Edited By Yaspal,Updated: 27 Sep, 2024 09:21 PM
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को कहा कि अगर पाकिस्तान आतंकवाद का समर्थन जारी रखता है, तो पड़ोसी मुल्क तीन टुकड़ों में बंट सकता है। जम्मू-कश्मीर के कठुआ में एक रैली में पड़ोसी मुल्क को चेतावनी देते हुए आदित्यनाथ ने कहा कि...
जम्मूः उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को कहा कि अगर पाकिस्तान आतंकवाद का समर्थन जारी रखता है, तो पड़ोसी मुल्क तीन टुकड़ों में बंट सकता है। जम्मू-कश्मीर के कठुआ में एक रैली में पड़ोसी मुल्क को चेतावनी देते हुए आदित्यनाथ ने कहा कि पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर (पीओके) पहले से ही भारत में विलय के लिए तैयार है।
आदित्यनाथ ने कहा, “यहां तक कि पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी भी जानते हैं कि आतंकवाद को समर्थन देने के लिए पाकिस्तान को क्या कीमत चुकानी पड़ेगी। इससे पाकिस्तान तीन हिस्सों में बंट सकता है और उसका कोई नामोनिशान नहीं बचेगा।” उन्होंने कहा, “पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर भारत में विलय के लिए तैयार बैठा है। वे पाकिस्तान से आजादी चाहते हैं। वे विकास, राशन, शांति और आयुष्मान स्वास्थ्य कार्ड चाहते हैं लेकिन यह सब केवल भारत में ही संभव है।”
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने जम्मू-कश्मीर के लोगों से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को वोट देने के लिए कहा और पार्टी को क्षेत्र में सुशासन, शांति, स्थिरता और विकास के लिए एकमात्र विकल्प बताया। योगी ने पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति को रेखांकित करते हुए कहा, “पाकिस्तान की स्थिति ऐसी है कि वह भीख का कटोरा लेकर घूम रहा है। यहां तक कि बलूचिस्तान भी अब कह रहा है कि वे पाकिस्तान के साथ नहीं रहना चाहते क्योंकि उनके साथ विदेशियों जैसा व्यवहार किया जाता है।”
मुख्यमंत्री योगी ने आतंकवाद के खिलाफ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘दृढ़' रुख को भी दोहराया और सिंधु नदी संधि का हवाला देते हुए कहा कि पानी और आतंकवाद एक साथ नहीं बह सकते। उन्होंने चेतावनी दी कि पाकिस्तान के समर्थन से भारत में आतंकवाद फैलाने की कोशिश करने वाले किसी भी व्यक्ति का बुरा हश्र होगा।
योगी ने कहा, “अगर कोई पाकिस्तान के समर्थन से भारत में आतंकवाद के बीज बोने की कोशिश करता है तो उसके पास न तो ढकने के लिए कफन होगा और न ही दफनाने के लिए दो गज जमीन।” उन्होंने नेशनल कॉन्फ्रेंस समेत विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए कहा कि उनके नेता जम्मू-कश्मीर के ‘शासकों' की तरह व्यवहार करते थे और सरकारी खर्च पर विदेश यात्राएं करते थे लेकिन अब ऐसा नहीं है।