Edited By Parminder Kaur,Updated: 27 Aug, 2024 01:34 PM
देशभर में डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आह्वान के बीच कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में बलात्कार और हत्या की घटना के बाद एक मरीज ने एक महिला जूनियर डॉक्टर पर तिरुपति के एक अस्पताल में हमला कर दिया गया। श्री वेंकटेश्वरा...
नेशनल डेस्क. देशभर में डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आह्वान के बीच कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में बलात्कार और हत्या की घटना के बाद एक मरीज ने एक महिला जूनियर डॉक्टर पर तिरुपति के एक अस्पताल में हमला कर दिया गया। श्री वेंकटेश्वरा इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (SVIMS) में हुई इस घटना को अस्पताल के सीसीटीवी कैमरे ने कैद कर लिया।
सीसीटीवी फुटेज में देखा जा सकता है कि हमलावर ने डॉक्टर को उसके बालों से पकड़ लिया और उसकी सिर को अस्पताल के बिस्तर के स्टील फ्रेम पर मार दिया। वार्ड में मौजूद अन्य डॉक्टर तुरंत अपनी सहकर्मी की मदद के लिए पहुंचे और हमलावर को काबू में करके उसे वहाँ से हटा दिया।
श्री वेंकटेश्वरा इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (SVIMS) तिरुपति के निदेशक और उपकुलपति डॉ. आरवी कुमार को एक पत्र में एक इंटर्न ने बताया कि वह शनिवार को इमरजेंसी मेडिसिन डिपार्टमेंट में ड्यूटी पर थी। मुझे अचानक एक मरीज बंगारू राजू ने पीछे से हमला किया। उसने मेरे बाल खींचे और मेरे सिर को बिस्तर की स्टील की रॉड पर जोर से मारा।" उसने यह भी कहा कि घटना के समय वहां कोई सुरक्षा कर्मी मौजूद नहीं था, जो उसकी मदद कर सके।
इंटर्न ने आगे कहा कि इस घटना ने कार्यस्थल की सुरक्षा के बारे में गंभीर चिंताएँ पैदा की हैं। अगर मरीज के पास कोई तेज़ हथियार होता, तो स्थिति और भी खराब हो सकती थी और स्टाफ की सुरक्षा के लिए सुरक्षा उपायों की मांग की। घटना के बाद अस्पताल के डॉक्टरों ने एक प्रदर्शन किया और कार्यस्थल पर सुरक्षा की मांग की।
बता दें यह घटना आंध्र प्रदेश के अस्पताल में तब हुई जब कोलकाता में एक पोस्टग्रेजुएट ट्रेनी डॉक्टर के बलात्कार और हत्या की भयानक घटना को कुछ ही सप्ताह हुए हैं। उस 31 वर्षीय डॉक्टर का ड्यूटी के दौरान बलात्कार किया गया और हत्या कर दी गई। इस घटना ने बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन को जन्म दिया और देश के कई प्रमुख संस्थानों के डॉक्टर सड़कों पर उतर आए ताकि कार्यस्थल पर अपनी सुरक्षा के लिए उपायों की मांग की जा सके।
अब सुप्रीम कोर्ट ने स्वास्थ्यकर्मियों के खिलाफ हिंसा को रोकने और उनके कामकाजी हालात सुनिश्चित करने के लिए एक 10-सदस्यीय नेशनल टास्क फोर्स का गठन किया है। कोर्ट ने कहा है कि टास्क फोर्स एक एक्शन प्लान तैयार करेगा, जिससे जेंडर-आधारित हिंसा को रोका जा सके और डॉक्टरों के लिए एक सम्मानजनक कार्यस्थल सुनिश्चित किया जा सके।