पश्चिम बंगाल की खास साड़ियां बनाने में महिलाओं की अहम भूमिका, 3 साल में तैयार होती है 15 लाख की साड़ी

Edited By Parminder Kaur,Updated: 02 Dec, 2024 01:15 PM

women play an important role in making special sarees of west bengal

पश्चिम बंगाल की मसलीन जामदानी साड़ियाँ इन दिनों दुनियाभर में बहुत ही लोकप्रिय हो रही हैं। इन साड़ियों की खासियत यह है कि ये हल्की और आरामदायक होती हैं और उनकी मांग इतनी बढ़ गई है कि इसका उत्पादन पूरी तरह से नहीं हो पा रहा है। इन साड़ियों की कीमत 15...

नेशनल डेस्क. पश्चिम बंगाल की मसलीन जामदानी साड़ियाँ इन दिनों दुनियाभर में बहुत ही लोकप्रिय हो रही हैं। इन साड़ियों की खासियत यह है कि ये हल्की और आरामदायक होती हैं और उनकी मांग इतनी बढ़ गई है कि इसका उत्पादन पूरी तरह से नहीं हो पा रहा है। इन साड़ियों की कीमत 15 लाख रुपए तक हो सकती है और इन्हें तैयार करने में 3 साल का समय लग जाता है।

महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका

इस साड़ी को बनाने में महिलाओं की भूमिका अहम होती है। संत कबीर अवॉर्ड प्राप्त ज्योतिष के बेटे राजीव देवनाथ कहते हैं कि "मसलीन जामदानी बुनने के लिए मन और दिमाग दोनों का शांत होना जरूरी है। अगर आप गुस्से में काम करेंगे तो धागा टूटता रहेगा और काम नहीं बढ़ पाएगा। महिलाओं के हाथ कोमल होते हैं, इसीलिए वे कपास से धागा निकालने में सक्षम होती हैं और बेहतर बुनाई कर पाती हैं। अब तक उन्होंने 600 महिलाओं को इस काम के लिए प्रशिक्षित किया है। वर्तमान में उनकी बुनाई कार्यशाला में 180 बुनकर हैं, जिनमें से 120 महिलाएं हैं।

मसलीन जामदानी साड़ियों का वैश्विक बाजार

इस खास साड़ी का उत्पादन पश्चिम बंगाल के एक बड़े क्षेत्र में होता है और ये साड़ियाँ 67 देशों में निर्यात की जाती हैं। इन देशों में कनाडा, मलेशिया, दुबई, अमेरिका, ब्रिटेन, सिंगापुर और न्यूजीलैंड जैसे प्रमुख देश शामिल हैं। यह क्षेत्र 1,000 करोड़ रुपए से ज्यादा का है, जो इस उद्योग के बढ़ते महत्व को दर्शाता है।

बुनाई की प्रक्रिया

राजीव देवनाथ बताते हैं कि सूत को लचीला बनाए रखने के लिए बुनाई नदी के किनारे की जाती है, जहां सुबह और शाम के वक्त बुनाई का काम होता है। सुबह सूरज उगने से पहले और शाम को सूरज ढलने के बाद 4-5 घंटे तक बुनाई की जाती है। लूम के नीचे मिट्टी का गड्डा होता है, जहां बुनकर बैठकर काम करते हैं। नमी बनाए रखने के लिए लूम के ऊपर बांस और पुआल डाले जाते हैं।"

साड़ी की डिजाइन और महत्व

मसलीन जामदानी साड़ी में मुख्य रूप से फूलों और पत्तों के प्रिंट होते हैं। इसे तैयार करने में बांधनी, पटोला, कांजीवरम और बनारसी साड़ियों से भी ज्यादा समय लगता है। इन साड़ियों की कीमत 3,000 रुपए से शुरू होकर 15 लाख रुपए तक हो सकती है, जो इस कारीगरी की बारीकी और मेहनत को दर्शाता है।

विदेशी पर्यटकों की रुचि

इन साड़ियों की बुनाई में विदेशी पर्यटकों की रुचि भी बढ़ी है। टेक्सटाइल टूरिज्म का चलन बढ़ने के साथ विदेशी पर्यटक इन कार्यशालाओं में आकर बुनाई प्रक्रिया को देखते हैं और इसका हिस्सा बनते हैं। ऑस्ट्रेलिया में रहते क्रिश ने बताया कि "मैंने खुद देखा है कि एक दिन में केवल एक सेंटीमीटर की ही बुनाई हो पाती है। इस कारीगरी को देखकर मैं हैरान हूं, क्योंकि इस मॉडर्न दौर में भी इतनी मेहनत और धैर्य से काम किया जाता है।"

Related Story

Trending Topics

Afghanistan

134/10

20.0

India

181/8

20.0

India win by 47 runs

RR 6.70
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!