Edited By Utsav Singh,Updated: 30 Nov, 2024 05:28 PM
दिल्ली में विधानसभा चुनाव के पहले राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। इन दिनों दिल्ली विधानसभा का सत्र चल रहा है, और यह सत्र चुनाव से पहले का आखिरी सत्र है। इस दौरान दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने बीजेपी के नेता विजेन्द्र गुप्ता को एक दिलचस्प ऑफर दिया। यह...
नेशनल डेस्क : दिल्ली में विधानसभा चुनाव के पहले राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। इन दिनों दिल्ली विधानसभा का सत्र चल रहा है, और यह सत्र चुनाव से पहले का आखिरी सत्र है। इस दौरान दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने विपक्ष के नेता विजेन्द्र गुप्ता को एक दिलचस्प ऑफर दिया। यह ऑफर विधानसभा में एक बहस के दौरान दिया गया, जहां बस मार्शलों को नियमित करने को लेकर बीजेपी और आम आदमी पार्टी (AAP) के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा था।
बस मार्शल्स की नियमितीकरण पर बहस
दिल्ली विधानसभा में इस समय एक महत्वपूर्ण बहस चल रही है, जिसमें बस मार्शल्स को नियमित करने का मुद्दा उठाया गया था। बस मार्शल दिल्ली परिवहन निगम (DTC) की बसों में सुरक्षा के लिए तैनात होते हैं, और इनकी संख्या दिल्ली में 10,000 से अधिक है। पिछले कुछ महीनों से ये बस मार्शल रोजगार की स्थिरता की मांग को लेकर आंदोलित हैं, और उनकी यह मांग है कि उन्हें अस्थायी नौकरी नहीं, बल्कि नियमित किया जाए।
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आतिशी का ऑफर: विजेंद्र गुप्ता को सीधा चैलेंज
दिल्ली विधानसभा में जब आतिशी बस मार्शलों की नियमितीकरण पर बहस कर रही थीं, तभी उन्होंने विजेंद्र गुप्ता को एक अनूठा प्रस्ताव दिया। आतिशी ने गुप्ता से कहा कि यदि वह बस मार्शल्स के नियमितीकरण के प्रस्ताव को दिल्ली के उपराज्यपाल से मंजूर करवा देते हैं, तो आम आदमी पार्टी (AAP) उनके खिलाफ आगामी चुनावों में उम्मीदवार नहीं उतारेगी। आतिशी ने यह भी कहा कि वह सिर्फ उम्मीदवार नहीं, बल्कि विजेंद्र गुप्ता के पक्ष में रोहिणी जाकर चुनाव प्रचार भी करेंगी। आपको बता दें कि विजेंद्र गुप्ता लगातार दो बार दिल्ली के रोहिणी विधानसभा से विधायक रह चुके हैं और फिलहाल विपक्ष के नेता हैं।
बस मार्शल्स की लंबे समय से जारी मांग
दिल्ली के 10,000 से अधिक बस मार्शल पिछले एक साल से अपनी नियमितीकरण की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। इनकी मांग है कि उन्हें केवल कुछ महीनों के लिए नौकरी नहीं दी जाए, बल्कि उन्हें स्थायी रूप से नियमित किया जाए, ताकि उन्हें राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल न किया जा सके। इन मार्शलों का कहना है कि चुनाव के समय राजनीतिक दल इन्हें अस्थायी रूप से नौकरी देकर, उनका इस्तेमाल चुनावी प्रचार के लिए करते हैं, लेकिन चुनाव खत्म होते ही उनकी नौकरी खत्म हो जाती है।
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बस मार्शल्स का आंदोलन और सरकार की प्रतिक्रिया
बस मार्शल्स ने कई बार दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के कार्यालयों का दरवाजा खटखटाया है, लेकिन अब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो पाई हैं। इसके अलावा, दिल्ली डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी की बैठक में यह प्रस्ताव पारित किया गया था कि फरवरी तक जब तक दिल्ली में प्रदूषण है, तब तक उन्हें चार महीने की अस्थायी नौकरी दी जाए। लेकिन बस मार्शल्स का कहना है कि फरवरी के बाद चुनाव खत्म होते ही उनकी मांगों को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा। इस कारण वे सड़क पर आंदोलन कर रहे हैं।
AAP और BJP के बीच गतिरोध
दिल्ली सरकार ने इस मुद्दे को सुलझाने के लिए कई प्रयास किए हैं। अक्टूबर में, दिल्ली सरकार ने बस मार्शल्स की नियुक्ति को लेकर एक कैबिनेट नोट पास किया था। इसके बाद, आतिशी और आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता बीजेपी विधायकों के साथ इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए उपराज्यपाल वीके सक्सेना के ऑफिस गए थे। लेकिन बीजेपी विधायक इस बैठक से भागने की कोशिश कर रहे थे। इस दौरान AAP मंत्री सौरभ भारद्वाज ने बीजेपी विधायकों को पकड़ लिया और उन्हें भागने नहीं दिया। आतिशी ने बताया कि वह बीजेपी विधायकों को भगने का कोई मौका नहीं देना चाहती थीं, इसलिए खुद विजेन्द्र गुप्ता की गाड़ी में बैठकर उपराज्यपाल के ऑफिस गईं, ताकि कोई बीजेपी विधायक बाहर न निकल सके।
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दिल्ली विधानसभा में बस मार्शल्स की नियमितीकरण को लेकर उठे विवाद ने आतिशी और विजेन्द्र गुप्ता के बीच एक नए राजनीतिक मोड़ को जन्म दिया है। अब यह देखना होगा कि क्या विजेन्द्र गुप्ता और दिल्ली सरकार इस मुद्दे पर सहमति बनाते हैं या नहीं, और क्या आगामी चुनाव में आतिशी द्वारा दिया गया प्रस्ताव सचमुच लागू होता है। इस मुद्दे ने दिल्ली के राजनीतिक माहौल में और भी गरमी ला दी है।