जांच में उसे चिकन पॉक्स होना पाया गया। एहतियातन तौर पर मंकी पॉक्स की जांच के लिए उसका ब्लड सैंपल सवाई मानसिंह अस्पताल भेजा गया था। बुधवार को युवक की मंकी पॉक्स की जांच रिपोर्ट नेगेटिव आई।
इसकी कोई वैक्सीन नहीं
कांगो फीवर फैलने का खतरा स्लाइवा, ब्लड, फ्लूइड के संपर्क में आने से होता है। इस बीमारी से ग्रसित मरीज के संपर्क में आने से यह एक से दूसरे व्यक्ति में फैल जाती है। खतरनाक बात तो ये है कि इसकी अब तक कोई वैक्सीन नही बनीं। जिस वजह से मौत का खतरा बढ़ जाता है। WHO के मुताबिक, इसकी अब तक कोई प्रभावी वैक्सीन नहीं बनी।