Edited By Rahul Singh,Updated: 18 Sep, 2023 07:57 PM
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डब्ल्यूडब्ल्यूई रिंग में भारत का नाम रौशन करने वाले सुपरस्टार रैसलर रिंकू सिंह का रिंग के लिए 'वीर महान' नाम कैसे पड़ा, इसका उन्होंने पंजाब केसरी के साथ बातचीत करते हुए खुलासा किया। रिंकू का जन्म 8 अगस्त 1988 को गोपीगंज के धौलपुर गांव में हुआ था।
स्पेशल डैस्क (राहुल राणा) : डब्ल्यूडब्ल्यूई रिंग में भारत का नाम रौशन करने वाले सुपरस्टार रैसलर रिंकू सिंह का रिंग के लिए 'वीर महान' नाम कैसे पड़ा, इसका उन्होंने पंजाब केसरी के साथ बातचीत करते हुए खुलासा किया। रिंकू का जन्म 8 अगस्त 1988 को उत्तर प्रदेश के गोपीगंज के धौलपुर गांव में हुआ था। माथे पर त्रिपुंड, गले में रुद्राक्ष की माला और बाजू पर श्रीराम का नाम वाला वीर महान का लुक सभी को काफी आकर्षित करता है। आइए जानें इंटरव्यू के दौरान उनके साथ किए गए कुछ दिलचस्प सवालों के जवाबों के बारे में-
रिंकू सिंह का नाम WWE रिंग के लिए 'वीर महान' कैसे पड़ा?
हमारे भारत भूमि में बहुत से योद्धाएं हैं जिन्होंने जन्म लिया और बड़े-बड़े पराक्रमी योद्धा रहे हैं। जब रिंग के लिए मेरे नाम की बात आई तो विन्स मॅकमहन ने अपनी टीम द्वारा मेरे बैकग्राउंड के बारे काफी सर्च की, मेरे बारे में जाना। आप जानते हैं वीर का मतलब महान...मैं बहुत छोटा इंसान, लेकिन बहुत बड़ा नाम मुझे दिया गया है। असली नेम जो रिंग के लिए होता है वो हमें डब्ल्यूडब्ल्यूई से मिलता है, साथ में जो मेरे फैंस रहे हैं उनका बड़ा प्यार व आर्शीवाद रहा है मेरे नाम के लिए। कोशिश यही रहेगी जो नाम मिला है उसको जीवन भर बनाए रखूं।
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आपके करियर की शुरूआत बेसबॉल से हुई थी। फिर अचानक रैंसलिंग की ओर आपका रूख कैसे हुआ?
देखिए मैं एक छोटे से गांव से आता हूं और बहुत से रिंकू वहां हैं जो काफी मेहनत कर रहे है। जब मैंने बेसबॉल गेम चुनी थी तब बेसबॉल हमारे देश में तब नहीं था, लेकिन अब है। तो मैं तब सोचता था कि ऐसा क्या किया जाए जिससे हमारी स्टोरी, हमारा स्ट्रगल युवाओं तक पहुंचे। मैं डब्ल्यूडब्ल्यूई का शुक्रिया करता हूं, जिन्होंने मुझे मौका दिया। अगर मैं यहां तक पहुंच सकता हूं तो जो छोटे-छोटे गांवों में रहने वाले मेरे जैसे हैं वो भी यहां तक पहुंच सकते हैं।
रैसलिंग एक खतरनाक गेम है, जिसमें चोटिल होने के चांस रहते हैं। क्या कभी ऐसा पल आया जब आपको विरोधियों से डर लगा हो?
देखिए हम दोनों (रिंकू व सांगा) को अगर रिंग में कोई देखे तो आपको लगता है हम किसी से डरेंगे। हम भारत भूमि से आते हैं। भारत भूमि में सिर्फ योद्धाओं ने राज किया है। तो जब हम रिंग में उतरते हैं तो हमारे विरोधी हमसे डरते हैं।
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जब रिंकू सिंह रैसलर बना तो दोस्तो और रिश्तेदारों का रिएक्शन कैसा था?
मेरे प्रति तब जैसा रिएक्शन मेरे अपनों का था, रिश्तेदारों का था...मुझे लगता है कि पूरे भारत का वैसा ही था। रही बात खुशी की तो वो भारतवासियों व परिवारजनों को तब ज्यादा होगी जब रोमन रेंस से फाइट होगी। साथ ही इंडुस शेर टाइटल जीतेंगे। बहुत से लोग पूछते हैं कि आपने रोमन रेंस जो चैलेंज किया है तो मैच कब होगा...मैं यही कहता हूं कि जब आप डब्ल्यूडब्ल्यूई को ताकत दिखाएंगे कि ये मैच होना चाहिए तो फिर यह होकर ही रहेगा।
भारत में WWE के इवेंट ज्यादा क्यों नहीं करवाए जा रहे, जबकि यहां प्रशंसक ज्यादा हैं?
इसमें सबसे बड़ी गलती सोनी स्पोर्ट्स नेटवर्क की है। बहुत से छोटे-छोटे कस्बों के युवा सुबह जल्दी उठकर टीवी पर रैसलिंग देखते हैं। उन्हें अलग-अलग जगहों पर शो करवाने चाहिए। मैं जानता हूं कि मैं और सांगा बहुत से युवाओं को अपने नेशन के लिए तैयार कर सकते हैं। हमारी भी यही उम्मीद है कि डब्ल्यूडब्ल्यई नेटवर्क लगातार भारत में शो करवाएं। ताकि आने वाले समय में हमारे युवाओं को मौका मिले। साथ ही यहां की ऑडियंस को भी मैच देखने के अवसर मिलें।
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रिंकू के लिए WWE तक पहुंचने का संघर्ष और सफर कैसा रहा?
ऐसा नहीं है कि सिर्फ मेरे लिए संघर्ष रहा है। बहुत से युवा हैं जिनका जीवन संघर्ष भरा रहा है और अभी भी कर रहे हैं। हां, मेरे पिता जी एक ट्रक ट्राईवर थे। उनका पुत्र होना मेरे लिए सौभाग्य की बात है। मैं प्रार्थना करता हूं कि जब-जब मैं धरती पर जन्म लूं तो उन्हीं का पुत्र बनकर आऊं। जीवन में चुनौतियां कितनी आती हैं यह अहम नहीं हैं। डटकर हम कितना रहते हैं यह अहम है। आप कहां से आए हैं और कहां पहुंचे हैं यह महत्तवपूर्ण होता है। आप चाहे गांव में पले-पढ़े हैं। चाहे आप एक ड्राइवर के बेटे हैं। चाहे आपके पिता बेरोजगार हैं, लेकिन एक पुत्र के लिए अपना पिता एक पिता ही होता है जो अपने पुत्र के लिए संघर्ष करता है।